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भिखारी समझकर मदद करने पहुंची पुलिस, शार्प शूटर के रूप में हुई पहचान

एक शख्स जो कभी अपने डिपार्टमेट का एक शानदार पुलिसकर्मी ही नहीं, बल्कि शार्प शूटर हुआ करता था, वो आज ग्वालियर के झांसी रोड इलाके में सालों से सड़कों पर लावारिस घूमता पाया गया. कुछ पुलिसकर्मियों ने जब मदद करनी चाही, तो उसने पुलिसवालों के नाम लेकर बुलाए, ये देख पुलिसकर्मी भी चकित रह गए, बात करने पर वो पुलिस वालों का बैचमेट निकला.

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Published : Nov 13, 2020, 1:44 PM IST

Updated : Nov 13, 2020, 2:08 PM IST

manish
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ग्वालियर : मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले से जो तस्वीर सामने आई है उसे देखकर आंखें नम हो गईं. एक शख्स जो कभी अपने डिपार्टमेट का एक शानदार पुलिसकर्मी ही नहीं, बल्कि शार्प शूटर हुआ करता था, वो आज ग्वालियर के झांसी रोड इलाके में सालों से सड़कों पर लावारिस घूमता पाया गया. कुछ पुलिसकर्मियों ने जब मदद करनी चाही, तो उसने पुलिसवालों के नाम लेकर बुलाए, ये देख पुलिसकर्मी भी चकित रह गए, बात करने पर वो पुलिस वालों का बैचमेट निकला.

पुलिस अफसरों को कचरे के ढेर में ऐसा मिला अपना बैचमेट

10 साल पहले एसआई मनीष मिश्रा अचूक निशाने बाज हुआ करते थे, लेकिन उनकी मानसिक स्थिति के कारण आज कचरे के ढेर में दो वक्त की रोटी को तलाश रहे हैं. दरअसल, ठंड में कचरे के ढेर में जब एक भिखारी को खाना तलाश करते देखा, तो दो पुलिस अफसर रत्नेश तोमर और विजय भदौरिया उसके पास पहुंचे. किसी ने उसे जैकेट दी, तो किसी ने जूते. जब भिखारी को पुलिसकर्मियों ने खाने के लिए उनकी गाड़ी के पास तक चलने के लिए कहा, तो उसने दोनों के नाम लेकर पुकारा. अपना नाम सुनते ही दोनों पुलिसकर्मी चकित रह गए. बातचीत करने पर पता चला कि, ये उनका बैचमेट सब इंस्पेक्टर हैं. जो 1999 में सेलेक्ट हुआ था.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

कभी ग्वालियर के शार्प शूटर में होती थी गिनती

सब इंस्पेक्टर रहे मनीष मिश्रा के बारे में पुलिस अफसरों ने बताया कि, वह करीब पांच साल तक पुलिस डिपार्टमेंट की शान रहे. उसकी गिनती ग्वालियर चंबल के शार्प शूटर सब इंस्पेक्टर में होती थी. खास बात ये है कि, उनकी पत्नी भी न्यायिक सेवा में है, जबकि उनके पिता अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बनकर रिटायर्ड हुए हैं. बड़े भाई नगर निरीक्षक हैं, लेकिन मानसिक संतुलन खराब होने की वजह से मनीष मिश्रा पिछले 10 सालों से इधर-उधर भटक रहे हैं. घर वालों ने कई बार उनका इलाज कराने की कोशिश की, लेकिन वो हमेशा अस्पताल और पुनर्वास केंद्र से गायब हो जाते हैं. इसलिए अब घर वालों ने भी उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया है. वहीं पत्नी भी तलाक लेकर अलग हो चुकी है.

