नई दिल्ली/चेन्नई : मुल्लापेरियार बांध 1895 में केरल के इडुक्की जिले में पेरियार नदी पर बनाया गया था. न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने कहा कि इस मामले में कोई प्रतिकूल दृष्टिकोण नहीं होना चाहिए और अदालत मुद्दों को देखेगी तथा फिर फैसला करेगी.
पीठ ने तमिलनाडु की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नफाडे से कहा, ‘आपको इस बात को समझना चाहिए कि यह एक ही बार का विचारणीय मामला नहीं है. यह निरंतर निगरानी का मामला है. रिसाव के आंकड़ों का मुद्दा तब उठा जब एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए एक वकील ने कहा कि शीर्ष अदालत को इन आंकड़ों के ब्योरे पर गौर करना चाहिए.
नफाडे ने पीठ को बताया कि सभी आंकड़े और ब्योरे पर्यवेक्षण समिति के पास हैं, जिसने समय-समय पर उन पर विचार किया है. पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता से कहा, ‘इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. जरूरत पड़ने पर आप इसे हमारे अवलोकन के लिए तैयार रखें. नफाडे ने कहा कि तमिलनाडु अदालत के अवलोकन के लिए सभी विवरण के साथ तैयार रहेगा. उन्होंने कहा, ‘हमारी एकमात्र कठिनाई यह है कि केवल हमें परेशान करने के लिए इस अदालत में याचिका के बाद याचिकाएं दायर की जा रही हैं.
पीठ ने कहा कि अगर ऐसी कुछ स्थिति है तो इसका कैसे समाधान किया जाएगा, ये ऐसे मामले हैं जिन पर गौर किया जाएगा. न्यायालय ने कहा, ‘अगर कुछ जानकारी उपलब्ध है, तो हम उस पर गौर करेंगे और फिर हम आगे बढ़ेंगे. उसने कहा, ‘आखिरकार, हम विशेषज्ञ समिति की राय पर चलेंगे. नफाडे ने कहा, यह सोशल मीडिया पर अभियान का हिस्सा है. यह और कुछ नहीं है. जिम्मेदारी की भावना के साथ, मैं यह कह रहा हूं.
रिसाव के ब्योरे सहित मुद्दों को उठाने वाले याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि मामला लगभग 50 लाख लोगों के जीवन और संपत्तियों से संबंधित है और तमिलनाडु के पांच जिलों को जहां पानी की जरूरत है, तो वहीं केरल के पांच जिलों को सुरक्षा की जरूरत है.
शुरुआत में, केरल के वकील ने शीर्ष अदालत के 28 अक्टूबर के आदेश का हवाला दिया और कहा कि राज्य ने आठ नवंबर को एक हलफनामा दायर किया था. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु राज्य ने शुक्रवार को अपना जवाब दाखिल किया है. केरल की ओर से पेश वकील ने कहा, ‘मैंने अधिकारियों से 24 घंटे में जवाब देने और निर्देश देने को कहा है क्योंकि वहां कुछ चक्रवाती स्थिति है. उन्होंने अदालत से मामले को सोमवार को देखने का आग्रह किया.
पीठ ने इसके बाद सुनवाई 22 नवंबर तक के लिए टाल दी. शीर्ष अदालत ने 28 अक्टूबर को कहा था कि तमिलनाडु और केरल विशेषज्ञ समिति द्वारा अधिसूचित जल स्तर संबंधी व्यवस्था का पालन करेंगे. शीर्ष अदालत ने शनिवार को सुनवाई के दौरान कहा कि अंतरिम व्यवस्था जारी रहेगी.
आपकाे बता दें कि न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अगुवाई वाली पीठ मुल्लापेरियार बांध मुद्दे पर केरल और तमिलनाडु सरकार के बीच विवाद से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रही थी.
तमिलनाडु सरकार चाहती है कि बांध को बनाए रखा जाए और इसका जल स्तर 142 फीट हो, लेकिन केरल सरकार को इस पर आपत्ति है.
केरल सरकार का कहना है कि यह 126 साल पुराना बांध है जो सुरक्षित नहीं है और इसलिए इसे बंद कर दिया जाना चाहिए और एक नए बांध का निर्माण किया जाना चाहिए. यह नीचे के इलाकों में लोगों के लिए खतरा होने का हवाला देते हुए पानी के स्तर को 142 फीट तक बढ़ाने पर भी असहमत है.
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