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Success Story: नर्मदा की रेत में लगाई दौड़, अब हैं राष्ट्रीय चैंपियन, जानें पोल वॉल्ट प्लेयर नितिका की कहानी

संघर्ष की हर किसी की अपनी कहानी होती है, पोल वॉल्ट में मध्यप्रदेश की इकलौती महिला खिलाड़ी नितिका जब 3 साल की थी तब उनके पिता ने उन्हें मामा के यहां छोड़ दिया. परिवार की स्थिति ठीक नहीं होने के बाद भी नितिका आज राष्ट्रीय चैंपियन है.

vault game player Nitika
पोल वॉल्ट में जंप मारती नितिका
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Published : Jun 10, 2023, 8:16 PM IST

Updated : Jun 10, 2023, 10:06 PM IST

पोल वॉल्ट खिलाड़ी नितिका

भोपाल। कोई खिलाड़ी जब बुलंदियों पर होता है तो उसे सिर्फ जीत और हार की दृष्टि से ही पहचाना जाता है. वह जीत जाता है तो सबकी पलकों पर और हार जाता है तो लोग उसे पूछते भी नहीं है. लेकिन इन खिलाड़ियों के जीवन में इनके पीछे कई संघर्ष की कहानियां है. इन्हीं में से एक है नितिका आकरे. भोपाल के पास देवास के एक छोटे से गांव में रहने वाली नीतिका, फिलहाल पोल वॉल्ट यानी बांस कूद में राष्ट्रीय चैंपियन खिलाड़ी हैं और मध्य प्रदेश से इस खेल में नाम कमाने वाली पहली महिला खिलाड़ी.

Women player success story
ओलंपिक में मेडल जीतना नितिका का सपना

मामा ने किया पालन-पोषण: नितिका बताती हैं कि उनके पिता किसान हैं. देवास के खातेगांव के पास ही इनका घर है. घर में मां बाप के अलावा एक भाई है. पिता किसानी करते हैं और उसी से परिवार का भरण पोषण होता था. ऐसे में जब नितिका 3 साल की थी तब परिवार की पारिवारिक स्थिति ठीक नहीं थी इसलिए पिता ने उन्हें अपने साले यानी नितिका के मामा के यहां रहने छोड़ दिया. परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के चलते नितिका का भरण पोषण मामा के घर पर ही हुआ और यहीं पर मामा ने ही उन्हें खेलों से जुड़ने के लिए प्रयास शुरू किया. नितिका कहती हैं कि अगर उनके मामा नहीं होते तो वह आज इस मुकाम पर नहीं होती क्योंकि उन्होंने ही इन्हें पाल-पोष कर बड़ा किया है और शिक्षा भी दिलाई है.

pole vault player nitika
मध्यप्रदेश की इकलौती महिला पोल वॉल्ट खिलाड़ी

नर्मदा की रेत पर रनिंग की शुरुआत: नितिका बताती हैं कि खातेगांव में जिस जगह पर इनके मामा का घर है वहां से थोड़ा किलोमीटर दूर ही नर्मदा नदी भी बहती है, और नर्मदा से निकलने वाली नहर भी उनके गांव के पास से जाती है. ऐसे में इनके मामा नितिका को सुबह-सुबह नर्मदा में डुबकी लगाकर नर्मदा के किनारे ही दौड़ लगवाया करते थे. रेत पर दौड़ लगाने के कारण नितिका की रनिंग अच्छी होनी शुरू हो गई और वह स्कूल में भी कई अवार्ड जीतने लगी. जिसके बाद उन्होने भोपाल के टीटी नगर स्टेडियम में रनिंग के लिए ट्रायल दिए.

pole vault player nitika
पोल वॉल्ट में जंप मारती नितिका

कोच ने दी दौड़ने की सलाह: यह बताती हैं कि पहले यह रनर ही बनना चाहती थी और दौड़ में भी अच्छा मुकाम हासिल था लेकिन यहां इनके कोच ने उन्हें सलाह दी कि दौड़ने से अच्छा है. तुम बांस कूद यानी पोल वाल्ट खेल में ट्रायल दो जिससे कि तुम्हें आगे नई ऊंचाइयों मिल सकेगी क्योंकि रनिंग में कॉन्पिटिशन ज्यादा था और बच्चे ज्यादा होने के कारण मौका कम था. जबकि इस खेल में कंपटीशन तो है लेकिन कम ही लोग इसे खेला करते हैं. ऐसे में नितिका ने भी इस खेल को चुनाव और मात्र 3 से 4 साल के संघर्ष के बाद ही उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर मेडल हासिल कर लिया.

Women player nitika
नितिका है राष्ट्रीय चैंपियन

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ओलंपिक में पदक जीतना सपना: भोपाल के टीटी नगर स्टेडियम में चल रहे स्कूल नेशनल गेम्स में भी नितिका ने गोल्ड मेडल अपने नाम किया है. वह कहती हैं कि इसके पहले वह कुवैत में हुए इंटरनेशनल एशियन गेम में भी पार्टिसिपेट करने गई थी , लेकिन यहां उन्हें फोर्थ रैंक हासिल हुई थी. नितिका बताती है कि परिवार की स्थिति भले ही कमजोर रही हो लेकिन उन्होंने कुछ कर गुजरने की मन में ठान रखी थी. ऐसे में जो भी व्यक्ति या खिलाड़ी खेल में आना चाहते हैं और कुछ कर गुजरना चाहते हैं ,तो उन्हें अपनी प्रैक्टिस पर ध्यान रखना चाहिए. अपने खेल के प्रति कंसर्टेशन बनाकर रखें, साथ ही अपने लक्ष्य को भी निर्धारित कर लें. तब आपको सफलता मिल जाती है. नितिका अभी भी सुबह शाम लगातार प्रैक्टिस करती हैं वह कहती हैं कि उनका सपना है कि ओलंपिक में इस खेल में भारत के लिए पदक लेकर आएं और अपने परिवार का नाम देश और दुनिया में रोशन करें.

