छिंदवाड़ा। जल ही जीवन है...ऐसे नारे कई जगहों पर आपको लिखे मिल जाएंगे, लेकिन इसके बावजूद लोग जल का संरक्षण नहीं करते हैं. जल संरक्षण आज के समय में बहुत ही आवश्यक हो चुका है, इस समस्या को लोगों को गंभीरता से लेने की जरूरत है. बूंद-बूंद को सहेज कर किस तरीके से रखा जाए, इसकी सही जानकारी छिंदवाड़ा जिले के गढ़मऊ की रहने वाली अनिता चौधरी ने बताया और सिखाया है.
जल सखी को मिला स्वच्छ सुजल शक्ति सम्मान: मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के मोहखेड़ विकासखंड के ग्राम गढ़मऊ में रहने वाली अनिता चौधरी को 'स्वच्छ सुजल शक्ति सम्मान' 2023 मिला है. जल सखी अनीता चौधरी के इन प्रयासों से भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल एवं स्वच्छता मिशन विभाग द्वारा उनका चयन 'स्वच्छ सुजल शक्ति सम्मान-2023' के लिए किया गया था. 4 मार्च को दिल्ली में देश की महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों अनिता चौधरी को ये पुरस्कार मिला, इससे न केवल छिंदवाड़ा जिला बल्कि पूरा मध्यप्रदेश गौरवान्वित हुआ.
जल सखी को द्रौपदी मुर्मू से मिला सम्मान: अनिता चौधरी ने घरेलू महिलाओं को बर्तन धोने से लेकर पोछा लगाने तक के लिए पानी की बचत कर उसे किस तरीके से उपयोग किया जा सकता है इसकी जानकारी देकर जागरूक किया है. अनिता ने अपने गांव में हर घर में पीने का साफ पानी पहुंचाने के लिए मुहिम भी चलाई, जिसके लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अनिता चौधरी को दिल्ली के विज्ञान भवन में "स्वच्छ सुजल शक्ति सम्मान" से सम्मानित किया.
महिलाओं को पानी के दिक्कतों से कराया रूबरू: जलसखी अनीता चौधरी एक गृहणी हैं और वह सामाजिक कार्यों में भी रुचि लेती है. गांव में समूह जल प्रदाय योजना आने के पहले उन्होंने स्वयं और गांव के लोगों को भीषण पानी की समस्या से जूझते हुए देखा है. अक्सर वाद-विवाद की स्थिति का भी सामना किया है, इसलिए वह जल संरक्षण के लिए कई वर्षों से प्रयासरत हैं. वह गांव की महिलाओं को घटते भू-जल से भविष्य में सामने आने वाली दिक्कत से भी रूबरू कराती हैं. महिलाओं को कम पानी के उपयोग में अधिक काम करने के लिए प्रेरित करती हैं. उन्हें पानी की कीमत समझाती हैं. अनीता का कहना है कि, "अगर जल संरक्षण पर ध्यान नहीं दिया तो आने वाले समय में शुद्ध पेयजल मिलना मुश्किल हो जाएगा. इस वजह से अभी से ही पानी का महत्व समझते हुए उसके अनाप-शनाप उपयोग से परहेज करना आरंभ कर देना चाहिए. इसमें महिलाएं बड़ा योगदान दे सकती हैं. घर में रहकर कामकाज के दौरान पानी का उपयोग करते हुए कम पानी में अधिक काम करने की आदत डालना चाहिए. बर्तन साफ करने, कपड़े धोने, घर की धुलाई जैसे कार्यों के दौरान काफी पानी की बचत की जा सकती है. कपड़े धोने वाली पानी से आंगन भी धो सकते हैं."
कैसे अनिता बनीं जल सखी: अनिता चौधरी ने बताया कि, "गांव में जल संरक्षण को लेकर एक कार्यक्रम हुआ था. उसके बाद से उन्होंने गांव की महिलाओं को इसके प्रति जागरूक करने का प्रयास शुरू कर दिया था. अधिकतर ग्रामीण इलाकों में नल जल व्यवस्था इस वजह से ठप होती है क्योंकि ग्रामीण जल संरक्षण में रूचि नहीं रखते हैं." जल निगम की परियोजना क्रियान्वयन ईकाई सिवनी के महाप्रबंधक आर.सी.पवार और प्रबंधक बसंत कुमार बेलवंशी ने बताया कि "जल निगम द्वारा छिंदवाड़ा जिले के विकासखंड मोहखेड़ में 54.89 करोड़ रुपए लागत की जल प्रदाय योजना 30 ग्रामों में संचालित है, इस गांव में 112 परिवार हैं. अनिता चौधरी सृष्टि स्व-सहायता समूह की सदस्य होने के साथ ही जल सखी के रूप में भी कार्य कर रही हैं. अनिता ने राजस्व वसूली के अत्यंत चुनौतीपूर्ण कार्य को बखूबी निभाया है."
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पानी बचाने में महिलाएं कैसे बटाएं हाथ: अनिता चौधरी के जागरूकता का ये परिणाम है कि जल जीवन मिशन के तहत ग्रामीण समूह जलप्रदाय योजना में गांव के लोगों को हर घर जल योजना में घर बैठे ही शुद्ध जल प्राप्त हो रहा है. वहीं शत-प्रतिशत जल कर की राशि जमा हो चुकी है और ग्रामवासी जल संरक्षण व संवर्धन के क्षेत्र में जागरूक हो गए हैं. अनिता चौधरी ने महिलाओं को संदेश देते हुए कहा है कि "अगर हम समय रहते सचेत नहीं हुए तो आने वाले समय में हमें पानी के लिए तरसना पड़ सकता है. साथ ही घटता भू-जल यही संकेत दे रहा है कि इस संकेत को समझते हुए पानी की फिजूलखर्ची पर समय रहते अंकुश लगाया जाए, ये हमारे लिए बेहतर रहेगा. हर क्षेत्र में योगदान करने वाली महिलाएं इस दिशा में सराहनीय भूमिका निभा सकतीं हैं. घर के कामकाज के दौरान इस तरफ थोड़ा ध्यान देकर अगर पानी का कम उपयोग करें तो जल संरक्षण व संवर्धन में काफी मदद मिल सकती है. मुझे लगता है कि सरकारी स्तर से किए जा रहे प्रयासों के साथ घर की महिलाएं भी इसमें बड़ा योगदान दे सकती हैं."