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MP News: 'ब्राह्मण द ग्रेट' के लेखक IAS नियाज खान की नसीहत, योग करें मुसलमान...ये सिर्फ एक्सरसाइज है

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Published : Jun 13, 2023, 8:40 PM IST

अक्सर अपनी बातों और पुस्तक को लेकर चर्चा में रहने वाले मध्यप्रदेश के आईएएस ऑफिसर नियाज खान ने ईटीवी भारत से बात की. जहां उन्होंने मुस्लिम लोगों को योग करने की सलाह दी है.

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आईएएस नियाज खान की ईटीवी भारत से बात

भोपाल। ब्राह्मण द ग्रेट किताब लिखकर मशहूर हुए एमपी के आईएएस नियाज खान ने कहा है कि बड़ा ज़हन रखकर मुसलमानों को भी योग करना चाहिए. तुलसी जैसे मेडिशनल प्लांट को अपनाने में भी कोई बुराई नहीं है. नियाज खान का कहना है कि रंगों के साथ पशुओं और पौधों को बांटा धरती पर गया है. कुदरत ने तो सबके लिए सब कुछ दिया है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में नियाज खान ने पर्यावरण बचाने को लेकर कहा कि वो दिन दूर नहीं जब हरियाली पर वोट डाले जाएंगे. जो पार्टी दावा करेगी कि वो धरती को हरा भरा करेगी वोट उसे ही मिलेगा. राष्ट्रीय मुस्लिम मंच भी योग और तुलसी को मुस्लिमों के बीच पहुंचाने के लिए अभियान चला रहा है.

योग को धर्म के खांचे में मत डालिए: वरिष्ठ आईएएस नियाज खान मुस्लिमों के लिए भी योग की पैरवी करते हैं. उनका कहना है कि योग को धर्म से जोड़ा नहीं जा सकता. ये वंडरफुल एक्सरसाइज है. आज देखिए तो यूरोप, अमेरिका सब जगह योग हो रहा है. योग से बॉडी के पार्ट मजबूत होते हैं, चूंकि इसे हिंदू धर्म से जोड़ा गया, इसलिए एक समुदाय इससे झिझकता है, लेकिन मैं ये मानता हूं कि ये एक शानदार एक्सरसाइज है. मैंने खुद योग से ही अपनी खांसी ठीक की है. योग सबके लिए एसेट है, इसे धर्म से नहीं जोड़ना चाहिए.

IAS Niyaz Khan
नियाज खान आईएएस

हर पौधा कुदरत का क्रिएशन तुलसी भी: नियाज खान से जब राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के मुसलमानों के बीच जन्नत का पौधा यानि तुलसी के पहुंचाने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि दुनिया को कुछ लोगों ने रंगों में बांट डाला है. पेड़ों में बदल डाला है, लेकिन पौधा तो कुदरत ने बनाया है, वो सबके लिए है. तुलसी का मैंने अध्ययन किया है. वो मेडिसनल प्लांट है, एंटी वायरल है. एंटी बैक्टिरियल है. उसे सिर्फ एक समुदाय विशेष के पौधे के तौर पर ना देखें. नियाज खान ने कहा कि मुसलमानों को दृष्टिकोण व्यापक करना होगा. पूरी दुनिया में मुस्लिमों का दृष्टिकोण व्यापक हुआ है. यहां भी बड़े दिमाग से सोचना होगा. मैं मुसलमान हूं, मैंने मुस्लिम होकर ब्राह्मण द ग्रेट लिखा. क्या ये एतिहासिक घटना नहीं. इतिहास गवाह है कि साधु संतों ने मुस्लिमों से कभी नफरत नहीं की. ब्राह्मण तो उनके एडवाइजर रहे हैं. ब्राह्मण का आर्शीवाद मुसलमानों को मिला है.

कुछ खबरें यहां पढ़ें...

जो हरियाली बढ़ाएगा वोट पाएगा: पर्यावरण को लेकर नियाज खान कहते हैं मैंने कहा है कि अगर विकास हो रहा है तो मातम करो वो इसलिए कहा है कि धरती मां की हत्या होती है. जब कोई नई बिल्डिंग, कोई नई सड़क, कोई नया क्रांक्रीट का जाल खड़ा होता है. विकास का पहला हमला ही धरती मां पर होता है. फिर ये लगातार चलता है. सनातन में हम जीवन की बात करते है. सनातन में तो प्रकृति को पूजना बताया गया है. मैं दावे के साथ कह सकता हूं एक समय आएगा जब विकास पर नहीं इस बात पर वोट पड़ेंगे कि हरियाली कौन लाएगा.

