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Unique Initiative of Squirrels: एक कॉलेज ऐसा भी...जहां गिलहरियों के लिए थम जाते हैं 'कार' के पहिए, पेड़ों पर बनाए जा रहे घोंसले और आश्रय - श्री जीएस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस

Indore College Declares 'No Vehicle Zone: इंदौर के SGSITS कॉलेज में गिलहरियों को बचाने के लिए अनोखा प्रयास किया गया है. यहां गिलहरियों को बचाने के लिए साइकिल की सवारी की जाती है. दरअसल जीएसआईटीएस कॉलेज में कारों के कारण गिलहरियों की मौत हो रही थी, इसलिए कॉलेज प्रबंधन ने कैंपस में कारों के प्रवेश पर रोक लगा दी है. पढ़िए ईटीवी भारत के इंदौर से संवाददाता सिद्धार्थ माचिवाल की खास रिपोर्ट...

No vehicle zone for squirrels in Indore
कॉलेज में गिलहरियों के लिए नो व्हीकल जोन
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 4, 2023, 11:59 AM IST

Updated : Oct 4, 2023, 12:13 PM IST

एसजीएसआईटीएस कॉलेज में गिलहरियों के लिए नो व्हीकल जोन

इंदौर। तेजी से बढ़ते महानगरों में सिमट रही हरियाली और जंगलों के उजड़ने के कारण पशु पक्षियों और वन्यजीवों का बचे रहना भी मुश्किल हो गया है. यही हाल इंदौर के हैं. यह बात और है कि यहां गिलहरियों को बचाने के लिए SGSITS (श्री गोविंदराम सेकसरिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस) कॉलेज कैंपस की सड़कों को कारों के लिए अब प्रतिबंधित कर दिया गया है. जिससे कि हर साल कारों से कुचलकर मारी जाने वाली गिलहरियों की जान बचाई जा सके. Cars Banned in SGSITS Collage Indore

गिलहरियों का सुरक्षित आशियाना बना SGSITS कॉलेज: दरअसल इंदौर शहर के बीचो-बीच 30 एकड़ क्षेत्र में फैले SGSITS कॉलेज कैंपस में 8 एकड़ का क्षेत्र ओपन स्पेस और इको फ्रेंडली गार्डन के रूप में विकसित किया गया है. जो अब शहर की करीब डेढ़ हजार गिलहरियों का सुरक्षित आशियाना है. इस कॉलेज में गिलहरियों को बचाने के लिए किये जा रहे प्रयास के फलस्वरुप यह संभव हो सका है. कुछ सालों पहले तक स्थिति यह थी कि यहां मुख्य द्वार के पास कई पेड़ों पर गिलहरियों के घोसले होने के कारण यहां से गुजरने वाली कारों से कुचलकर हर साल कई गिलहरियों की मौत हो जाती थी.

कॉलेज परिसर नो व्हीकल जोन में तब्दील: कॉलेज प्रबंधन ने यह समस्या देखी इसके बाद फैसला किया गया कि जिन दोनों सड़कों के आसपास गिलहरियां ज्यादा हैं, उन सड़कों को नो व्हीकल जोन में तब्दील कर दिया जाए. इसके बाद यहां बैरिकेडिंग करके बाकायदा सिक्योरिटी गार्ड तैनात कर दिए गए हैं. करीब 2 साल बाद अब स्थिति यह है कि गिलहरियों की मौत पर प्रभावी नियंत्रण किया जा रहा है. वही कारों की आवाजाही भी सघन गिलहरी वाले क्षेत्र में रुक गई है. कॉलेज कैंपस के बाहर ही पार्किंग की व्यवस्था को प्राथमिकता दी जा रही है. इस दौरान जो लोग ऑफिस तक जाने के लिए यहां पहुंचते हैं उन्हें कई बार साइकिल उपलब्ध कराई जाती है.

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बढ़ी गिलहरियों की तादाद: वहीं कॉलेज का स्टाफ भी अब कार के स्थान पर अपने-अपने टू व्हीलर का प्रयोग करता है. उद्यान प्रभारी अलेक्स कुट्टी बताते हैं कि ''दोनों मुख्य सड़कों को नो व्हीकल जोन में तब्दील किए जाने के बाद कॉलेज में गिलहरियों की तादाद लगातार बढ़ रही है. फिलहाल यह इंदौर और अंचल का एकमात्र ऐसा कॉलेज है जहां विकसित किए गए इको फ्रेंडली कैंपस में करीब डेढ़ हजार से ज्यादा गिलहरियों के अलावा अन्य पशु पक्षी, तितलियां और अन्य जीव कॉलेज परिसर के प्राकृतिक माहौल में विचरण करते हैं.''

