अनूपपुर। एमपी का अनूपपुर जिला पूरी तरह से आदिवासी बाहुल्य जिला है. यहां पर अनूपपुर जिले की पुष्पराजगढ़ विधानसभा सीट आदिवासी आरक्षित सीट है और यहां पर वर्तमान में कांग्रेस का कब्जा है. गुरुवार को बीजेपी ने अचानक ही आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए 39 प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर दिया. जिसमें एक नाम पुष्पराजगढ़ विधानसभा सीट का भी था. एकदम युवा बेदाग चेहरा हीरा सिंह श्याम इसके बाद से अब यह चर्चाएं जोर पकड़ने लग गई हैं कि जिस पुष्पराजगढ़ में पिछले दो पंचवर्षीय से कांग्रेस का कब्जा है और फुन्देलाल सिंह मार्को जैसे विधायक वहां पर काबिज हैं. ऐसे में क्या बीजेपी का यह 'हीरा' चमक पाएगा या फिर कांग्रेस के फुन्देलाल सिंह मार्को की चमक के आगे इस 'हीरे' की चमक फीकी रह जायेगी.
मार्को के आगे क्या चमक पायेगा बीजेपी का 'हीरा': पुष्पराजगढ़ एकदम आदिवासी बाहुल्य इलाका है. यहां पर आदिवासी वोटर्स की संख्या काफी ज्यादा है. आदिवासी आरक्षित सीट भी है, एक ऐसी सीट जहां बीजेपी पिछले 2 पंचवर्षीय से जीतने की कोशिश तो कर रही है, लेकिन जीत नहीं पा रही है. इस बार बीजेपी ने इस विधानसभा सीट पर एकदम युवा चेहरे को मैदान पर उतारा है. जिनका नाम हीरा सिंह श्याम है. चुनाव से बहुत पहले ही पार्टी ने नाम की घोषणा कर दी है, मतलब साफ है कि उन्हें तैयारी का पूरा मौका दिया जा रहा है. नई रणनीति के साथ पुष्पराजगढ़ सीट पर बीजेपी कांग्रेस को हराने की तैयारी कर रही है, लेकिन सवाल यही है कि युवा हीरा सिंह श्याम क्या कांग्रेस के दिग्गज आदिवासी चेहरा 2 पंचवर्षीय से लगातार जीतते आ रहे हैं. विधायक फुन्देलाल सिंह मार्को को हरा पाएंगे. सवाल बड़ा है. बीजेपी के लिए चुनौती भी बड़ी है, क्योंकि फुन्देलाल सिंह मार्को को पुष्पराजगढ़ में बड़ा आदिवासी चेहरा माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि इन्हें हराना आसान भी नहीं है, क्योंकि पुष्पराजगढ़ विधानसभा क्षेत्र में इनकी जड़ें काफी मजबूत हैं. जन-जन तक उनकी पहुंच है और उनके वोटर की भी संख्या काफी ज्यादा है. कहा तो यहां तक जाता है कि पूरे विधानसभा क्षेत्र में उनके रिश्तेदारों की भरमार है. अपने रिश्तेदारों से ही यह चुनाव जीत लेते हैं, ऐसे नेता को हरा पाना बीजेपी के इस 'हीरा' के लिए भी इतना आसान नहीं होगा, बल्कि एक बड़ी चुनौती होगी.
पूरे विधानसभा क्षेत्र में रिश्तेदारों की भरमार: वर्तमान में पुष्पराजगढ़ विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक फुन्देलाल सिंह मार्को हैं. ऐसा माना जा रहा है कि इस सीट पर कांग्रेस को इससे मजबूत प्रत्याशी मिलने भी नहीं वाला है. ऐसे में राजनीतिक पंडितों की माने तो मुकाबला बीजेपी के हीरा सिंह श्याम और कांग्रेस के फुन्देलाल सिंह मार्को के बीच ही होगा. फुन्देलाल सिंह मार्को को पुष्पराजगढ़ क्षेत्र में हराना इतना आसान भी नहीं माना जाता है. राजनीतिक जानकार कहते हैं की "पुष्पराजगढ़ विधानसभा क्षेत्र में फुन्देलाल सिंह मार्को के इतने रिश्तेदार ही हैं, कि वो चुनाव में बड़ी आसानी से बढ़त बना ले जाते हैं. मतलब उनके रिश्तेदारों की संख्या भी इस क्षेत्र में बहुत ज्यादा है. जो इन्हें चुनाव में भी काफी फायदा देता है. साथ ही युवाओं के बीच में काफी फेमस हैं. इनका आम जनजीवन, लोगों के साथ आसानी से घुल मिल जाना, लोगों के पास आसानी से पहुंच जाना. बिना बुलाए ही लोगों के कार्यक्रम में पहुंच जाना. आसानी से किसी बात का बुरा न मानना, यह यहां के लोगों को खूब भाता है और यही उनकी ताकत भी मानी जाती है. इसीलिए फुन्देलाल सिंह मार्को को पुष्पराजगढ़ क्षेत्र में काफी मजबूत माना जा रहा है."
पुष्पराजगढ़ में फुन्देलाल काफी मजबूत: कांग्रेस के प्रदेश प्रतिनिधि अजय अवस्थी कहते हैं की "फुन्देलाल सिंह मार्को पुष्पराजगढ़ क्षेत्र में कांग्रेस का एक बड़ा नाम है. पुष्पराजगढ़ विधानसभा सीट पर फुन्देलाल सिंह मार्को को किसी भी पार्टी या नेता के लिए हराना इतना आसान नहीं होगा. पिछले दो विधानसभा से उनके जीत के आंकड़ों पर ही नजर डाल लीजिए. जीत का अंतर और उन्होंने जितने वोट हासिल किये, वही बता देगा कि वो वहां कितने मजबूत हैं. अजय अवस्थी कहते हैं कि 24 घंटे आम लोगों के साथ फुन्देलाल सिंह मार्को जुड़े रहते हैं, जनसंपर्क में रहते हैं. साथ ही उनका एक मजबूत पक्ष यह भी है कि उनके पास उनके रिश्तेदारों की एक लंबी फेहरिस्त भी है."
