नई दिल्ली : किसान आंदोलन (Farmers protest) के एक वर्ष पूरे होने पर किसानों ने कहा कि जब तक सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी गारंटी और अन्य मांगों को पूरा नहीं करती, यह आंदोलन जारी रहेगा.
संयुक्त किसान मोर्चा (Sanyukt Kisan Morcha) के आह्वान पर हजारों किसान टिकरी, सिंघू, गाजीपुर और शाहजहांपुर सीमा पर पहुंचे जहां विभिन्न किसान संघों के नेताओं ने विशाल सभा को संबोधित किया.
जैसा कि प्रधानमंत्री ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त (Repeal of three agricultural laws) करने की घोषणा की और बाद में कैबिनेट ने प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. किसान इसे केवल आधी जीत मानते हैं. प्रधानमंत्री ने घोषणा की (Prime Minister announced) थी कि एमएसपी को मजबूत करने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा लेकिन किसान मोर्चा इस पर तैयार नहीं है.
किसानों ने सरकार के सामने छह मांगों की एक सूची रखी है जिसमें एमएसपी की खरीद को अनिवार्य बनाने के लिए एक कानून शामिल है. किसानों ने कहा कि हमने 21 नवंबर को प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा और छह मांगों को उठाया है. जिसमें सी2 + 50% फॉर्मूला के आधार पर सभी उपज के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी, विद्युत संशोधन विधेयक 2020-21 के मसौदे को वापस लेना, किसानों पर दर्ज मुकदमों को वापस लेना शामिल है.
आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ झूठे मुकदमे वापस लेना, राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी और गिरफ्तारी, आंदोलन के दौरान शहीद किसानों के परिवारों को मुआवजा और पुनर्वास सहित सिंघू सीमा पर उनकी स्मृति में स्मारक बनाने के लिए भूमि आवंटन करने की भी मांग की गई है.
एसकेएम नेता और महासचिव अखिल भारतीय किसान सभा हनान मुल्ला ने कहा कि इन सभी मांगों के लिए सरकार को किसानों के साथ बातचीत करनी चाहिए. सरकार को दी गई समय सीमा आज समाप्त हो रही है और हम कल होने वाली बैठक में अपना फैसला करेंगे.
संयुक्त किसान मोर्चा देश भर से कम से कम 400 किसान संघों के समर्थन का दावा करता है. हालांकि आरएसएस से संबद्ध भारतीय किसान संघ, भारतीय कृषक समाज, राष्ट्रीय किसान मोर्चा सहित कई किसान संघ और कई अन्य ने तीन कृषि कानूनों का समर्थन किया था कुछ आवश्यक संसोधन की मांग की थी.
कृषि कानूनों को निरस्त कर दिया गया है लेकिन किसानों को इससे कुछ हासिल नहीं हुआ. एमएसपी लंबे समय से लंबित मांग है जिस पर सरकार को विचार करना चाहिए. मैं एमएसपी पर एक समिति बनाने के निर्णय का स्वागत करता हूं और किसान संघों को इस पर सहमत होना चाहिए.
वर्तमान में सरकार 23 फसलों पर एमएसपी की घोषणा करता है लेकिन अन्य कृषि उत्पादों के बारे में क्या? खाद्यान्न, तिलहन और दालें कुल कृषि उत्पादन का केवल एक तिहाई हिस्सा हैं, एक तिहाई फल और सब्जियां हैं और एक तिहाई डेयरी, मत्स्य पालन और मुर्गी है. किसान मसाले और औषधीय पौधे भी उगा रहे हैं उन्हें उपज का उचित मूल्य मिलना चाहिए.
भारतीय कृषक समाज के अध्यक्ष कृष्णबीर चौधरी ने कहा कि कुल 265 उत्पाद हैं जो कृषि क्षेत्र का हिस्सा हैं और उन सभी पर सरकार द्वारा लाभदायक मूल्य सुनिश्चित किया जाना चाहिए, जो रातोंरात नहीं किया जा सकता. इस पर चर्चा करने में समय लगेगा और इसलिए मेरा मानना है कि समिति में सभी वर्गों के किसानों को शामिल किया जाना चाहिए. सीमाओं पर विरोध करने वालों को ऐसा नहीं करना चाहिए कि तत्काल घोषणा हो और कानून बना दिए जाएं.
चौधरी ने आगे कहा कि कृषि क्षेत्र में सुधार की बहुत जरूरत है लेकिन तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने से यह अवसर हाथ से निकल गया है. इस बीच संयुक्त किसान मोर्चा, सरकार पर अधिक दबाव बनाने के लिए अपना विरोध तेज करने की योजना बना रहा है.
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अब तक घोषित गतिविधियों में शीतकालीन सत्र के दौरान संसद तक दैनिक ट्रैक्टर मार्च भी शामिल है. हालांकि अभी तक दिल्ली पुलिस की ओर से ट्रैक्टर मार्च की अनुमति नहीं दी गई है और विरोध स्थलों पर भारी भीड़ को देखते हुए सुरक्षा तैनाती बढ़ा दी गई.