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MP News: मध्यप्रदेश का इकलौता ऐसा सरकारी स्कूल, जहां एडमिशन के लिए लगती है लाइनें, जानें क्या है खासियत

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में एक ऐसा सरकारी स्कूल है, जहां एडमिशन के लिए लोगों की लाइन लगती है. इस स्कूल में एडमिशन लेने के लिए टेस्ट में टॉप करना पड़ता है. जानिए इस स्कूल की खासियत...

Subhash School
सुभाष एक्सीलेंस स्कूल
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Published : Jul 2, 2023, 6:00 PM IST

Updated : Jul 2, 2023, 6:13 PM IST

एमपी का खास सरकारी स्कूल

भोपाल। आमतौर पर सरकारी स्कूलों की छवि प्राइवेट स्कूलों के मुकाबले कमजोर ही समझी जाती है, लेकिन मध्यप्रदेश एक सरकारी स्कूल ऐसा भी है, जहां कक्षा 11वीं में 90 फीसदी से कम अंक वाले स्टूडेंट्स को एडमिशन ही नहीं मिल पाता. यहां कक्षा 9वीं से बच्चों के एडमिशन के लिए परिजन लाइन लगाए रहते हैं. इसके बाद भी यहां एडमिशन उन्हें मिलता है, जो स्कूल द्वारा कराए जाने वाले टेस्ट में टॉप आते हैं. यह स्कूल है राजधानी का सुभाष एक्सीलेंस स्कूल. कक्षा 9 से 12 वीं तक चलने वाले इस स्कूल में करीबन 23 सौ स्टूडेंट्स हैं.

मैरिट में आते हैं इस स्कूल के बच्चे: स्कूल के प्रिंसिपल सुधाकर पाराशर कहते हैं कि इस स्कूल को 2002 में एक्सीलेंस स्कूल बनाया गया था, लेकिन सही मायनों में इसे एक्सीलेंस बनाने का काम हमारे टीचर्स और स्टूडेंट्स के समर्पण ने किया है. आज हमारे इस स्कूल में कक्षा 9 से 12 तक की कक्षाओं में करीब 23 स्टूडेंट्स हैं. इस स्कूल के रिजल्ट से इसके रिकॉर्ड को समझा जा सकता है. पिछले साल 12वीं के रिजल्ट में स्कूल के 8 बच्चे मैरिट में आए थे, जबकि कक्षा 10 वीं की मैरिट में 3 बच्चे हमारे स्कूल के थे. राज्य सरकार 85 प्रतिशत से ज्यादा अंक लाने वाले स्टूडेंट्स को लैपटॉप देती है. इस साल 12वीं क्लास के 565 बच्चों में से 399 बच्चों को लैपटॉप मिला है. वे कहते हैं इस स्कूल से पढ़कर निकलने वाले स्टूडेंट्स आईआईटीएन, सीएम, डॉक्टर बन चुके हैं.

Subhash School
सुभाष एक्सीलेंस स्कूल

एक्जाम से होता है एडमिशन: स्कूल में कक्षा 9वीं क्लास में एडमिशन के लिए एंट्रेंस टेस्ट कराया जाता है. इसमें 70 फीसदी से ज्यादा अंक लाने वाले को ही स्कूल में एडमिशन दिया जाता है. जबकि कक्षा 11वीं में एडमिशन के लिए कट ऑफ मार्क्स तय किया जाता है. इस बार पीसीएम सब्जेक्ट के लिए कट ऑफ मॉर्क्स 90 फीसदी रखा गया है. इस स्कूल में सुपर 100 स्कीम भी संचालित हैं, इसमें स्टूडेंट्स के लिए हॉस्टल की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है. इसमें प्रदेश के टॉप करने वाले स्टूडेंट्स को ही लिया जाता है.

यहां पढ़ें...

