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MP Guest Teachers: जिन अतिथि शिक्षकों के धरने से हुआ MP में सत्ता पलट, वो मजबूरी में बने मजदूर - एमपी अतिथि शिक्षकों को सैलरी नहीं मिली

मध्यप्रदेश में अतिथि शिक्षकों की नाराजगी दूर होने का नाम नहीं ले रही है. आलम यह है कि कई अतिथि शिक्षक आजीविका चलाने मनरेगा में मजदूरी को मजबूर हैं. जबकि कुछ लोग दुकान में काम से लेकर सड़क में घूम कर अगरबत्ती भी बेच रहे हैं.

MP Guest Teachers
अतिथि शिक्षक बने मजदूर
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Published : Jun 22, 2023, 10:23 PM IST

परेशान अतिथि शिक्षक

छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश में जिन अतिथि शिक्षकों के धरने में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमलनाथ सरकार के खिलाफ सड़कों पर आ जाने का दम दिखाया था. साल 2020 में एमपी के इतिहास का सत्ता पलट हुआ. इन अतिथि शिक्षकों के धरने ने एमपी में सत्ता तो बदलवा दी, लेकिन इन शिक्षकों के हालात नहीं बदल पाए. छिंदवाड़ा में अतिथि शिक्षक आजीविका चलाने मनरेगा में मजदूरी को मजबूर हो गए हैं. अतिथि शिक्षकों का कहना है कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं होती तो सड़कों पर आकर आंदोलन करना पड़ेगा.

पिछले 4 महीने से नहीं मिला वेतन: आजाद स्कूल अतिथि शिक्षक संघ के प्रदेश महासचिव संतोष कहर ने बताया कि पिछले 4 महीनों से अतिथि शिक्षकों को वेतन नहीं मिला है. हालात ऐसे हैं कि कई अतिथि शिक्षकों के घर में रोजी की रोटी के लाले पड़ गए हैं. मजबूरन अतिथि शिक्षकों को या तो मजदूरी करना पड़ रहा है या फिर मेकेनिक की दुकान में काम से लेकर कुछ लोग सड़क में घूम कर अगरबत्ती भी बेच रहे हैं. पांढुर्ना के रहने वाले श्रीपत पवार की आर्थिक स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब वेतन नहीं मिला तो मजबूरी में उन्होंने मैकेनिक की दुकान में काम शुरू कर दिया. वहीं सौसर के बंडू गोलाइत दूसरे के घरों में मजदूरी करने को मजबूर हैं. पांढुर्ना के प्रमोद तहकीत सड़कों में घूम-घूमकर अगरबत्ती बेच रहे हैं, ताकि उनके परिवार का भरण-पोषण हो सके.

MP Guest Teachers
खेत में काम करते अतिथि शिक्षक

2007 से शुरू हुई अतिथि शिक्षक व्यवस्था: मध्य प्रदेश सरकार ने अतिथि शिक्षकों की व्यवस्था 2007 से शुरू की थी, ताकि स्कूलों में पढ़ाई का स्तर सुधर सके और अतिथि शिक्षकों को कई बार नियमित करने का वादा भी किया जा चुका है, लेकिन व्यवस्था में कोई सुधार नहीं आया है. ऊपर से अब वेतन के लिए भी अतिथि शिक्षकों को परेशान होना पड़ रहा है. अतिथि शिक्षकों का कहना है कि आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने की वजह से अब दुकानदार भी उन्हें रोजमर्रा की वस्तुएं उधार नहीं दे रहे हैं. जिसकी वजह से कई बार उनके घरों में चूल्हा भी नहीं जल पा रहा है.

यहां पढ़ें...

अतिथि शिक्षकों को वेतन के लाले: अतिथि शिक्षक संतोष कहार ने बताया कि एक तरफ मध्यप्रदेश सरकार चुनाव के चलते कर्ज लेकर करोड़ों रुपए फ्री में लूटा रहे हैं, लेकिन बच्चों का भविष्य संवारने वाले अतिथि शिक्षकों को वेतन देने के लिए सरकार के पास पैसे नहीं है. कई बार उन्होंने वेतन के लिए सरकार को ज्ञापन और आवेदन दिया है, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही है.

mp guest teachers angry on shivraj
काम करते अतिथि शिक्षक

प्रदेश में करीब 45 हजार अतिथि शिक्षक: आजाद स्कूल अतिथि संघ के प्रदेश महासचिव संतोष कहार ने बताया है कि प्रदेश भर में करीब 45000 अतिथि शिक्षक हैं. जिन्होंने पूरे सत्र में बच्चों की पढ़ाई करवाई है, लेकिन पिछले 4 महीने से उनका वेतन नहीं मिला है. मुख्यमंत्री से उन्होंने गुहार लगाई है कि जल्द से जल्द उनका वेतन दिया जाए और मुख्यमंत्री के द्वारा किया गया वादा निभा कर उन्हें संविदा शिक्षक की भर्ती में स्थान भी दिया जाए. अगर ऐसा नहीं होता है तो मजबूरी में अतिथि शिक्षकों को फिर सड़कों पर आकर आंदोलन करना पड़ेगा.