रिश्तेदारों की लंबी फेहरिस्त: पुष्पराजगढ़ विधानसभा क्षेत्र के राजेंद्र ग्राम के रहने वाले कल्याण सिंह की उम्र लगभग 70 से 75 साल है. "कल्याण सिंह कहते हैं की वो खुद फुन्देलाल सिंह मार्को के रिश्तेदार हैं और उनकी रिश्तेदारी काफी लंबी है. पूरे पुष्पराजगढ़ विधानसभा क्षेत्र में उनकी रिश्तेदारी है. जहां जाएंगे आप उनके रिश्तेदार पा जाएंगे. इतना ही नहीं लगभग ढाई से 3 हज़ार तो उनके करीबी रिश्तेदार हैं. साथ ही दूर के रिश्तेदारों को जोड़ दें तो ये संख्या और बढ़ जाएगी. पूरे विधानसभा क्षेत्र में उनके रिश्तेदार ही मिल जाएंगे. चुनाव में भी इससे उनका काफी फायदा होता है, क्योंकि गांव-गांव में उनके रिश्तेदार आपको मिल जाएंगे.
कांग्रेस से ये सीट जीतना बीजेपी के लिए चुनौती:
पुष्पराजगढ़ विधानसभा सीट पर पिछले 2 पंचवर्षीय से कांग्रेस का कब्जा है.
- 2018 में पुष्पराजगढ़ विधानसभा सीट से कांग्रेस के फुन्देलाल सिंह मार्को ने बीजेपी के नरेंद्र सिंह मरावी को करीब 21,401 वोट के अंतर से हराया था. इस दौरान कांग्रेस के फुन्देलाल सिंह मार्को को जहां 62,352 वोट मिले थे तो बीजेपी के नरेंद्र सिंह मरावी को लगभग 40,951 वोट मिले थे.
- 2013 के विधानसभा चुनाव पर नजर डालें तो 2013 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस के फुन्देलाल सिंह मार्को ने जीत दर्ज की थी. 2013 के विधानसभा चुनाव में पुष्पराजगढ़ से कांग्रेस के फुन्देलाल सिंह मार्को के सामने सुदामा सिंह की चुनौती थी. इस दौरान फुन्देलाल सिंह मार्को ने करीब 35, 647 वोट के अंतर से बीजेपी के सुदामा सिंह को हराया था. जिसमें फुन्देलाल सिंह मार्को ने 69,192 वोट हासिल किए थे, तो वहीं भाजपा के सुदामा सिंह को महज 33,545 वोट ही मिले थे. 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव पर नजर डालें तो दोनों चुनाव में कांग्रेस के फुन्देलाल सिंह मार्को को अच्छा खासा वोट मिला है. बीजेपी आगामी विधानसभा चुनाव के काफी पहले ही अपने प्रत्याशी का नाम इस सीट पर घोषित कर चुकी है. रणनीति बनाने पर जोर लगा रही है.
- पुष्पराजगढ़ विधानसभा सीट में 2003 तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2013 के पहले 2008 में पुष्पराजगढ़ विधानसभा सीट से सुदामा सिंह ने बीजेपी से चुनाव लड़ा था और कांग्रेस के फुन्देलाल सिंह मार्को की चुनौती उनके सामने थी. फुन्देलाल सिंह मार्को पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ रहे थे. जहां महज 1,440 वोट से ही सुदामा सिंह ने जीत हासिल की थी, मतलब फुन्देलाल सिंह मार्को को बहुत कम मार्जिन से यहां हार का सामना करना पड़ा था.
- 2003 के आंकड़ों पर नजर डालें तो पुष्पराजगढ़ विधानसभा सीट में 2003 में बीजेपी के सुदामा सिंह ही जीते थे. यहां पर कांग्रेस की कद्दावर महिला नेता राजेश नंदनी को हराया था. इस दौरान सुदामा सिंह ने करीब 10, 577 वोट से जीत दर्ज की थी.
पुष्पराजगढ़ सीट पर होगी सबकी नजर: बहरहाल, कांग्रेस के फुन्देलाल सिंह मार्को की बात की जाए तो पुष्पराजगढ़ विधानसभा सीट से आदिवासियों का बड़ा नाम है. फुन्देलाल सिंह मार्को को हराना इतना आसान नहीं होगा. फुन्देलाल सिंह प्रदेश भर में अपनी एक्टिविटी से सुर्खियों में बने रहते हैं. अभी हाल ही में सीधी में हुए पेशाब कांड के बाद फुन्देलाल सिंह विधानसभा सत्र के दौरान आदिवासी किसानों की टोपी (खोमहरी) और कंबल ओढ़कर पहुंचे थे. इतना ही नहीं हमेशा अपने लिबास से सुर्खियों में बने रहते हैं. ऐसे नेता को हारना बीजेपी के लिए बहुत कठिन होने वाला है. देखा जाए तो आगामी विधानसभा चुनाव में अनूपपुर जिले की पुष्पराजगढ़ विधानसभा सीट पर भी सब की नजर रहेगी. देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस के फुन्देलाल सिंह मार्को हैट्रिक लगाते हैं या फिर बीजेपी का 'हीरा' अपनी चमक बिखेर देता है.