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MP:पहले साहस को सराहा फिर किया था ऐलान, वादा भूली शिवराज सरकार! कब मिलेगा पद्मावती अवॉर्ड - Bhopal Rashtramata Padmavati Award

Rani Padmavati Statue Bhopal: चुनावी साल में शिवराज सरकार (Shivraj Government News) किसी वर्ग को नाराज करना नहीं चाहती है. ऐलान पर अमल ऐसा ही होना चाहिए सीएम शिवराज सिंह चौहान राजपूत समाज के सम्मेलन में रानी पद्मावती की प्रतिमा लगाए जाने का इधर ऐलान करते हैं. उधर प्रतिमा की स्थापना के लिए भोपाल के मनुआभान की टेकरी पर भूमि पूजन भी हो गया.

padmavati award gangrape victim
रानी पद्मावती को लेकर सरकार में घोषणा
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Published : Jan 6, 2023, 10:19 PM IST

भोपाल। रानी पद्मावती को लेकर इसी सरकार में घोषणा पहले भी हुई थी. राष्ट्रमाता पद्मावती अवॉर्ड उस लड़की को दिए जाने का फैसला हुआ था. जो गैंगरेप की शिकार होकर दरिंदों के चंगुल से भागी थी और बाद में जिसने माता पिता के साथ पुलिस की मदद से इन आरोपियों को पकड़कर सलाखों के पीछे पहुंचाया था. जिसके साहस के बाद उसे पद्मावती अवार्ड देने की घोषणा की सरकार ने फिर कयों नहीं दिया गया उसे सम्मान. कहां गुम हुई वो लड़की. कैसे लड़ी उसने अपने इंसाफ की लड़ाई. क्या जिस्म के साथ जहन पर मिले ज़ख्मों को वो भूल पाई.

पद्मावती अवॉर्ड देने का वादा भूली सरकार: क्या हमारा समाज और सरकार बस कुछ समय के लिए ही संवेदना दिखाती हैं. ये सवाल है उस लड़की का. बहुत मुश्किलों से अब जिसकी जिंदगी पटरी पर लौट पाई है. वो कहती है, "मैने तो नहीं कहा कि, कैंडल मार्च निकालिए. मैनें नहीं कहा कि रानी पद्मावती अवॉर्ड मुझे दीजिए. मैं तो अपने माता पिता के दम खमोशी से अपने इंसाफ की लड़ाई लड़ती हूं.

साहस को सराहा फिर किया ऐलान: वो कहती है कि, मैं हैरान हूं कि सरकार ने पहले मेरे साहस को सराहा फिर ऐलान किया कि, राष्ट्रमाता पद्मावती अवॉर्ड देंगे. फिर खुद ही अपना वादा भुला दिया. मुझे नहीं पता कि फिर क्या राजनीति हुई. क्यों पुरस्कार अटका. मैं तो इतना जानती हूं कि सब थोड़े समय का था पुरस्कार के ऐलान भी. कैंडल मार्च भी लोगों की सहानुभूति और संवेदना भी. क्योंकि उसके बाद तो लंबा वक्त अदालती लड़ाई में अकेले मेरे माता पिता परेशान हुए. हम जूझ ही रहे हैं अब तक. फिर कोई साथ नहीं आया.

padmavati award gangrape victim
रानी पद्मावती को लेकर सरकार में घोषणा
क्या सियासी शिगुफा था पुरस्कार का ऐलान: जिस रफ्तार से पद्मावती की प्रतिमा के लिए भूमिपूजन हुआ सवाल उठ रहे हैं कि, इन्ही रानी पद्मावती के नाम पर दिया जाने वाला पुरस्कार क्या केवल सियासी शिगुफा था. महिला अपराध को लेकर जितनी सख्त सजाओं की जरुरत है. उतना ही जरुरी इस तरह के मामलों को लेकर समाज की सोच बदलने की भी है. एक गैंगरेप पीड़िता को ये अवॉर्ड देकर समाज की सोच बदलने का भी प्रयास था. जो सरकारी फाईलों तक पहुंचा भी नहीं और कोई जानता भी नहीं. सिर्फ जुमलों पर चढ़कर फौरी माहौल बनाने की कोशिश की गई थी.

