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Bhopal Unique library: कबाड़ से बनी एक अनोखी लाइब्रेरी, नाम रखा किताबी मस्ती, बच्चे करते हैं देखरेख - Children take care of Bhopal Library

Library Built with Waste Material in Bhopal: इंसान के पास अगर दिमाग हो और उसका सही उपयोग करना आता हो तो कुछ भी किया जा सकता है. कुछ ऐसा ही किया है भोपाल क एक झुग्गी बस्ती की 11 वीं की छात्रा मुस्कान अहिरवार ने. उसने आर्किटेक्ट के स्टूडेंट्स के साथ मिलकर कबाड़ के जुगाड़ से झुग्गी बस्ती में लाइब्रेरी बना डाली. इस लाइब्रेरी में 3 हजार किताबें हैं. रोजाना 30 बच्चे लाइब्रेरी में पहुंचते हैं. इस लाइब्रेरी को कैसे बनाया गया, और किन लोगों ने इसमें योगदान दिया, पढ़िए ईटीवी भारत के भोपाल से संवाददाता ब्रजेंद्र पटेरिया की खास रिपोर्ट...

library built with waste material in bhopal
कबाड़ से बनी एक अनोखी लाइब्रेरी
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 6, 2023, 9:05 PM IST

Updated : Oct 28, 2023, 8:02 PM IST

कबाड़ से बनी एक अनोखी लाइब्रेरी

भोपाल। किसी ने खूब कहा है... ''सुकून था जिंदगी में, किताबों की तरह, किताबें हमें पढ़ना सिखाती थी, एक छोटे बच्चे की मां की तरह... शहरी चकाचौंध का एक काला चेहरा झुग्गी बस्तियां होती है, जहां बच्चों की आंखों में चमक तो होती है, लेकिन अच्छी तालीम और अच्छी किताबें किसी सपने से कम नहीं होती.'' लेकिन मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की एक झुग्गी बस्ती में कबाड़ से बनी लाइब्रेरी ने यहां बच्चों को किताबें पढ़ने का चस्का लगा दिया है. इस लाइब्रेरी का नाम रखा गया है किताबी मस्ती. इस लाइब्रेरी में करीबन 3 हजार किताबें हैं, जहां हर शाम बड़ी संख्या में बच्चे पढ़ने के लिए पहुंचते हैं.

Bhopal Unique library
लाइब्रेरी में हजारों किताबें मौजूद हैं

छात्रा ने शुरू की थी लाइब्रेरी: इस लाइब्रेरी की शुरूआत इस झुग्गी बस्ती में रहने वाली 11 वीं की छात्रा मुस्कान अहिरवार ने करीबन 7 साल पहले की थी. उसे जहां से भी किताबें मिलती, झुग्गी बस्ती की तंग गली में अपने घर के बाहर एक रस्सी पर टांग देती थी. बच्चे आते, कुछ किताबों को पढ़ते, तो कुछ उनमें बने चित्रों को देखकर खुश होते. मुस्कान इन बच्चों को किताब पढ़ाती. धीरे-धीरे उसके किताबों का संसार बढ़ता गया, साथ ही उसके पास पहुंचने वाले बच्चों की संख्या भी. मुस्कान बताती है कि बस्ती के पास एक चबूतरा था, जो गणेश स्थापना और दुर्गा स्थापना के लिए बनाया गया था. उसके चारों तरफ चद्दर का शेड लगा हुआ था. उसने उस शेड में रस्सी बांधी और उस पर किताबों को टांगना शुरू कर दिया और इस तरह उसकी छोटी लाइब्रेरी शुरू हो गई.

Bhopal Unique library
रोजाना 30 बच्चे पढ़ाई करने लाइब्रेरी आते हैं

आर्किटेक्ट स्टूडेंट्स ने कबाड़ से बना दी लाइब्रेरी: स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों की नजर जब बच्ची के प्रयासों पर पड़ी, तो विभाग के अधिकारियों ने बच्चों की इस लाइब्रेरी में किताबें गिफ्त की. वहीं आर्किटेक्ट के स्टूडेंट्स ने नेशनल एसोसिएशन ऑफ स्टूडेंट्स ऑफ आर्किटेक्चर इंडिया कॉम्पटीशन के तहत इस लाइब्रेरी को रिनोवेट करने के प्रोजेक्ट को चुना.

Bhopal Unique library
लाइब्रेरी में कबाड़ के सामानों का उपयोग किया गया है

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एक महीने में बनकर तैयार लाइब्रेरी: प्रोजेक्ट की कोऑर्डिनेटर प्रियदर्शिता बताती हैं कि ''60 स्टूडेंट्स के ग्रुप ने एक महीने में इस लाइब्रेरी को तैयार कर दिया. इसके लिए कबाड़ के सामानों का उपयोग किया गया. भोपाल के कबाड़खाना मार्केट से पुराने टूटे हुए गेट, टीन के डिब्बे, नायलॉन प्लास्टिक शीट्स लेकर आए और इसे तैयार किया. लाइब्रेरी में टीन के डिब्बे लगाए गए, जिसमें किताबें रखी जा सकें. लाइब्रेरी के ऊपर बैंबू की फ्रेमिंग कर उस पर टोराकोटा को पेंट कर रीयूज किया गया.