समर्पण ऐसा कि रात तक चलती हैं क्लासेस: प्रिंसिपल सुधारक पाराशर बताते हैं कि बच्चों से जुड़े रहने के लिए पेरेंट्स, टीचर और स्टूडेंट्स के व्हॉट्सअप गु्रप बनाए गए हैं. यहां ऐसे टीचर्स का ही चयन किया जाता है, जो अपने सब्जेक्ट में बेहतर हो और समर्पित भी हो. कई बार तो बच्चों की देर शाम तक क्लासेस चलती रहती हैं.

एमपी का खास सरकारी स्कूल

भोपाल। आमतौर पर सरकारी स्कूलों की छवि प्राइवेट स्कूलों के मुकाबले कमजोर ही समझी जाती है, लेकिन मध्यप्रदेश एक सरकारी स्कूल ऐसा भी है, जहां कक्षा 11वीं में 90 फीसदी से कम अंक वाले स्टूडेंट्स को एडमिशन ही नहीं मिल पाता. यहां कक्षा 9वीं से बच्चों के एडमिशन के लिए परिजन लाइन लगाए रहते हैं. इसके बाद भी यहां एडमिशन उन्हें मिलता है, जो स्कूल द्वारा कराए जाने वाले टेस्ट में टॉप आते हैं. यह स्कूल है राजधानी का सुभाष एक्सीलेंस स्कूल. कक्षा 9 से 12 वीं तक चलने वाले इस स्कूल में करीबन 23 सौ स्टूडेंट्स हैं.

मैरिट में आते हैं इस स्कूल के बच्चे: स्कूल के प्रिंसिपल सुधाकर पाराशर कहते हैं कि इस स्कूल को 2002 में एक्सीलेंस स्कूल बनाया गया था, लेकिन सही मायनों में इसे एक्सीलेंस बनाने का काम हमारे टीचर्स और स्टूडेंट्स के समर्पण ने किया है. आज हमारे इस स्कूल में कक्षा 9 से 12 तक की कक्षाओं में करीब 23 स्टूडेंट्स हैं. इस स्कूल के रिजल्ट से इसके रिकॉर्ड को समझा जा सकता है. पिछले साल 12वीं के रिजल्ट में स्कूल के 8 बच्चे मैरिट में आए थे, जबकि कक्षा 10 वीं की मैरिट में 3 बच्चे हमारे स्कूल के थे. राज्य सरकार 85 प्रतिशत से ज्यादा अंक लाने वाले स्टूडेंट्स को लैपटॉप देती है. इस साल 12वीं क्लास के 565 बच्चों में से 399 बच्चों को लैपटॉप मिला है. वे कहते हैं इस स्कूल से पढ़कर निकलने वाले स्टूडेंट्स आईआईटीएन, सीएम, डॉक्टर बन चुके हैं.

Subhash School
सुभाष एक्सीलेंस स्कूल

एक्जाम से होता है एडमिशन: स्कूल में कक्षा 9वीं क्लास में एडमिशन के लिए एंट्रेंस टेस्ट कराया जाता है. इसमें 70 फीसदी से ज्यादा अंक लाने वाले को ही स्कूल में एडमिशन दिया जाता है. जबकि कक्षा 11वीं में एडमिशन के लिए कट ऑफ मार्क्स तय किया जाता है. इस बार पीसीएम सब्जेक्ट के लिए कट ऑफ मॉर्क्स 90 फीसदी रखा गया है. इस स्कूल में सुपर 100 स्कीम भी संचालित हैं, इसमें स्टूडेंट्स के लिए हॉस्टल की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है. इसमें प्रदेश के टॉप करने वाले स्टूडेंट्स को ही लिया जाता है.

यहां पढ़ें...

समर्पण ऐसा कि रात तक चलती हैं क्लासेस: प्रिंसिपल सुधारक पाराशर बताते हैं कि बच्चों से जुड़े रहने के लिए पेरेंट्स, टीचर और स्टूडेंट्स के व्हॉट्सअप गु्रप बनाए गए हैं. यहां ऐसे टीचर्स का ही चयन किया जाता है, जो अपने सब्जेक्ट में बेहतर हो और समर्पित भी हो. कई बार तो बच्चों की देर शाम तक क्लासेस चलती रहती हैं.

Last Updated : Jul 2, 2023, 6:13 PM IST
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