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MP में कथा लगाएगी चुनावी नैया पार! इन नेताओं ने कराई एडवांस बुकिंग, ये नेता अभी कतार में

MP Katha Politics: अजगर करे ना चाकरी. पंछी करे ना काम..दास मलूका कह गए सबके दाता राम. चुनावी साल में खड़े एमपी में तो सीन यही लग रहा है कि रैली प्रचार के दौरान घर के द्वार-द्वार पर दौड़ने वाले नेताओं के हाथ में सत्ता कृष्ण और राम ही दिलाएंगे. राजनीतिक दलों की कुंडली और नेताओं का भविष्य देखने वाले बाबाओं के हाथ में क्या इस बार बाजी है. ये सवाल इसलिए कि चुनावी साल में एमपी में कांग्रेस से लेकर बीजेपी तक हर नेता बूथ तक मजबूती की फिक्र करने के बजाए भागवत का पंडाल सजा रहा है, कि इसी रास्ते बनेगा बढ़ेगा वोट बैंक.

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Published : Dec 23, 2022, 8:09 PM IST

Trend of narrative politics in MP
एमपी में कथा पॉलीटिक्स का ट्रेंड

भोपाल। पिछले एक महीने में शिवराज सरकार के कद्दावर मंत्रियों की अपने क्षेत्र में सक्रीयता की वजह क्या थी. अगर आपसे ये सवाल पूछा जाए तो इसका सही जवाब है,भागवत कथा. मंत्री भूपेन्द्र सिंह से लेकर गोपाल भार्गव और कमल पटेल तक शिवराज सरकार के कई मंत्री बीजेपी के बैठक भोजन और विश्राम के बजाए पंडित भागवत और भंडारे के जरिए अपनी राजनीतिक जमीन को चुनाव के पहले उर्वर बनाने में जुटे हैं. ये और बात कि नेताओं की निगाह में ये भागवत कथाएं अपने धर्म के प्रसार के साथ समाज में संस्कार देने का उपक्रम है.

Trend of narrative politics in MP
एमपी में कथा पॉलीटिक्स का ट्रेंड
तेरा राम जी करेंगे बेड़ा पार: धार्मिक आयोजनों के सहारे भीड़ जुटाने और चुनावी माहौल बनाने का चलन तो पहले भी था, लेकिन मंत्रियों की ऐसे आयोजनों को लेकर ये होड़ नहीं थी कि पंडितों बाबाओं कथावाचकों की वेटिंग में मंत्री हों. इसी साल के आखिरी महीने में नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्द्र सिंह, मंत्री गोपाल भार्गव और और कृषि मंत्री कमल पटेल इस कवायद में बाकी मंत्रियों से आगे चल रहे हैं. वजह ये है कि इन मंत्रियों ने चुनावी साल लगने के साथ माहौल खींचने बड़े बड़े कथावाचकों की कथाएं अपने क्षेत्र में करवा चुके हैं. इसमें टॉप पर गोपाल भार्गव का नाम है. जिन्होंने अपनी विधानसभा में मलुकापीठाधीश्वर राजेन्द्र दास जी की भक्तमाल कथा करवाई.
एमपी में कथा पॉलीटिक्स का ट्रेंड
Trend of narrative politics in MP