अफसर बिटिया बनाने का था सपना: किसी ने कभी खोज खबर भी नहीं ली कि वो लड़की अब भी उसी दहशत में है. या डर से बाहर आ पाई. अफसर बिटिया बनाने का उसका सपना तो उसी वक्त दम तोड़ चुका था, लेकिन वो लड़की क्या दुबारा अपनी जिंदगी में क्या लौट पाई है. जिस वक्त ये हादसा हुआ था ये लड़की उस समय यूपीएससी की तैयारी कर रही थी. कोचिंग से लौट रही थी.

पीड़िता कहती है...मेरा सपना तो टूट ही गया. हांलाकि मेरी मां ने कहा भी था कि अवॉर्ड नहीं दिया सरकार ने कोई बात नहीं. उसकी बजाए एमपीपीएससी में बेटी को कोटा दिलवा दें. मेरा अफसर बनने का सपना सच करवा दें, लेकिन समाज और सरकार की याददाश्त छोटी होती है. कौन सुनवाई करता किसी ने पलटकर देखा भी नहीं. कुछ दिनों तक मुझे लेकर राजनीति हुई. मुझे मोहरा बनाया गया. लोगों ने भोपाल की सड़कों पर कैंडल मार्च निकाले. फिर सब खत्म. पीड़िता अब एलएलबी की पढ़ाई कर रही है. वो भी इसलिए कि अगर उसके जैसे हादसे से कोई और लड़की गुजरी तो उसकी पूरी कानूनी मदद कर सके.

एमपी में अब 'प्रताप-पद्मिनी' पुरस्कार, स्कूल सिलेबस में पद्मिनी की शौर्यगाथा: सीएम

यह था पूरा मामला: घटना 1 नवम्बर 2017 की है. भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन के पास कोचिंग से लौट रही यूपीएससी की छात्रा के साथ 4 लड़कों ने रेलवे ट्रैक पर गैंगरेप किया था. बाद में उसे मारने की भी कोशिश की गई थी, लेकिन जब लड़की बेहोश हो गई तो उसे मरा समझकर आरोपी भाग गए थे. बाद में ये लड़की होश में आने के बाद थाने पर अपने साथ हुई ज्यादती की रिपोर्ट लिखाने के लिए भटकी थी. सिस्टम की खामियां भी इसी केस के बाद उजागर हुई थी कि, किस तरह से इस मामले में पुलिस ने गैर संवेदनशीलता का परिचय दिया था. बाद में यही रवैया आरोपियों को पकड़ने में भी रहा. तब भी पीड़िता ने माता पिता के साथ मिलकर चार में से तीन आरोपियों को पकड़कर खुद ही पुलिस को सौंपा था. इसी के बाद इस लड़की को सरकार ने उसके साहस के लिए राजमाता पद्मावती अवॉर्ड देने की घोषणा की थी.

भोपाल। रानी पद्मावती को लेकर इसी सरकार में घोषणा पहले भी हुई थी. राष्ट्रमाता पद्मावती अवॉर्ड उस लड़की को दिए जाने का फैसला हुआ था. जो गैंगरेप की शिकार होकर दरिंदों के चंगुल से भागी थी और बाद में जिसने माता पिता के साथ पुलिस की मदद से इन आरोपियों को पकड़कर सलाखों के पीछे पहुंचाया था. जिसके साहस के बाद उसे पद्मावती अवार्ड देने की घोषणा की सरकार ने फिर कयों नहीं दिया गया उसे सम्मान. कहां गुम हुई वो लड़की. कैसे लड़ी उसने अपने इंसाफ की लड़ाई. क्या जिस्म के साथ जहन पर मिले ज़ख्मों को वो भूल पाई.

पद्मावती अवॉर्ड देने का वादा भूली सरकार: क्या हमारा समाज और सरकार बस कुछ समय के लिए ही संवेदना दिखाती हैं. ये सवाल है उस लड़की का. बहुत मुश्किलों से अब जिसकी जिंदगी पटरी पर लौट पाई है. वो कहती है, "मैने तो नहीं कहा कि, कैंडल मार्च निकालिए. मैनें नहीं कहा कि रानी पद्मावती अवॉर्ड मुझे दीजिए. मैं तो अपने माता पिता के दम खमोशी से अपने इंसाफ की लड़ाई लड़ती हूं.