मानसिक संतुलन बिगड़ने के चलते भेजा पुर्नावास केंद्र पुनर्वास

पुलिस के मुताबिक मनीष मिश्रा के बारे में पता चला है कि, दतिया जिले में अपनी पोस्टिंग के दौरान ही वो गायब हो गए थे. काफी खोजबीन करने के बाद भी उनका पता नहीं चला था. बाद में जब वे तलाशे गए, तो उनकी हालत काफी खराब मिली. इंस्पेक्टर रत्नेश तोमर और विजय भदौरिया ने ग्वालियर की एक सामाजिक संस्था स्वर्ग सेवा सदन के आश्रम में मनीष मिश्रा को भिजवा दिया है.

ग्वालियर : मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले से जो तस्वीर सामने आई है उसे देखकर आंखें नम हो गईं. एक शख्स जो कभी अपने डिपार्टमेट का एक शानदार पुलिसकर्मी ही नहीं, बल्कि शार्प शूटर हुआ करता था, वो आज ग्वालियर के झांसी रोड इलाके में सालों से सड़कों पर लावारिस घूमता पाया गया. कुछ पुलिसकर्मियों ने जब मदद करनी चाही, तो उसने पुलिसवालों के नाम लेकर बुलाए, ये देख पुलिसकर्मी भी चकित रह गए, बात करने पर वो पुलिस वालों का बैचमेट निकला.

पुलिस अफसरों को कचरे के ढेर में ऐसा मिला अपना बैचमेट

10 साल पहले एसआई मनीष मिश्रा अचूक निशाने बाज हुआ करते थे, लेकिन उनकी मानसिक स्थिति के कारण आज कचरे के ढेर में दो वक्त की रोटी को तलाश रहे हैं. दरअसल, ठंड में कचरे के ढेर में जब एक भिखारी को खाना तलाश करते देखा, तो दो पुलिस अफसर रत्नेश तोमर और विजय भदौरिया उसके पास पहुंचे. किसी ने उसे जैकेट दी, तो किसी ने जूते. जब भिखारी को पुलिसकर्मियों ने खाने के लिए उनकी गाड़ी के पास तक चलने के लिए कहा, तो उसने दोनों के नाम लेकर पुकारा. अपना नाम सुनते ही दोनों पुलिसकर्मी चकित रह गए. बातचीत करने पर पता चला कि, ये उनका बैचमेट सब इंस्पेक्टर हैं. जो 1999 में सेलेक्ट हुआ था.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

कभी ग्वालियर के शार्प शूटर में होती थी गिनती

सब इंस्पेक्टर रहे मनीष मिश्रा के बारे में पुलिस अफसरों ने बताया कि, वह करीब पांच साल तक पुलिस डिपार्टमेंट की शान रहे. उसकी गिनती ग्वालियर चंबल के शार्प शूटर सब इंस्पेक्टर में होती थी. खास बात ये है कि, उनकी पत्नी भी न्यायिक सेवा में है, जबकि उनके पिता अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बनकर रिटायर्ड हुए हैं. बड़े भाई नगर निरीक्षक हैं, लेकिन मानसिक संतुलन खराब होने की वजह से मनीष मिश्रा पिछले 10 सालों से इधर-उधर भटक रहे हैं. घर वालों ने कई बार उनका इलाज कराने की कोशिश की, लेकिन वो हमेशा अस्पताल और पुनर्वास केंद्र से गायब हो जाते हैं. इसलिए अब घर वालों ने भी उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया है. वहीं पत्नी भी तलाक लेकर अलग हो चुकी है.

मानसिक संतुलन बिगड़ने के चलते भेजा पुर्नावास केंद्र पुनर्वास

पुलिस के मुताबिक मनीष मिश्रा के बारे में पता चला है कि, दतिया जिले में अपनी पोस्टिंग के दौरान ही वो गायब हो गए थे. काफी खोजबीन करने के बाद भी उनका पता नहीं चला था. बाद में जब वे तलाशे गए, तो उनकी हालत काफी खराब मिली. इंस्पेक्टर रत्नेश तोमर और विजय भदौरिया ने ग्वालियर की एक सामाजिक संस्था स्वर्ग सेवा सदन के आश्रम में मनीष मिश्रा को भिजवा दिया है.

Last Updated : Nov 13, 2020, 2:08 PM IST
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