किसमें कितना पॉवर: जाहिर है कि आस्था के सैलाब में सियासी तड़का भी समय से लगता है. इस कथा आयोजन में भी संत राजेन्द्र दास जी ने गोपाल भार्गव के जरुरत ममंद बेटियों के विवाह करवाने का जिक्र करते हुए कहा कि वे धर्म प्रेमी जनता के अनन्य सेवक हैं. अब सोचिए जिनकी वाणी सुनने लाखों की तादात में जनता जुटती है. उनके श्रीमुख से निकला ये बयान आम जनमानस पर कैसे असर नहीं डालेगा. कृषि मंत्री कमल पटेल ने कथा वाचक जयाकिशोरी से भागवत कथा करवाई. भीड़ तो जुटी ही कैलाश विजयवर्गीय और सीएम शिवराज को भागवत मंच पर बुलाकर कमल पटेल ने संदेश भी दे दिया कि उनके साथ पॉवर कितना है. नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने अपने क्षेत्र में तो पंडित कमल किशोर नागर जी की कथा के चलते स्कूल का टाइमिंग तक बदलवा दिया. बाद में भले मानव अधिकार आयोग का नोटिस उन्हें मिला हो.
कथा की कतार में कई नेता: बहती गंगा में कौन हाथ नहीं धोना चाहेगा. लेकिन इस मामले में भी सत्ता में दमदार और सत्ता के किनारे पड़े नेताओं में फर्क है. कम से कम बीजेपी में तो ये फर्क दिखता है क्योंकि दिग्गजों ने तो चुनावी साल की शुरुआत के साथ कथाएं करवा ली. लेकिन अर्चना चिटणीस, गौरीशंकर बिसेन जैसे नेता अभी कतार में हैं. सत्ता में दमदार वापिसी के लिए ये नेता भी कथा का जोर लगा रहे हैं और अपने अपने इलाके में धार्मिक आयोजन करवा रहे हैं.

कथा की एडवांस बुकिंग: कांग्रेस में भी विधायक जीतू पटवारी से लेकर संजय शुक्ला और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ तक पंडित प्रदीप मिश्रा की एडवांस बुकिंग करवा चुके हैं. नए साल की शुरुआत में ही अर्चना चिटणीस 2 फरवरी से पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा अपने विधानसभा क्षेत्र बुरहानपुर में करवाने जा रही हैं. जहां से 2018 का विधानसभा चुनाव वे हार गई थी.

धार्मिक मंच से सियासी संदेश: खास बात ये है कि कथा वाचकों की टीआरपी आंकी जाए तो उनमें इस समय पंडित धीरेन्द्र शास्त्री और पंडित प्रदीप मिश्रा नंबर एक पर चल रहे हैं. यानि इनकी पॉलीटिकल बुकिंग और डिमांड सबसे ज्यादा है. धीरेन्द्र शास्त्री के मुकाबले प्रदीप मिश्रा तो अपने बयानों की वजह से भी राजनीतिक दलों की राईट च्वाईस बन गए हैं. प्रदीप मिश्रा ने हाल ही में बैतूल में बयानदिया था कि परिवार से एक बेटा बजरंग दल में और एक संघ में होना चाहिए. जिस पर खूब सियासी बवाल खड़ा हो गया था. नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह ने तो पूछ भी लिया था कि प्रदीप मिश्रा अगर पॉलीटिकल पार्टी के एजेंट बन ही रहे हैं तो पंडिताई और कथा बांचना छोड़के संघ के स्वयंसेवक बन जाएं.

कथा से सियासी प्रभाव: माना ये भी जा रहा है कि मालवा निमाड़ के इलाके में पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा सियासी प्रभाव भी डाल सकती है. लिहाजा कांग्रेस से लेकर बीजेपी तक के नेता पंडित प्रदीप मिश्रा के जरिए अपनी राजनीतिक झांकी जमाने में लगे हैं. ये केवल इत्तेफाक नहीं है कि तुलसी सिलावट से लेकर संजय शुक्ला जीतू पटवारी और अब अर्चना चिटणीस को पंडित प्रदीप मिश्रा की भागवत कथा में ही सार दिखाई दे रहा है.