साहस को सराहा फिर किया ऐलान: वो कहती है कि, मैं हैरान हूं कि सरकार ने पहले मेरे साहस को सराहा फिर ऐलान किया कि, राष्ट्रमाता पद्मावती अवॉर्ड देंगे. फिर खुद ही अपना वादा भुला दिया. मुझे नहीं पता कि फिर क्या राजनीति हुई. क्यों पुरस्कार अटका. मैं तो इतना जानती हूं कि सब थोड़े समय का था पुरस्कार के ऐलान भी. कैंडल मार्च भी लोगों की सहानुभूति और संवेदना भी. क्योंकि उसके बाद तो लंबा वक्त अदालती लड़ाई में अकेले मेरे माता पिता परेशान हुए. हम जूझ ही रहे हैं अब तक. फिर कोई साथ नहीं आया.

padmavati award gangrape victim
रानी पद्मावती को लेकर सरकार में घोषणा
क्या सियासी शिगुफा था पुरस्कार का ऐलान: जिस रफ्तार से पद्मावती की प्रतिमा के लिए भूमिपूजन हुआ सवाल उठ रहे हैं कि, इन्ही रानी पद्मावती के नाम पर दिया जाने वाला पुरस्कार क्या केवल सियासी शिगुफा था. महिला अपराध को लेकर जितनी सख्त सजाओं की जरुरत है. उतना ही जरुरी इस तरह के मामलों को लेकर समाज की सोच बदलने की भी है. एक गैंगरेप पीड़िता को ये अवॉर्ड देकर समाज की सोच बदलने का भी प्रयास था. जो सरकारी फाईलों तक पहुंचा भी नहीं और कोई जानता भी नहीं. सिर्फ जुमलों पर चढ़कर फौरी माहौल बनाने की कोशिश की गई थी.

अफसर बिटिया बनाने का था सपना: किसी ने कभी खोज खबर भी नहीं ली कि वो लड़की अब भी उसी दहशत में है. या डर से बाहर आ पाई. अफसर बिटिया बनाने का उसका सपना तो उसी वक्त दम तोड़ चुका था, लेकिन वो लड़की क्या दुबारा अपनी जिंदगी में क्या लौट पाई है. जिस वक्त ये हादसा हुआ था ये लड़की उस समय यूपीएससी की तैयारी कर रही थी. कोचिंग से लौट रही थी.

पीड़िता कहती है...मेरा सपना तो टूट ही गया. हांलाकि मेरी मां ने कहा भी था कि अवॉर्ड नहीं दिया सरकार ने कोई बात नहीं. उसकी बजाए एमपीपीएससी में बेटी को कोटा दिलवा दें. मेरा अफसर बनने का सपना सच करवा दें, लेकिन समाज और सरकार की याददाश्त छोटी होती है. कौन सुनवाई करता किसी ने पलटकर देखा भी नहीं. कुछ दिनों तक मुझे लेकर राजनीति हुई. मुझे मोहरा बनाया गया. लोगों ने भोपाल की सड़कों पर कैंडल मार्च निकाले. फिर सब खत्म. पीड़िता अब एलएलबी की पढ़ाई कर रही है. वो भी इसलिए कि अगर उसके जैसे हादसे से कोई और लड़की गुजरी तो उसकी पूरी कानूनी मदद कर सके.

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यह था पूरा मामला: घटना 1 नवम्बर 2017 की है. भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन के पास कोचिंग से लौट रही यूपीएससी की छात्रा के साथ 4 लड़कों ने रेलवे ट्रैक पर गैंगरेप किया था. बाद में उसे मारने की भी कोशिश की गई थी, लेकिन जब लड़की बेहोश हो गई तो उसे मरा समझकर आरोपी भाग गए थे. बाद में ये लड़की होश में आने के बाद थाने पर अपने साथ हुई ज्यादती की रिपोर्ट लिखाने के लिए भटकी थी. सिस्टम की खामियां भी इसी केस के बाद उजागर हुई थी कि, किस तरह से इस मामले में पुलिस ने गैर संवेदनशीलता का परिचय दिया था. बाद में यही रवैया आरोपियों को पकड़ने में भी रहा. तब भी पीड़िता ने माता पिता के साथ मिलकर चार में से तीन आरोपियों को पकड़कर खुद ही पुलिस को सौंपा था. इसी के बाद इस लड़की को सरकार ने उसके साहस के लिए राजमाता पद्मावती अवॉर्ड देने की घोषणा की थी.

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