मुंबई : कोविड-19 से पीड़ित मरीजों में ब्लैक फंगल इन्फेक्शन पाया जा रहा है जिसे म्यूकरमाइकोसिस कहा जा रहा है. यह खासकर उन लोगों में पाया जा रहा है जो डायबिटीज से पीड़ित हैं.
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा है कि कोरोना संक्रमण के प्रभाव के कारण हो रहे म्यूकरमाइकोसिस से डर का माहौल पैदा हो रहा है. उन्होंने कहा कि इसके लक्षणों में नाक या होठ के नीचे काले धब्बे दिखना बताया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि इस फंगल इंफेक्शन के कारण लोगों की आंखें निकालने की नौबत भी आ रही है. उन्होंने कहा कि इस बीमारी से निजात मिले इसके लिए जरूरी है इसकी जल्द से जल्द पहचान की जाए.
राजेश टोपे ने कहा कि लोगों को बड़े पैमाने पर इस बीमारी को लेकर जागरूक किया जाएगा. उन्होंने बताया कि महात्मा ज्योतिराव फुले जन आरोग्य योजना के तहत महाराष्ट्र सरकार लगभग एक हजार अस्पतालों में इसका मुफ्त इलाज कराएगी.
स्वास्थ्य मंत्री टोपे ने कहा कि इस बीमारी की दवाइयां काफी महंगी हैं, इसलिए सरकार कीमतों को नियंत्रित करने का काम भी करेगी. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार इस नई स्वास्थ्य समस्या के प्रति पूरी तरह गंभीर है. लोगों के पास इस बीमारी से जुड़ी अधिकतम जानकारी होनी चाहिए.
म्यूकरमाइकोसिस के लक्षण
नाक बंद हो जाना, नाक से खून जैसा काला तरल पदार्थ निकलना, आंखों में सूजन और दर्द , पलकों का गिरना, धुंधला दिखना, नाक के आसपास काले धब्बे होना भी ब्लैक फंगल या म्यूकरमाइकोसिस के लक्षण हैं.
यह संक्रमण दिमाग में और फेफड़ों में भी पहुंच जाता है ऐसे में कई बार सर्जरी तक करनी पड़ती है. कई बार दिमाग तक पहुंचने से रोकने के लिए मरीज की आंखें निकालने पड़ती हैं. कोरोना संक्रमण से उबरने के दो-तीन दिन बाद इसके लक्षण दिखाई देते हैं. यह फंगल संक्रमण सबसे पहले साइनस में तब होता है और लगभग दो-चार दिनों में ये आंखों पर हमला करता है.
पढ़ें- आइवरमेक्टिन दवा से कोविड-19 की चपेट में आने का खतरा कम हो सकता है : शोध
इसके इलाज के लिए एंटी फंगल इंजेक्शन की जरूरत होती है जिसकी एक खुराक की कीमत ₹3500 है, ये इंजेक्शन 8 हफ्तों तक हर रोज देना पड़ता है. यह इंजेक्शन ही इस बीमारी की एकमात्र दवा है.