शहडोल। भगवान श्री राम का नाम जाप करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. भक्ति करने के तरीके अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन लक्ष्य एक ही होता है. कोई मंदिरों में जाकर भगवान का नाम लेता है तो कोई घर में ही पूजा पाठ करता है तो कोई व्रत उपवास करके भक्ति करता है. कोई ध्यान लगाकर भक्ति करता है. लेकिन कलियुग में इन सबसे बढ़कर नाम जाप का महत्व है. बड़े सिद्ध संतों ने राम नाम लेखन का बहुत महत्व बताया है. रामभक्त पुरुषोत्तम असाटी राम नाम की ऐसी ही अलख जगा रहे हैं. वह अब तक 80 करोड़ से भी ज्यादा बार राम नाम लेखन का संकलन कर चुके हैं. Ram Devotee Collection 80 crore Names
80 करोड़ राम नाम का संकलन : रामभक्त पुरुषोत्तम दास असाटी शहडोल जिला मुख्यालय में ही रहते हैं. ये खुद अकेले ही राम नाम नहीं लिख रहे हैं बल्कि लोगों को भी राम के नाम को जपने के लिए लिखने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. उन्हें अपने साथ जोड़कर रखे हुए हैं और बाकायादा इसके लिए बुक छपवाते हैं, जिसे हर लिखने वाले को फ्री में पहुंचाते हैं और जरूरतमंद को पेन खरीदकर भी देते हैं. लोगों के बीच में भिजवाते हैं, जो भी राम का नाम लिखना चाहता है उन तक पहुंचवाते हैं और जब वह बुक भर जाती है, तो उनके पास से मंगवाकर उसे अपने पास एकत्रित करते हैं और सुरक्षित रखते हैं. पुरुषोत्तम दास असाटी बताते हैं कि अब तक वह करीब 80 करोड़ से भी ज्यादा राम नाम का संकलन कर चुके हैं, जिसमें से 30 करोड़ के करीब श्री सीताराम नाम बैंक अयोध्या में जमा करवा चुके हैं. बाकायदा उसकी पासबुक भी बनी हुई है, और 51 करोड़ के करीब अभी उनके पास हैं, उसे भी जल्द जमा करवा देंगे. Ram Devotee collection 80 crore names
जेल के कैदी भी जुड़े : खास बात यह है कि पुरुषोत्तम दास असाटी खुद तो राम नाम लिख ही रहे हैं. उनके लेखन का संकलन भी कर रहे हैं. साथ ही राम नाम लेखन के इस कार्य को करने के लिए अपने साथ कई लोगों को भी जोड़कर रखा है. जिसमें मध्यप्रदेश के अलग-अलग जगहों से भी लोग इसमें सहयोग कर रहे हैं. वह भी राम नाम लिख रहे हैं. बड़ी बात यह है कि जेल में कैदी भी अब राम नाम लिख रहे हैं और उनके साथ जुड़े हुए हैं. खाली समय में वह भी इस कार्य को कर रहे हैं और अपने पूर्व में किए गए गलत कार्यों का पश्चाताप कर रहे हैं. Ram Devotee collection 80 crore names
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कब से शुरू किया ये काम : पुरुषोत्तम दास असाटी बताते हैं कि वह पीएचई विभाग में एक्सक्यूटिव इंजीनियर के पद पर कार्यरत थे. 2003 में रिटायर हुए. फिर एक बार वह इंदौर गए. वहां से ओंकारेश्वर गए, जहां एक महात्मा किताब छपवाते थे. उनसे उन्होंने आग्रह किया था कि वो उन्हें बुक दें तो वो भी अपने क्षेत्र में छपवाकर भेज देंगे, लेकिन उन्होंने कहा कि आप अपने क्षेत्र में खुद ये कार्य करें. 2009 से राम नाम लेखन के कार्य को उन्होंने शुरू किया है, जो अभी तक जारी है. एक बुक में 11000 राम नाम लेखन का संकलन होता है. असाटी ने 2009 से राम नाम संकलन का कार्य शुरू किया, वह अब एक क्रांति में बदल चुका है. इसे एक अरब पहुंचाने का लक्ष्य है. उनके साथ धीरे-धीरे पूरे प्रदेश भर से लोग इस कार्य जुड़ चुके हैं. Ram Devotee collection 80 crore names