परेशान अतिथि शिक्षक

छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश में जिन अतिथि शिक्षकों के धरने में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमलनाथ सरकार के खिलाफ सड़कों पर आ जाने का दम दिखाया था. साल 2020 में एमपी के इतिहास का सत्ता पलट हुआ. इन अतिथि शिक्षकों के धरने ने एमपी में सत्ता तो बदलवा दी, लेकिन इन शिक्षकों के हालात नहीं बदल पाए. छिंदवाड़ा में अतिथि शिक्षक आजीविका चलाने मनरेगा में मजदूरी को मजबूर हो गए हैं. अतिथि शिक्षकों का कहना है कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं होती तो सड़कों पर आकर आंदोलन करना पड़ेगा.

पिछले 4 महीने से नहीं मिला वेतन: आजाद स्कूल अतिथि शिक्षक संघ के प्रदेश महासचिव संतोष कहर ने बताया कि पिछले 4 महीनों से अतिथि शिक्षकों को वेतन नहीं मिला है. हालात ऐसे हैं कि कई अतिथि शिक्षकों के घर में रोजी की रोटी के लाले पड़ गए हैं. मजबूरन अतिथि शिक्षकों को या तो मजदूरी करना पड़ रहा है या फिर मेकेनिक की दुकान में काम से लेकर कुछ लोग सड़क में घूम कर अगरबत्ती भी बेच रहे हैं. पांढुर्ना के रहने वाले श्रीपत पवार की आर्थिक स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब वेतन नहीं मिला तो मजबूरी में उन्होंने मैकेनिक की दुकान में काम शुरू कर दिया. वहीं सौसर के बंडू गोलाइत दूसरे के घरों में मजदूरी करने को मजबूर हैं. पांढुर्ना के प्रमोद तहकीत सड़कों में घूम-घूमकर अगरबत्ती बेच रहे हैं, ताकि उनके परिवार का भरण-पोषण हो सके.

MP Guest Teachers
खेत में काम करते अतिथि शिक्षक

2007 से शुरू हुई अतिथि शिक्षक व्यवस्था: मध्य प्रदेश सरकार ने अतिथि शिक्षकों की व्यवस्था 2007 से शुरू की थी, ताकि स्कूलों में पढ़ाई का स्तर सुधर सके और अतिथि शिक्षकों को कई बार नियमित करने का वादा भी किया जा चुका है, लेकिन व्यवस्था में कोई सुधार नहीं आया है. ऊपर से अब वेतन के लिए भी अतिथि शिक्षकों को परेशान होना पड़ रहा है. अतिथि शिक्षकों का कहना है कि आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने की वजह से अब दुकानदार भी उन्हें रोजमर्रा की वस्तुएं उधार नहीं दे रहे हैं. जिसकी वजह से कई बार उनके घरों में चूल्हा भी नहीं जल पा रहा है.

यहां पढ़ें...

अतिथि शिक्षकों को वेतन के लाले: अतिथि शिक्षक संतोष कहार ने बताया कि एक तरफ मध्यप्रदेश सरकार चुनाव के चलते कर्ज लेकर करोड़ों रुपए फ्री में लूटा रहे हैं, लेकिन बच्चों का भविष्य संवारने वाले अतिथि शिक्षकों को वेतन देने के लिए सरकार के पास पैसे नहीं है. कई बार उन्होंने वेतन के लिए सरकार को ज्ञापन और आवेदन दिया है, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही है.

mp guest teachers angry on shivraj
काम करते अतिथि शिक्षक

प्रदेश में करीब 45 हजार अतिथि शिक्षक: आजाद स्कूल अतिथि संघ के प्रदेश महासचिव संतोष कहार ने बताया है कि प्रदेश भर में करीब 45000 अतिथि शिक्षक हैं. जिन्होंने पूरे सत्र में बच्चों की पढ़ाई करवाई है, लेकिन पिछले 4 महीने से उनका वेतन नहीं मिला है. मुख्यमंत्री से उन्होंने गुहार लगाई है कि जल्द से जल्द उनका वेतन दिया जाए और मुख्यमंत्री के द्वारा किया गया वादा निभा कर उन्हें संविदा शिक्षक की भर्ती में स्थान भी दिया जाए. अगर ऐसा नहीं होता है तो मजबूरी में अतिथि शिक्षकों को फिर सड़कों पर आकर आंदोलन करना पड़ेगा.

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