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MP Phunsukh Wangdu: लाखों का पैकेज छोड़ देश के लिए इनोवेशन करने की ठानी, इनके बनाए उपकरण एम्स, मैनिट कर रहे इस्तेमाल - दोस्त प्यार से फुंशुक वांगडू कहते

Bhopal Phunsukh Wangdu: देश के लिए काम करने की चाह हर मन में होती है, कोई बार्डर पर जाकर लड़ना चाहता है तो कोई देश के भीतर आम लोगों के लिए कुछ करना चाहता है. ऐसे ही एक शख्स हैं भोपाल के, जिन्होंने लाखों रुपए की नौकरी इसलिए ठुकरा दी कि उनके इनोवेशन देश और सरकारी संस्थाओं के काम आए. उन्हें उनके दोस्त प्यार से फुंशुक वांगडू कहते हैं.

Bhopal Phunsukh Wangdu
फुंशुक वांगडू शरद शर्मा
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Published : Aug 14, 2023, 10:44 PM IST

लाखों का पैकेज छोड़ देश के लिए इनोवेशन करने की ठानी

भोपाल। फुंंशुक वागड़ू वो शख्स था, जिसने अपने छोटे-छोटे अविष्कार से आम आदमी के जीवन को सहज और सरल बनाया. भोपाल के शरद शर्मा भी इसी मिशन में जुटे हैं. जब ईटीवी भारत की टीम इनके कल्पना नगर स्थित वर्कशॉप कम ऑफिस में पहुंची तो यह किसानों के लिए एक एग्री रोबो बनाने में मश्गूल दिखाई दिए, यह इनाेवेशन खेतों में कीटनाशकों को खत्म करने में काम आएगा. शरद खुद और उनकी पूरी टीम इस काम में जुटी है, लेकिन जिस काम के लिए इन दिनों वे चर्चा में है, वह है ड्रायर माइक्रोवेव. यह माइक्रोवेव पुलिस द्वारा क्राइम सीन पर मिले सैंपल को बैक्टीरिया और फंगस के कारण खराब होने से बचाएंगे, देश में पहली बार इस तरह का माइक्रोवेव सैंपल ड्रायर भोपाल में तैयार किया गया है.

शरद शर्मा ने किया कमाल का काम: शरद शर्मा ने बताया कि "मुझे एम्स भोपाल ने बुलाया था और कहा कि हमें इस तरह का कुछ चाहिए, उन्हें मेरा नाम मैनिट की तरफ से सुझाया गयाा था, क्योंकि मैं पहले मैनिट के लिए कुछ इनोवेशन कर चुका हूं. जब उन्होंने पूछा कि सैंपल ड्रायर माइक्रोवेव में ऐसा क्या खास है कि इसकी इतनी चर्चा है, तो मैंने बताया कि बाकी माइक्रोवेव और इसमें फर्क इतना होता है कि माइक्रोवेव में रखे फूड आइटम को हर तरफ से गर्मी मिलती है, जबकि मेरे बनाए सैंपल ड्रायर माइक्रोवेव में चारों तरफ से उसमें रखे सामान को हवा मिलेगी. इसके भीतर सैंपल की नमी को सुखाने का काम किया जा रहा है, पहले ब्लड, सीमन जैसे सैंपल को फैन की हवा में सुखाया जाता था और इस काम में लगभग दस से 12 घंटे का समय लग जाता था, जबकि मेरा बनाया हुआ सैंपल ड्रायर बमुकिश्ल 39 मिनट लेगा." इस मामले में फॉरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी विभाग के डॉ. राघवेंद्र कुमार विदुआ बताते हैं कि "यह काफी अच्छा इनोवेशन है और यह सफल है. शरद ने कमाल का काम किया है."

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एक कमरे का ऑफिस, उसी में करते हैं शोध कार्य: शरद ने भोपाल की बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की है, इसके बाद उन्हें कई कंपनियों के ऑफर आए, लेकिन उन्होंने अपना कुछ करने का मन बनाया. कल्पना नगर में एक छोटे से कमरे में वे अपनी टीम के साथ लगातार नया आयडियाज पर काम करते हैं, उन्होंने कोविड के दौरान सबसे सस्ता और तेजी से काम करने वाला वेंटीलेटर बनाया था. तब इसकी खूब तारीफ हुई थी, लेेकिन बहुत लोगों को पता नहीं था कि यह कमाल शरद और उनकी टीम का है. इसके अलावा वे एक ऐसा सिंक बना चुके हैं, जिसमें लगा नल आपके हाथ में अच्छे से साबुन लगने के बाद ही पानी छोड़ता है. शरद बताते हैं कि "मुझे सहयोग मिला तो मैं ऐसे उपकरण का निर्माण करूंगा, जो लोगों की जिंदगी को आसान बनाएंगे और सस्ते भी होंगे."

लाखों का पैकेज छोड़ देश के लिए इनोवेशन करने की ठानी

भोपाल। फुंंशुक वागड़ू वो शख्स था, जिसने अपने छोटे-छोटे अविष्कार से आम आदमी के जीवन को सहज और सरल बनाया. भोपाल के शरद शर्मा भी इसी मिशन में जुटे हैं. जब ईटीवी भारत की टीम इनके कल्पना नगर स्थित वर्कशॉप कम ऑफिस में पहुंची तो यह किसानों के लिए एक एग्री रोबो बनाने में मश्गूल दिखाई दिए, यह इनाेवेशन खेतों में कीटनाशकों को खत्म करने में काम आएगा. शरद खुद और उनकी पूरी टीम इस काम में जुटी है, लेकिन जिस काम के लिए इन दिनों वे चर्चा में है, वह है ड्रायर माइक्रोवेव. यह माइक्रोवेव पुलिस द्वारा क्राइम सीन पर मिले सैंपल को बैक्टीरिया और फंगस के कारण खराब होने से बचाएंगे, देश में पहली बार इस तरह का माइक्रोवेव सैंपल ड्रायर भोपाल में तैयार किया गया है.

शरद शर्मा ने किया कमाल का काम: शरद शर्मा ने बताया कि "मुझे एम्स भोपाल ने बुलाया था और कहा कि हमें इस तरह का कुछ चाहिए, उन्हें मेरा नाम मैनिट की तरफ से सुझाया गयाा था, क्योंकि मैं पहले मैनिट के लिए कुछ इनोवेशन कर चुका हूं. जब उन्होंने पूछा कि सैंपल ड्रायर माइक्रोवेव में ऐसा क्या खास है कि इसकी इतनी चर्चा है, तो मैंने बताया कि बाकी माइक्रोवेव और इसमें फर्क इतना होता है कि माइक्रोवेव में रखे फूड आइटम को हर तरफ से गर्मी मिलती है, जबकि मेरे बनाए सैंपल ड्रायर माइक्रोवेव में चारों तरफ से उसमें रखे सामान को हवा मिलेगी. इसके भीतर सैंपल की नमी को सुखाने का काम किया जा रहा है, पहले ब्लड, सीमन जैसे सैंपल को फैन की हवा में सुखाया जाता था और इस काम में लगभग दस से 12 घंटे का समय लग जाता था, जबकि मेरा बनाया हुआ सैंपल ड्रायर बमुकिश्ल 39 मिनट लेगा." इस मामले में फॉरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी विभाग के डॉ. राघवेंद्र कुमार विदुआ बताते हैं कि "यह काफी अच्छा इनोवेशन है और यह सफल है. शरद ने कमाल का काम किया है."

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