नई दिल्ली: संविधान के लोकाचार को हिलाने के लिए मोदी सरकार पर कटाक्ष करते हुए, राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने गुरुवार को कहा कि यह 'अमृत काल' नहीं है, बल्कि हम 'अंधेर कल' के समय में रह रहे हैं. इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में 'भारत के संविधान की नैतिकता: अभी भी जिस रास्ते पर चलना बाकी है' शीर्षक वाली सार्वजनिक नीति बहस श्रृंखला में संबोधन दे रहे थे.
इस दौरान उन्होंने कहा कि यह कठिन समय है, जिसमें हम रह रहे हैं. जब तक हम राजनीतिक व्यवस्था नहीं बदलते, हमें किसी सकारात्मक परिवर्तन की उम्मीद नहीं करनी चाहिए. हाल ही में समाप्त हुए संसदीय मानसून सत्र के बारे में बात करते हुए, कपिल सिब्बल ने कहा कि देखिये अब संसद कैसे काम करती है. स्वस्थ चर्चा के लिए कोई जगह नहीं है. सत्ता में बैठे लोगों को कमजोरों के प्रति अधिक उदार होने की जरूरत है.
बता दें कि मानसून सत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की ओर से बार-बार स्थगन और व्यवधान देखा गया. उन्होंने सवाल किया कि सिस्टम में सबसे बड़ी खामी है व्हिप. जब मैं कांग्रेस पार्टी का सदस्य था, तो मुझे वही करना पड़ता था, जो पार्टी मुझसे चाहती थी. जब भी मैं अपनी पार्टी के खिलाफ कुछ कहना चाहता था तो मुझे कभी ऐसा नहीं करने दिया जाता था. इसलिए कोई भी पार्टी के खिलाफ नहीं जा सकता, क्योंकि व्हिप आपको ऐसा करने की इजाजत नहीं देता है. यह कैसी संसद प्रणाली है.
एक अनुभवी राजनेता और प्रख्यात वकील सिब्बल ने कुछ महीने पहले अन्याय के खिलाफ 'इंसाफ के सिपाही' नामक एक पहल की थी और कानूनी बिरादरी से उनके मुद्दे के साथ एकजुट होने और न्याय के लिए लड़ने का आग्रह किया था. उन्होंने राजद्रोह कानून से संबंधित कानूनी क्षेत्र में हालिया बदलावों पर मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि हालांकि राजद्रोह को खत्म कर दिया गया है, लेकिन अब वे सुरक्षा का हवाला देते हुए और भी कड़ा कानून लेकर आए हैं. यह ब्रिटिश काल से भी ज्यादा खराब है.
हरायण में हुई हिंसा पर उन्होंने कहा कि मैंने मेवात घटना पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. लेकिन तब मेरी याचिका नहीं सुनी गई, इस तथ्य के बावजूद कि मैंने चेतावनी दी थी कि कुछ खतरनाक हो सकता है और फिर नूह में घटना घटी. उन्होंने कहा कि हरियाणा में गोहत्या को लेकर एक कानून है, जो लोग इसका हिस्सा हैं, उन्हें पुलिस की शक्तियां दी जा रही हैं जो बेहद बेशर्म हैं. मैंने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन मुझे हाई कोर्ट जाने की सलाह दी गई.