पोल वॉल्ट खिलाड़ी नितिका

भोपाल। कोई खिलाड़ी जब बुलंदियों पर होता है तो उसे सिर्फ जीत और हार की दृष्टि से ही पहचाना जाता है. वह जीत जाता है तो सबकी पलकों पर और हार जाता है तो लोग उसे पूछते भी नहीं है. लेकिन इन खिलाड़ियों के जीवन में इनके पीछे कई संघर्ष की कहानियां है. इन्हीं में से एक है नितिका आकरे. भोपाल के पास देवास के एक छोटे से गांव में रहने वाली नीतिका, फिलहाल पोल वॉल्ट यानी बांस कूद में राष्ट्रीय चैंपियन खिलाड़ी हैं और मध्य प्रदेश से इस खेल में नाम कमाने वाली पहली महिला खिलाड़ी.

Women player success story
ओलंपिक में मेडल जीतना नितिका का सपना

मामा ने किया पालन-पोषण: नितिका बताती हैं कि उनके पिता किसान हैं. देवास के खातेगांव के पास ही इनका घर है. घर में मां बाप के अलावा एक भाई है. पिता किसानी करते हैं और उसी से परिवार का भरण पोषण होता था. ऐसे में जब नितिका 3 साल की थी तब परिवार की पारिवारिक स्थिति ठीक नहीं थी इसलिए पिता ने उन्हें अपने साले यानी नितिका के मामा के यहां रहने छोड़ दिया. परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के चलते नितिका का भरण पोषण मामा के घर पर ही हुआ और यहीं पर मामा ने ही उन्हें खेलों से जुड़ने के लिए प्रयास शुरू किया. नितिका कहती हैं कि अगर उनके मामा नहीं होते तो वह आज इस मुकाम पर नहीं होती क्योंकि उन्होंने ही इन्हें पाल-पोष कर बड़ा किया है और शिक्षा भी दिलाई है.

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मध्यप्रदेश की इकलौती महिला पोल वॉल्ट खिलाड़ी

नर्मदा की रेत पर रनिंग की शुरुआत: नितिका बताती हैं कि खातेगांव में जिस जगह पर इनके मामा का घर है वहां से थोड़ा किलोमीटर दूर ही नर्मदा नदी भी बहती है, और नर्मदा से निकलने वाली नहर भी उनके गांव के पास से जाती है. ऐसे में इनके मामा नितिका को सुबह-सुबह नर्मदा में डुबकी लगाकर नर्मदा के किनारे ही दौड़ लगवाया करते थे. रेत पर दौड़ लगाने के कारण नितिका की रनिंग अच्छी होनी शुरू हो गई और वह स्कूल में भी कई अवार्ड जीतने लगी. जिसके बाद उन्होने भोपाल के टीटी नगर स्टेडियम में रनिंग के लिए ट्रायल दिए.

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पोल वॉल्ट में जंप मारती नितिका

कोच ने दी दौड़ने की सलाह: यह बताती हैं कि पहले यह रनर ही बनना चाहती थी और दौड़ में भी अच्छा मुकाम हासिल था लेकिन यहां इनके कोच ने उन्हें सलाह दी कि दौड़ने से अच्छा है. तुम बांस कूद यानी पोल वाल्ट खेल में ट्रायल दो जिससे कि तुम्हें आगे नई ऊंचाइयों मिल सकेगी क्योंकि रनिंग में कॉन्पिटिशन ज्यादा था और बच्चे ज्यादा होने के कारण मौका कम था. जबकि इस खेल में कंपटीशन तो है लेकिन कम ही लोग इसे खेला करते हैं. ऐसे में नितिका ने भी इस खेल को चुनाव और मात्र 3 से 4 साल के संघर्ष के बाद ही उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर मेडल हासिल कर लिया.

Women player nitika
नितिका है राष्ट्रीय चैंपियन

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ओलंपिक में पदक जीतना सपना: भोपाल के टीटी नगर स्टेडियम में चल रहे स्कूल नेशनल गेम्स में भी नितिका ने गोल्ड मेडल अपने नाम किया है. वह कहती हैं कि इसके पहले वह कुवैत में हुए इंटरनेशनल एशियन गेम में भी पार्टिसिपेट करने गई थी , लेकिन यहां उन्हें फोर्थ रैंक हासिल हुई थी. नितिका बताती है कि परिवार की स्थिति भले ही कमजोर रही हो लेकिन उन्होंने कुछ कर गुजरने की मन में ठान रखी थी. ऐसे में जो भी व्यक्ति या खिलाड़ी खेल में आना चाहते हैं और कुछ कर गुजरना चाहते हैं ,तो उन्हें अपनी प्रैक्टिस पर ध्यान रखना चाहिए. अपने खेल के प्रति कंसर्टेशन बनाकर रखें, साथ ही अपने लक्ष्य को भी निर्धारित कर लें. तब आपको सफलता मिल जाती है. नितिका अभी भी सुबह शाम लगातार प्रैक्टिस करती हैं वह कहती हैं कि उनका सपना है कि ओलंपिक में इस खेल में भारत के लिए पदक लेकर आएं और अपने परिवार का नाम देश और दुनिया में रोशन करें.

Last Updated : Jun 10, 2023, 10:06 PM IST
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