छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश में ऑनलाइन एजुकेशन और बच्चों को सरकारी स्कूलों में अच्छी शिक्षा देने के उद्देश्य को अब शिक्षक खुद ही पलीता लगाने में जुटे हुए हैं. शिक्षकों के रवैया के क्या हालात हैं इसकी मिसाल छिंदवाड़ा जिला कहा जा सकता है. बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाने के लिए सरकार ने शिक्षकों को टैबलेट खरीदने के लिए निर्देशित किया था शिक्षकों के खाते में पैसे भी डाले जा चुके हैं लेकिन मास्टर जी है कि उन्हें हाईटेक नहीं होना है!
टैबलेट खरीदने के निर्देश: बच्चों को अच्छी शिक्षा और मास्टर जी को तकनीकी रूप से अपडेट रहने के लिए हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूल में टैबलेट दिए जा रहे हैं. इसके लिए शिक्षकों को 10- 10 हजार रुपए की राशि जारी हुई है. साल 2021- 22 में 322 स्कूल में 645 टैबलेट लिए जा चुके हैं लेकिन इनका उपयोग ना के बराबर हो रहा है. शिक्षकों का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में नेटवर्क की समस्या के चलते टेबलेट का सही उपयोग नहीं हो पाता. एक बार फिर डिजिटल अपडेट के नाम से 1066 माध्यमिक एवं व्याख्याता शिक्षकों को टैबलेट खरीदने के लिए राशि जारी की गई है जिसमें से अभी तक 32 शिक्षकों ने ही टैबलेट खरीदा है जबकि इसकी निर्धारित तिथि 20 जुलाई रखी गई है.
स्कूलों में टैबलेट का क्या होगा उपयोग: शासन ने शिक्षकों को टैबलेट के जरिए एम शिक्षा मित्र से अटेंडेंस लगाने से लेकर स्कूल में शिक्षक संबंधी जानकारी का डाटा रहेगा. समय-समय पर शिक्षा विभाग की योजनाओं और पढ़ाने के लिए दिए जाने वाले निर्देश भी इन्हें टैबलेट के जरिए दिए जाएंगे. शैक्षणिक कार्य का विवरण रिजल्ट का विश्लेषण मैपिंग सहित सभी चीजें डिजिटली टैबलेट के जरिए होगी. इसके लिए उच्चतर माध्यमिक और व्याख्याता के बाद अब माध्यमिक शिक्षक अध्यापक के गणित, विज्ञान और अंग्रेजी विषय के शिक्षकों को भी टैबलेट खरीदने के आदेश मिले हैं.
मुसीबत से बचने के उपाय ढूंढ रहे मास्टर जी: टैबलेट खरीदने के बाद शिक्षकों को स्कूल में मौजूद रहकर ही अटेंडेंस लगाना होगा. इसके साथ ही बच्चों की अटेंडेंस मैपिंग और कई ऐसे काम जो ऑनलाइन स्कूल में रहकर ही करने होंगे जिसके लिए मास्टर जी को स्कूल में कम से कम 6 घंटे रहने होंगे लेकिन मास्टरजी स्कूल में रहने की मुसीबत नहीं पालना चाहते इसलिए कई तरह के बचने के उपाय ढूंढने जा रहे हैं.
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शिक्षकों को टैबलेट का रखना होगा ख्याल: टैबलेट 4 साल तक सरकारी संपत्ति रहेगी इसके बाद शिक्षकों से निजी तौर पर भी उपयोग में ला सकेंगे. हालांकि अगर इस दौरान टैबलेट में कोई टूट-फूट होती है या वह खो जाता है तो शिक्षक को अपने पैसे से दोबारा खरीदना होगा. जिन शिक्षकों के रिटायर होने में 2 साल से कम का समय बाकी है उनके लिए टैबलेट खरीदना वैकल्पिक है बाकी सभी को अनिवार्य रूप से खरीदना होगा.
शिक्षक नहीं दिखा रहे डिजिटल होने में रुचि: इस मामले में ईटीवी भारत ने जब कुछ शिक्षकों से बात की तो नाम नहीं छापने की शर्त पर उन्होंने बताया कि इसके पहले भी शिक्षा विभाग ने जिन स्कूलों में टैबलेट खरीदी करके दी थी वहां कई परेशानियां ही बहुत से स्कूलों में नेट की कमी होने के कारण से नहीं चलाया गया, जिसकी वजह से जिन स्कूलों में स्मार्ट क्लास की व्यवस्था है वहां शिक्षक अपने मोबाइल से ही कक्षाएं लगा रहे हैं.
टैबलेट के लिए बजट है कम: कुल 322 स्कूलों में टैबलेट लिए गए हैं जिनमें से बहुत से टैबलेट सिर्फ घरों में उपयोग आ रहे हैं. वहीं शिक्षकों का कहना है कि विभाग के आदेश के मुताबिक शिक्षक को टैबलेट खुद ही खरीदना है इसके लिए टैबलेट में रैम, मेमोरी, ऑपरेटिंग सिस्टम क्या और कैसे होंगे इसका निर्धारण किया गया है. शिक्षकों की माने तो जो मापदंड निर्धारित किए गए हैं उसके अनुसार 10 हजार रुपए में टैबलेट नहीं आ रहा है इसके लिए शिक्षकों को अपने जेब से भी पैसे लगाने पड़ेगें.
जिला शिक्षा अधिकारी जीएस बघेल ने बताया कि शासन के निर्देश पर टेबलेट खरीदने के लिए शिक्षकों को ₹10000 की राशि जारी हुई है पिछले साल भी 645 टेबलेट खरीदे गए थे किन-किन स्कूलों में उपयोग हो रहा है इसकी जानकारी सभी स्कूलों के प्राचार्य से मांगी गई है.