कॉलेज स्टाफ करता है गिलहरियों के खाने की व्यवस्था: अब गिलहरियों के लिए पेड़ों पर घोंसले और आश्रय बनाए जा रहे हैं. यहां पर गिलहरियों के खान-पान की व्यवस्था भी कॉलेज के स्टाफ द्वारा की जाती है. इसके अलावा पक्षियों के लिए भी दाना पानी की यहां पर्याप्त व्यवस्था है. जिसके फलस्वरुप पूरा परिसर इको फ्रेंडली होने के साथ गिलहरियों की चहल कदमी के साथ तरह-तरह के पक्षियों की चहचाहट और मधुर कलरव का केंद्र भी बन चुका है.

एसजीएसआईटीएस कॉलेज में गिलहरियों के लिए नो व्हीकल जोन

इंदौर। तेजी से बढ़ते महानगरों में सिमट रही हरियाली और जंगलों के उजड़ने के कारण पशु पक्षियों और वन्यजीवों का बचे रहना भी मुश्किल हो गया है. यही हाल इंदौर के हैं. यह बात और है कि यहां गिलहरियों को बचाने के लिए SGSITS (श्री गोविंदराम सेकसरिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस) कॉलेज कैंपस की सड़कों को कारों के लिए अब प्रतिबंधित कर दिया गया है. जिससे कि हर साल कारों से कुचलकर मारी जाने वाली गिलहरियों की जान बचाई जा सके. Cars Banned in SGSITS Collage Indore

गिलहरियों का सुरक्षित आशियाना बना SGSITS कॉलेज: दरअसल इंदौर शहर के बीचो-बीच 30 एकड़ क्षेत्र में फैले SGSITS कॉलेज कैंपस में 8 एकड़ का क्षेत्र ओपन स्पेस और इको फ्रेंडली गार्डन के रूप में विकसित किया गया है. जो अब शहर की करीब डेढ़ हजार गिलहरियों का सुरक्षित आशियाना है. इस कॉलेज में गिलहरियों को बचाने के लिए किये जा रहे प्रयास के फलस्वरुप यह संभव हो सका है. कुछ सालों पहले तक स्थिति यह थी कि यहां मुख्य द्वार के पास कई पेड़ों पर गिलहरियों के घोसले होने के कारण यहां से गुजरने वाली कारों से कुचलकर हर साल कई गिलहरियों की मौत हो जाती थी.

कॉलेज परिसर नो व्हीकल जोन में तब्दील: कॉलेज प्रबंधन ने यह समस्या देखी इसके बाद फैसला किया गया कि जिन दोनों सड़कों के आसपास गिलहरियां ज्यादा हैं, उन सड़कों को नो व्हीकल जोन में तब्दील कर दिया जाए. इसके बाद यहां बैरिकेडिंग करके बाकायदा सिक्योरिटी गार्ड तैनात कर दिए गए हैं. करीब 2 साल बाद अब स्थिति यह है कि गिलहरियों की मौत पर प्रभावी नियंत्रण किया जा रहा है. वही कारों की आवाजाही भी सघन गिलहरी वाले क्षेत्र में रुक गई है. कॉलेज कैंपस के बाहर ही पार्किंग की व्यवस्था को प्राथमिकता दी जा रही है. इस दौरान जो लोग ऑफिस तक जाने के लिए यहां पहुंचते हैं उन्हें कई बार साइकिल उपलब्ध कराई जाती है.

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बढ़ी गिलहरियों की तादाद: वहीं कॉलेज का स्टाफ भी अब कार के स्थान पर अपने-अपने टू व्हीलर का प्रयोग करता है. उद्यान प्रभारी अलेक्स कुट्टी बताते हैं कि ''दोनों मुख्य सड़कों को नो व्हीकल जोन में तब्दील किए जाने के बाद कॉलेज में गिलहरियों की तादाद लगातार बढ़ रही है. फिलहाल यह इंदौर और अंचल का एकमात्र ऐसा कॉलेज है जहां विकसित किए गए इको फ्रेंडली कैंपस में करीब डेढ़ हजार से ज्यादा गिलहरियों के अलावा अन्य पशु पक्षी, तितलियां और अन्य जीव कॉलेज परिसर के प्राकृतिक माहौल में विचरण करते हैं.''

कॉलेज स्टाफ करता है गिलहरियों के खाने की व्यवस्था: अब गिलहरियों के लिए पेड़ों पर घोंसले और आश्रय बनाए जा रहे हैं. यहां पर गिलहरियों के खान-पान की व्यवस्था भी कॉलेज के स्टाफ द्वारा की जाती है. इसके अलावा पक्षियों के लिए भी दाना पानी की यहां पर्याप्त व्यवस्था है. जिसके फलस्वरुप पूरा परिसर इको फ्रेंडली होने के साथ गिलहरियों की चहल कदमी के साथ तरह-तरह के पक्षियों की चहचाहट और मधुर कलरव का केंद्र भी बन चुका है.

Last Updated : Oct 4, 2023, 12:13 PM IST
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