पंडित प्रदीप मिश्रा का बयान, सनातन और राष्ट्र रक्षा के लिए संघ, बंजरग दल में हो हर घर से एक बेटा

वोट के लिए हिंदुत्व की राह पर कांग्रेस: बीजेपी के हिंदूवादी नेता और पूर्व सांसद रघुनंदन शर्मा कहते हैं कि बीजेपी के नेता अगर कथा भागवत करवा रहे हैं तो इसमें हैरानी की बात क्यों. बीजेपी तो हमेशा से ही हिंदुत्व का प्रचार प्रसार करती आई है ये ही एक इकलौती पार्टी जिसने राम की आस्था राम में राम मंदिर का आंदोलन शुरु किया. आप तो उनसे पूछिए जो राम के असतित्व से इंकार कर चुके वे लोग कैसे राम कथा भागवत कथा करवा रहे हैं. मैं तो फिर भी उन्हें बधाई देता हूं कि वोट बैंक की इच्छा में ही सही हिंदुत्व के रास्ते पर आए तो सही.

भोपाल। पिछले एक महीने में शिवराज सरकार के कद्दावर मंत्रियों की अपने क्षेत्र में सक्रीयता की वजह क्या थी. अगर आपसे ये सवाल पूछा जाए तो इसका सही जवाब है,भागवत कथा. मंत्री भूपेन्द्र सिंह से लेकर गोपाल भार्गव और कमल पटेल तक शिवराज सरकार के कई मंत्री बीजेपी के बैठक भोजन और विश्राम के बजाए पंडित भागवत और भंडारे के जरिए अपनी राजनीतिक जमीन को चुनाव के पहले उर्वर बनाने में जुटे हैं. ये और बात कि नेताओं की निगाह में ये भागवत कथाएं अपने धर्म के प्रसार के साथ समाज में संस्कार देने का उपक्रम है.

Trend of narrative politics in MP
एमपी में कथा पॉलीटिक्स का ट्रेंड
तेरा राम जी करेंगे बेड़ा पार: धार्मिक आयोजनों के सहारे भीड़ जुटाने और चुनावी माहौल बनाने का चलन तो पहले भी था, लेकिन मंत्रियों की ऐसे आयोजनों को लेकर ये होड़ नहीं थी कि पंडितों बाबाओं कथावाचकों की वेटिंग में मंत्री हों. इसी साल के आखिरी महीने में नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्द्र सिंह, मंत्री गोपाल भार्गव और और कृषि मंत्री कमल पटेल इस कवायद में बाकी मंत्रियों से आगे चल रहे हैं. वजह ये है कि इन मंत्रियों ने चुनावी साल लगने के साथ माहौल खींचने बड़े बड़े कथावाचकों की कथाएं अपने क्षेत्र में करवा चुके हैं. इसमें टॉप पर गोपाल भार्गव का नाम है. जिन्होंने अपनी विधानसभा में मलुकापीठाधीश्वर राजेन्द्र दास जी की भक्तमाल कथा करवाई.
एमपी में कथा पॉलीटिक्स का ट्रेंड
Trend of narrative politics in MP

किसमें कितना पॉवर: जाहिर है कि आस्था के सैलाब में सियासी तड़का भी समय से लगता है. इस कथा आयोजन में भी संत राजेन्द्र दास जी ने गोपाल भार्गव के जरुरत ममंद बेटियों के विवाह करवाने का जिक्र करते हुए कहा कि वे धर्म प्रेमी जनता के अनन्य सेवक हैं. अब सोचिए जिनकी वाणी सुनने लाखों की तादात में जनता जुटती है. उनके श्रीमुख से निकला ये बयान आम जनमानस पर कैसे असर नहीं डालेगा. कृषि मंत्री कमल पटेल ने कथा वाचक जयाकिशोरी से भागवत कथा करवाई. भीड़ तो जुटी ही कैलाश विजयवर्गीय और सीएम शिवराज को भागवत मंच पर बुलाकर कमल पटेल ने संदेश भी दे दिया कि उनके साथ पॉवर कितना है. नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने अपने क्षेत्र में तो पंडित कमल किशोर नागर जी की कथा के चलते स्कूल का टाइमिंग तक बदलवा दिया. बाद में भले मानव अधिकार आयोग का नोटिस उन्हें मिला हो.
कथा की कतार में कई नेता: बहती गंगा में कौन हाथ नहीं धोना चाहेगा. लेकिन इस मामले में भी सत्ता में दमदार और सत्ता के किनारे पड़े नेताओं में फर्क है. कम से कम बीजेपी में तो ये फर्क दिखता है क्योंकि दिग्गजों ने तो चुनावी साल की शुरुआत के साथ कथाएं करवा ली. लेकिन अर्चना चिटणीस, गौरीशंकर बिसेन जैसे नेता अभी कतार में हैं. सत्ता में दमदार वापिसी के लिए ये नेता भी कथा का जोर लगा रहे हैं और अपने अपने इलाके में धार्मिक आयोजन करवा रहे हैं.

