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मध्यप्रदेश निकाय चुनाव: कम वोटिंग से BJP बेचैन! आयोग को बताया जिम्मेदार, अब एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ रहे अधिकारी - madhya pradesh news in hindi

एमपी निकाय चुनाव में कम हुई वोटिंग ने भाजपानेताओं की टेंशन बढ़ा दी है, जिसके चलते अब बीजेपी निर्वाचन आयोग को जिम्मेदार ठहरा रही है. वहीं निर्वाचन आयोग केंद्रीय कर्मचारियों पर ठीकरा फोड़ता नजर आ रहा है. (MP Local Election 2022) (BJP blames Election Commission for low voting)

BJP blames Election Commission for low voting in MP Urban Body Election 2022
भाजपा ने निर्वाचन आयोग को बताया कम वोटिंग होने का जिम्मेदार
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Published : Jul 10, 2022, 2:24 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में कम हुई वोटिंग को लेकर सियासत अभी भी जारी है, सत्ताधारी बीजेपी को लगता है कि कम वोटिंग परसेंटेज उसके लिए निकाय चुनाव में खतरा बन सकता है. लिहाजा पूरी बीजेपी एक साथ निर्वाचन आयोग को जिम्मेदार ठहरा रही है, बड़े महानगरों में लाखों वोटर्स वोट डालने से वंचित रह गए, ज्यादातर लोग पोलिंग बूथ ढूंढते रहे कि उनकी पर्ची कहां है लेकिन वह नहीं मिली.(MP Local Election 2022) (BJP blames Election Commission for low voting)

MP Local Election 2022
एमपी निकाय चुनाव में कम वोटिंग पर एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ते अधिकारी

वोटर लिस्ट में नाम कटने के लिए कौन जिम्मेदार: मतदाता किस वार्ड का है और वह कहां बूथ पर जा कर मतदान करेगा, यह सब काम निर्वाचन आयोग का होता है लेकिन परिसीमन के चलते लोगों का नाम इस वार्ड से उस वार्ड पर चला गया. हालांकि इस गलती को निर्वाचन आयोग के पदाधिकारी मानने को तैयार नहीं है, निर्वाचन आयोग के सचिव राकेश सिंह का कहना है कि "चुनावों को लेकर हमारी पहले से तैयारी थी और वोटर लिस्ट में कोई हेर-फेर नहीं हुआ है, हम जांच करा रहे हैं कि बीएलओ और संबंधित कर्मचारियों ने पर्चियां क्यों नहीं बांटी. भोपाल के कोलार इलाके में चुनाव में ड्यूटी में लगे कर्मचारियों को नोटिस भी तामील किए गए हैं, जिसमें कारण पूछा गया है कि पर्चियां आखिर मतदाता तक क्यों नहीं पहुंची."

बीजेपी ने आयोग को बताया जिम्मेदार: पिछले चुनावी मतदान प्रतिशत को देखा जाए तो वोटिंग 70% के करीब होती आई है, जिसका फायदा बीजेपी को मिला. फिलहाल कम मतदान होने से बीजेपी नेताओं के होश उड़ गए और अब यदि वे हारते हैं तो सीधा हार का ठीकरा निर्वाचन आयोग पर फोड़ दिया जाएगा, इसी के चलते बीजेपी 13 जुलाई को होने वाले दूसरे चरण की तारीख भी बढ़वाना चाहता थी. लेकिन अब दूसरे चरण की तारीख के लिए वक्त कम है, ऐसे में अब निर्वाचन आयोग की भी सांसे फूली हैं कि पहले चरण जैसी स्थिति ना बने. हालांकि दूसरे चरण में सिर्फ पांच नगर निगम लेकिन 214 निकायों पर वोटिंग बाकी है.

Urban Body Election MP: निकाय चुनाव में बड़ा फेरबदल, 18 जुलाई को होने वाली मतगणना पर राज्य निर्वाचन आयोग का बड़ा फैसला

इस बार पहले ही दे दी जाए पर्ची: दूसरे चरण में 5 नगर निगम और 214 निकायों का मतदान होना है, ऐसे में निर्वाचन आयोग ने सख्ती बरतते हुए चुनावी ड्यूटी में लगे कर्मचारियों को सख्त निर्देश दिए हैं और सभी कलेक्टरों से कहा है कि "13 तारीख के पहले सभी मतदाताओं को सुनिश्चित किया जाए और उन्हें पर्ची मिल जाए."

एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ते अधिकारी: निर्वाचन आयुक्त ने पर्चियां लोगों तक नहीं पहुंचने के लिए केंद्रीय कर्मचारियों का ड्यूटी से हटना माना है, लेकिन केंद्रीय कर्मचारी समन्वय समिति ने नाराजगी जताते हुए निर्वाचन आयोग से कहा कि "आपका वक्तव्य सुधार कर दोबारा दें, कर्मचारी यूनियन आपके वक्तव्य का विरोध करती है." इसके साथ ही केंद्रीय कर्मचारियों का कहना है कि "मतदाता पर्चियों का वितरण बीएलओ की जिम्मेदारी है, बीएलओ ने उनकी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं किया. केंद्रीय कर्मचारियों की ड्यूटी सिर्फ पोलिंग, पीठासीन अधिकारी या मतदान अधिकारी के रूप में लगाई जाती है, ना की पर्ची बंटवाने में."

भोपाल। मध्यप्रदेश में कम हुई वोटिंग को लेकर सियासत अभी भी जारी है, सत्ताधारी बीजेपी को लगता है कि कम वोटिंग परसेंटेज उसके लिए निकाय चुनाव में खतरा बन सकता है. लिहाजा पूरी बीजेपी एक साथ निर्वाचन आयोग को जिम्मेदार ठहरा रही है, बड़े महानगरों में लाखों वोटर्स वोट डालने से वंचित रह गए, ज्यादातर लोग पोलिंग बूथ ढूंढते रहे कि उनकी पर्ची कहां है लेकिन वह नहीं मिली.(MP Local Election 2022) (BJP blames Election Commission for low voting)

MP Local Election 2022
एमपी निकाय चुनाव में कम वोटिंग पर एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ते अधिकारी

वोटर लिस्ट में नाम कटने के लिए कौन जिम्मेदार: मतदाता किस वार्ड का है और वह कहां बूथ पर जा कर मतदान करेगा, यह सब काम निर्वाचन आयोग का होता है लेकिन परिसीमन के चलते लोगों का नाम इस वार्ड से उस वार्ड पर चला गया. हालांकि इस गलती को निर्वाचन आयोग के पदाधिकारी मानने को तैयार नहीं है, निर्वाचन आयोग के सचिव राकेश सिंह का कहना है कि "चुनावों को लेकर हमारी पहले से तैयारी थी और वोटर लिस्ट में कोई हेर-फेर नहीं हुआ है, हम जांच करा रहे हैं कि बीएलओ और संबंधित कर्मचारियों ने पर्चियां क्यों नहीं बांटी. भोपाल के कोलार इलाके में चुनाव में ड्यूटी में लगे कर्मचारियों को नोटिस भी तामील किए गए हैं, जिसमें कारण पूछा गया है कि पर्चियां आखिर मतदाता तक क्यों नहीं पहुंची."

बीजेपी ने आयोग को बताया जिम्मेदार: पिछले चुनावी मतदान प्रतिशत को देखा जाए तो वोटिंग 70% के करीब होती आई है, जिसका फायदा बीजेपी को मिला. फिलहाल कम मतदान होने से बीजेपी नेताओं के होश उड़ गए और अब यदि वे हारते हैं तो सीधा हार का ठीकरा निर्वाचन आयोग पर फोड़ दिया जाएगा, इसी के चलते बीजेपी 13 जुलाई को होने वाले दूसरे चरण की तारीख भी बढ़वाना चाहता थी. लेकिन अब दूसरे चरण की तारीख के लिए वक्त कम है, ऐसे में अब निर्वाचन आयोग की भी सांसे फूली हैं कि पहले चरण जैसी स्थिति ना बने. हालांकि दूसरे चरण में सिर्फ पांच नगर निगम लेकिन 214 निकायों पर वोटिंग बाकी है.

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इस बार पहले ही दे दी जाए पर्ची: दूसरे चरण में 5 नगर निगम और 214 निकायों का मतदान होना है, ऐसे में निर्वाचन आयोग ने सख्ती बरतते हुए चुनावी ड्यूटी में लगे कर्मचारियों को सख्त निर्देश दिए हैं और सभी कलेक्टरों से कहा है कि "13 तारीख के पहले सभी मतदाताओं को सुनिश्चित किया जाए और उन्हें पर्ची मिल जाए."

एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ते अधिकारी: निर्वाचन आयुक्त ने पर्चियां लोगों तक नहीं पहुंचने के लिए केंद्रीय कर्मचारियों का ड्यूटी से हटना माना है, लेकिन केंद्रीय कर्मचारी समन्वय समिति ने नाराजगी जताते हुए निर्वाचन आयोग से कहा कि "आपका वक्तव्य सुधार कर दोबारा दें, कर्मचारी यूनियन आपके वक्तव्य का विरोध करती है." इसके साथ ही केंद्रीय कर्मचारियों का कहना है कि "मतदाता पर्चियों का वितरण बीएलओ की जिम्मेदारी है, बीएलओ ने उनकी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं किया. केंद्रीय कर्मचारियों की ड्यूटी सिर्फ पोलिंग, पीठासीन अधिकारी या मतदान अधिकारी के रूप में लगाई जाती है, ना की पर्ची बंटवाने में."

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