आमला(बैतूल)। एक तरफ राज्य सरकार गांव-गांव में सड़कों का जाल बिछाने का दावा कर विकास पर्व मना रही है, वहीं जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बंया कर रहा है. एमपी के बैतूल जिले के आमला क्षेत्र में एक व्यक्ति को अपने दामाद का शव बैलगाड़ी में रखकर पोस्टमार्टम कराने के लिए ले जाना पड़ा. पोस्टमार्टम कराने के बाद शव को बैलगाड़ी से ही घर लेकर आना पड़ा. दरअसल, शव वाहन या एंबुलेंस नहीं मिलने के कारण मजबूरी में बैलगाड़ी से शव को ढोना पड़ा. ऐसी स्थिति देखने के बावजूद जिम्मेदारों को ग्रामीण पर तरस नहीं आया और किसी ने भी उसे शव वाहन उपलब्ध नहीं कराया.
क्या है पूरा मामला : आमला विधानसभा क्षेत्र के तोरणवाडा पंचायत के तहत टप्पाढाना गांव आता है. इस गांव की आमला मुख्यालय से दूरी 4 किमी दूर है. टप्पाढाना गांव के संतोष पिता कामजी उइके की मौत डैम में डूबने से हो गई थी. परिजनों ने इस घटना की पुलिस को सूचना दी. इसके बाद बैतूल से आई गोताखोरों और पुलिस की टीम की मदद से डैम से शव निकाला गया. पुलिस ने पंचनामा तो बनाया, लेकिन शव वाहन की व्यवस्था नहीं की. इस कारण मृतक के ससुर बल्लू धुर्वे को बैलगाड़ी से दामाद का शव पीएम के लिए लाना पड़ा. आमला स्वास्थ्य केंद्र में पीएम होने के बावजूद मृतक के परिजनों को शव वापस गांव लें जाने के लिए भी कोई वाहन उपलब्ध नहीं कराया गया.
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टप्पाढाना तक नहीं पक्की सड़क : टप्पाढाना गांव तक पक्की सड़क नहीं है. तोरणवाडा से गांव की दूरी 2 किमी है. ग्राम के मनोज वटके, बस्तीराम, गणेश चौहान, राजेश धुर्वे ने बताया कि 25 घरों की ये आदिवासियों की बस्ती है. बारिश के मौसम में मार्ग दलदल होने से पैदल बमुश्किल निकल पाते हैं. वहीं, पंचायत सचिव संतराव देशमुख ने बताया कि रास्ता खराब होने पर शव को अस्पताल ले जाने के लिए सरपंच को ट्रैक्टर की व्यवस्था करने को कहा था, लेकिन उन्होंने क्यों वाहन नहीं दिया, इस संबंध में कुछ पता नहीं. सिविल अस्पताल के बीएमओ डॉ.अशोक नरवरे ने बताया कि अस्पताल में शव वाहन नहीं है. वहीं, आमला थाना के एएसआई मूलचंद्र अनंत ने बताया कि शव वाहन की व्यवस्था नहीं हो पाई थी.