आईएएस नियाज खान की ईटीवी भारत से बात

भोपाल। ब्राह्मण द ग्रेट किताब लिखकर मशहूर हुए एमपी के आईएएस नियाज खान ने कहा है कि बड़ा ज़हन रखकर मुसलमानों को भी योग करना चाहिए. तुलसी जैसे मेडिशनल प्लांट को अपनाने में भी कोई बुराई नहीं है. नियाज खान का कहना है कि रंगों के साथ पशुओं और पौधों को बांटा धरती पर गया है. कुदरत ने तो सबके लिए सब कुछ दिया है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में नियाज खान ने पर्यावरण बचाने को लेकर कहा कि वो दिन दूर नहीं जब हरियाली पर वोट डाले जाएंगे. जो पार्टी दावा करेगी कि वो धरती को हरा भरा करेगी वोट उसे ही मिलेगा. राष्ट्रीय मुस्लिम मंच भी योग और तुलसी को मुस्लिमों के बीच पहुंचाने के लिए अभियान चला रहा है.

योग को धर्म के खांचे में मत डालिए: वरिष्ठ आईएएस नियाज खान मुस्लिमों के लिए भी योग की पैरवी करते हैं. उनका कहना है कि योग को धर्म से जोड़ा नहीं जा सकता. ये वंडरफुल एक्सरसाइज है. आज देखिए तो यूरोप, अमेरिका सब जगह योग हो रहा है. योग से बॉडी के पार्ट मजबूत होते हैं, चूंकि इसे हिंदू धर्म से जोड़ा गया, इसलिए एक समुदाय इससे झिझकता है, लेकिन मैं ये मानता हूं कि ये एक शानदार एक्सरसाइज है. मैंने खुद योग से ही अपनी खांसी ठीक की है. योग सबके लिए एसेट है, इसे धर्म से नहीं जोड़ना चाहिए.

IAS Niyaz Khan
नियाज खान आईएएस

हर पौधा कुदरत का क्रिएशन तुलसी भी: नियाज खान से जब राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के मुसलमानों के बीच जन्नत का पौधा यानि तुलसी के पहुंचाने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि दुनिया को कुछ लोगों ने रंगों में बांट डाला है. पेड़ों में बदल डाला है, लेकिन पौधा तो कुदरत ने बनाया है, वो सबके लिए है. तुलसी का मैंने अध्ययन किया है. वो मेडिसनल प्लांट है, एंटी वायरल है. एंटी बैक्टिरियल है. उसे सिर्फ एक समुदाय विशेष के पौधे के तौर पर ना देखें. नियाज खान ने कहा कि मुसलमानों को दृष्टिकोण व्यापक करना होगा. पूरी दुनिया में मुस्लिमों का दृष्टिकोण व्यापक हुआ है. यहां भी बड़े दिमाग से सोचना होगा. मैं मुसलमान हूं, मैंने मुस्लिम होकर ब्राह्मण द ग्रेट लिखा. क्या ये एतिहासिक घटना नहीं. इतिहास गवाह है कि साधु संतों ने मुस्लिमों से कभी नफरत नहीं की. ब्राह्मण तो उनके एडवाइजर रहे हैं. ब्राह्मण का आर्शीवाद मुसलमानों को मिला है.

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जो हरियाली बढ़ाएगा वोट पाएगा: पर्यावरण को लेकर नियाज खान कहते हैं मैंने कहा है कि अगर विकास हो रहा है तो मातम करो वो इसलिए कहा है कि धरती मां की हत्या होती है. जब कोई नई बिल्डिंग, कोई नई सड़क, कोई नया क्रांक्रीट का जाल खड़ा होता है. विकास का पहला हमला ही धरती मां पर होता है. फिर ये लगातार चलता है. सनातन में हम जीवन की बात करते है. सनातन में तो प्रकृति को पूजना बताया गया है. मैं दावे के साथ कह सकता हूं एक समय आएगा जब विकास पर नहीं इस बात पर वोट पड़ेंगे कि हरियाली कौन लाएगा.

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