नई दिल्ली : विधायी बहस की खराब गुणवत्ता को लेकर नाराजगी व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Vice President Jagdeep Dhankhar) ने शुक्रवार को कहा कि सांसदों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का इस्तेमाल जिम्मेदारी के साथ करने की जरूरत है, क्योंकि संसद को 'अखाड़ा' नहीं बनने दिया जा सकता. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के 61वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि संविधान ने सांसदों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी है लेकिन यह एक जिम्मेदारी के साथ आती है.
उन्होंने कहा कि सांसदों को विशेषाधिकार प्राप्त है, क्योंकि संसद में कही गई किसी भी बात के लिए उनके खिलाफ अदालत में कोई मामला दायर नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा, 'यह विशेषाधिकार बहुत बड़ी जिम्मेदारी के साथ आता है. जिम्मेदारी यह है कि संसद में बोलने वाले प्रत्येक व्यक्ति को उचित विचार के बाद ऐसा करना चाहिए. यह अस्पष्ट स्थितियों पर आधारित नहीं हो सकता.' धनखड़ ने कहा कि संसद को लड़ाई का मैदान (अखाड़ा) नहीं बनने दिया जा सकता जहां सूचनाओं का खुला प्रसार हो.
उन्होंने कहा कि सांसद जो भी कहें, उन्हें उसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए. उन्होंने सांसदों से आत्ममंथन करने का आग्रह करते हुए कहा कि संसद चर्चा के लिए होती है, इसके बजाय इसे लगातार बाधित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस आचरण को लेकर कई लोगों ने नाराजगी व्यक्त की है. संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण 13 मार्च से शुरू होगा.
धनखड़ ने भारत पर टिप्पणी करने वाले विदेशी विशेषज्ञों को आड़े हाथों लिया - उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि आरबीआई जैसे संस्थानों में प्रमुख पदों पर थोड़े समय के लिए काम कर चुके कुछ विदेशी विशेषज्ञों की भारत के बारे में की गई टिप्पणियों पर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत आज अपनी कोशिशों के बल पर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है. इसके बावजूद कुछ लोग भारत के आर्थिक उदय के बारे में 'गलत धारणा' फैला रहे हैं.
धनखड़ ने कहा, 'हम किसी को भी इस देश के पसीने से मिली उपलब्धियों को कम करने, कलंकित करने और अपमानित करने की अनुमति नहीं दे सकते.' आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन की एक टिप्पणी के संदर्भ में उन्होंने कहा, 'कुछ लोग आरबीआई जैसे संस्थानों में प्रमुख पदों पर यहां आते हैं और यहां काम करते हैं. वे विदेश से आए और पद संभाला. जब कार्यकाल खत्म हो गया और नवीकरण नहीं किया गया, तो वे चले गए. इसके बाद वह कहते हैं कि 'भारत भोजन संकट का सामना कर सकता है.' उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को पता नहीं होगा कि सरकार 2020 से 80 करोड़ गरीबों को मुफ्त अनाज दे रही है.
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(पीटीआई-भाषा)