Bhopal Unique library
लाइब्रेरी में सभी सुविधाएं मौजूद हैं

लाइब्रेरी में हर रोज आते हैं करीब 30 बच्चे: करीबन 3 हजार किताबों वाली इस लाइब्रेरी का नाम ''किताबी मस्ती'' दिया गया है. इस लाइब्रेरी में मुस्कान और वॉलेंटियर पंकज ठाकुर बच्चों का हर शाम स्कूल का होमवर्क कराते हैं. बाद में उन्हें किताबें पढ़ने के लिए देते हैं. पंकज कहते हैं कि ''यहां 10 वीं तक के बच्चों को कोर्स की तैयारी कराई जाती है. लाइब्रेरी में हर रोज करीब 30 बच्चे आते हैं.''

कबाड़ से बनी एक अनोखी लाइब्रेरी

भोपाल। किसी ने खूब कहा है... ''सुकून था जिंदगी में, किताबों की तरह, किताबें हमें पढ़ना सिखाती थी, एक छोटे बच्चे की मां की तरह... शहरी चकाचौंध का एक काला चेहरा झुग्गी बस्तियां होती है, जहां बच्चों की आंखों में चमक तो होती है, लेकिन अच्छी तालीम और अच्छी किताबें किसी सपने से कम नहीं होती.'' लेकिन मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की एक झुग्गी बस्ती में कबाड़ से बनी लाइब्रेरी ने यहां बच्चों को किताबें पढ़ने का चस्का लगा दिया है. इस लाइब्रेरी का नाम रखा गया है किताबी मस्ती. इस लाइब्रेरी में करीबन 3 हजार किताबें हैं, जहां हर शाम बड़ी संख्या में बच्चे पढ़ने के लिए पहुंचते हैं.

Bhopal Unique library
लाइब्रेरी में हजारों किताबें मौजूद हैं

छात्रा ने शुरू की थी लाइब्रेरी: इस लाइब्रेरी की शुरूआत इस झुग्गी बस्ती में रहने वाली 11 वीं की छात्रा मुस्कान अहिरवार ने करीबन 7 साल पहले की थी. उसे जहां से भी किताबें मिलती, झुग्गी बस्ती की तंग गली में अपने घर के बाहर एक रस्सी पर टांग देती थी. बच्चे आते, कुछ किताबों को पढ़ते, तो कुछ उनमें बने चित्रों को देखकर खुश होते. मुस्कान इन बच्चों को किताब पढ़ाती. धीरे-धीरे उसके किताबों का संसार बढ़ता गया, साथ ही उसके पास पहुंचने वाले बच्चों की संख्या भी. मुस्कान बताती है कि बस्ती के पास एक चबूतरा था, जो गणेश स्थापना और दुर्गा स्थापना के लिए बनाया गया था. उसके चारों तरफ चद्दर का शेड लगा हुआ था. उसने उस शेड में रस्सी बांधी और उस पर किताबों को टांगना शुरू कर दिया और इस तरह उसकी छोटी लाइब्रेरी शुरू हो गई.

Bhopal Unique library
रोजाना 30 बच्चे पढ़ाई करने लाइब्रेरी आते हैं

आर्किटेक्ट स्टूडेंट्स ने कबाड़ से बना दी लाइब्रेरी: स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों की नजर जब बच्ची के प्रयासों पर पड़ी, तो विभाग के अधिकारियों ने बच्चों की इस लाइब्रेरी में किताबें गिफ्त की. वहीं आर्किटेक्ट के स्टूडेंट्स ने नेशनल एसोसिएशन ऑफ स्टूडेंट्स ऑफ आर्किटेक्चर इंडिया कॉम्पटीशन के तहत इस लाइब्रेरी को रिनोवेट करने के प्रोजेक्ट को चुना.

Bhopal Unique library
लाइब्रेरी में कबाड़ के सामानों का उपयोग किया गया है

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एक महीने में बनकर तैयार लाइब्रेरी: प्रोजेक्ट की कोऑर्डिनेटर प्रियदर्शिता बताती हैं कि ''60 स्टूडेंट्स के ग्रुप ने एक महीने में इस लाइब्रेरी को तैयार कर दिया. इसके लिए कबाड़ के सामानों का उपयोग किया गया. भोपाल के कबाड़खाना मार्केट से पुराने टूटे हुए गेट, टीन के डिब्बे, नायलॉन प्लास्टिक शीट्स लेकर आए और इसे तैयार किया. लाइब्रेरी में टीन के डिब्बे लगाए गए, जिसमें किताबें रखी जा सकें. लाइब्रेरी के ऊपर बैंबू की फ्रेमिंग कर उस पर टोराकोटा को पेंट कर रीयूज किया गया.

Bhopal Unique library
लाइब्रेरी में सभी सुविधाएं मौजूद हैं

लाइब्रेरी में हर रोज आते हैं करीब 30 बच्चे: करीबन 3 हजार किताबों वाली इस लाइब्रेरी का नाम ''किताबी मस्ती'' दिया गया है. इस लाइब्रेरी में मुस्कान और वॉलेंटियर पंकज ठाकुर बच्चों का हर शाम स्कूल का होमवर्क कराते हैं. बाद में उन्हें किताबें पढ़ने के लिए देते हैं. पंकज कहते हैं कि ''यहां 10 वीं तक के बच्चों को कोर्स की तैयारी कराई जाती है. लाइब्रेरी में हर रोज करीब 30 बच्चे आते हैं.''

Last Updated : Oct 28, 2023, 8:02 PM IST
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