कथा की एडवांस बुकिंग: कांग्रेस में भी विधायक जीतू पटवारी से लेकर संजय शुक्ला और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ तक पंडित प्रदीप मिश्रा की एडवांस बुकिंग करवा चुके हैं. नए साल की शुरुआत में ही अर्चना चिटणीस 2 फरवरी से पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा अपने विधानसभा क्षेत्र बुरहानपुर में करवाने जा रही हैं. जहां से 2018 का विधानसभा चुनाव वे हार गई थी.

धार्मिक मंच से सियासी संदेश: खास बात ये है कि कथा वाचकों की टीआरपी आंकी जाए तो उनमें इस समय पंडित धीरेन्द्र शास्त्री और पंडित प्रदीप मिश्रा नंबर एक पर चल रहे हैं. यानि इनकी पॉलीटिकल बुकिंग और डिमांड सबसे ज्यादा है. धीरेन्द्र शास्त्री के मुकाबले प्रदीप मिश्रा तो अपने बयानों की वजह से भी राजनीतिक दलों की राईट च्वाईस बन गए हैं. प्रदीप मिश्रा ने हाल ही में बैतूल में बयानदिया था कि परिवार से एक बेटा बजरंग दल में और एक संघ में होना चाहिए. जिस पर खूब सियासी बवाल खड़ा हो गया था. नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह ने तो पूछ भी लिया था कि प्रदीप मिश्रा अगर पॉलीटिकल पार्टी के एजेंट बन ही रहे हैं तो पंडिताई और कथा बांचना छोड़के संघ के स्वयंसेवक बन जाएं.

कथा से सियासी प्रभाव: माना ये भी जा रहा है कि मालवा निमाड़ के इलाके में पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा सियासी प्रभाव भी डाल सकती है. लिहाजा कांग्रेस से लेकर बीजेपी तक के नेता पंडित प्रदीप मिश्रा के जरिए अपनी राजनीतिक झांकी जमाने में लगे हैं. ये केवल इत्तेफाक नहीं है कि तुलसी सिलावट से लेकर संजय शुक्ला जीतू पटवारी और अब अर्चना चिटणीस को पंडित प्रदीप मिश्रा की भागवत कथा में ही सार दिखाई दे रहा है.

पंडित प्रदीप मिश्रा का बयान, सनातन और राष्ट्र रक्षा के लिए संघ, बंजरग दल में हो हर घर से एक बेटा

वोट के लिए हिंदुत्व की राह पर कांग्रेस: बीजेपी के हिंदूवादी नेता और पूर्व सांसद रघुनंदन शर्मा कहते हैं कि बीजेपी के नेता अगर कथा भागवत करवा रहे हैं तो इसमें हैरानी की बात क्यों. बीजेपी तो हमेशा से ही हिंदुत्व का प्रचार प्रसार करती आई है ये ही एक इकलौती पार्टी जिसने राम की आस्था राम में राम मंदिर का आंदोलन शुरु किया. आप तो उनसे पूछिए जो राम के असतित्व से इंकार कर चुके वे लोग कैसे राम कथा भागवत कथा करवा रहे हैं. मैं तो फिर भी उन्हें बधाई देता हूं कि वोट बैंक की इच्छा में ही सही हिंदुत्व के रास्ते पर आए तो सही.

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