जबलपुर। मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले में बीते दिन कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी चुनावी दौरे पर आईं थी. जहां संस्कारधानी के गोल बाजार की सभा में प्रियंका गांधी के भाषण में कुछ ऐसी बातें थी, जो सामान्य तौर पर नेताओं के भाषणों में नहीं होती. प्रियंका गांधी ने अपने भाषण के जरिए धर्म, आस्था, विश्वास, जज्बात और कर्मकांड जैसे मुद्दों पर लोगों को समझदार बनने की सलाह दी. वहीं इस दौरान प्रियंका गांधी ने नेताओं के बारे में बोलते हुए कहा की जनता ही नेताओं की आदत बिगाड़ रही है कि नेता बिना वादे पूरे किए भी सत्ता में बने रहते हैं.
आस्था और कर्मकांड: प्रियंका गांधी ने गोल बाजार की सभा में कहा कि जब वे नर्मदा नदी की पूजन करने गई तो उनके मन में विचार आ रहा था कि नर्मदा मैया से सदियों से करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. हमारे मन में क्या आस्था होती है और क्या है वह आस्था जो सदियों से नर्मदा पूजन करने वाले लोगों के मन में रही होगी. प्रियंका गांधी का कहना है कि वे सोच रही थीं कि जिस तरह की आस्था लोगों की नर्मदा मैया में है, धर्म में है, वैसी आस्था राजनीति करने वाले लोगों की जनता के प्रति होनी चाहिए. प्रियंका गांधी ने दावा करते हुए कहा कि यह आस्था कभी स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई लड़ने वाले लोगों के मन में रही होगी. इसीलिए उन्होंने देश के लिए अपनी जान तक न्यौछावर कर दी, लेकिन जिस तरीके से धर्म में कर्मकांड बढ़ गया है. उसी तरीके से राजनीति में भी आस्था की जगह कर्मकांड ने ले ली है. नेता जो कहते हैं, जो वादे करते हैं. उन पर उन्हीं की आस्था नहीं होती. उन पर खुद का ही विश्वास नहीं होता. केवल चुनाव जीतने के लिए एक कर्मकांड की तरह घोषणाएं कर दी जाती है और बाद में इन्हें भुला दिया जाता है. प्रियंका गांधी ने अपने भाषण में इस बात का जिक्र किया कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री चुनावी घोषणा करके भूल जाते हैं.
जनता ने नेताओं की आदत बिगाड़ी: प्रियंका गांधी का कहना है कि नेताओं की आदत जनता ने ही बिगाड़ी है. इस संदर्भ में बोलते हुए उन्होंने ने कहा कि नेता चुनाव के दौरान जो भाषण में वादे करते हैं. यदि वे उसे पूरा नहीं करते तो जनता को नेताओं को सत्ता से हटाना चाहिए था, लेकिन जनता इसके बाद भी उन्हें उनके पद पर बने रहने देती है. इससे नेताओं की आदत बिगड़ गई है और उन्हें लगता है कि बिना वादे पूरे किए हुए भी सत्ता में रहा जा सकता है. प्रियंका ने कहा कि वे वोट मांगने नहीं आई हैं, बल्कि आप को जागरूक करने आईं हैं कि नेता जो वादा करें यदि वह उसे पूरा नहीं कर रहा है तो उसे सत्ता में बने रहने का अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि जनता को नेता को सच बोलने के लिए मजबूर करना चाहिए. हालांकि प्रियंका गांधी इसमें बीच-बीच में मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार और केंद्र की मोदी सरकार का जिक्र भी कर रही थीं.
घोटालों का असर जनता पर: प्रियंका गांधी ने अपने भाषण में कहा कि हम अक्सर सुनते हैं कि नेता घोटाला कर रहे हैं और भ्रष्टाचार कर रहे हैं, लेकिन हम इस पर संवेदनहीन बने रहते हैं. आम आदमी अब यह सोचने लगा है की होने दो घोटाला, इससे हमें कोई फर्क नहीं पड़ता. प्रियंका गांधी का कहना है कि जनता की यह सोच गलत है. इसका असर जनता के लिए ही होने वाले कामकाज पर पड़ता है. सत्ता में बैठा हुआ नेता यदि भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है, घोटाले में डूबा हुआ है तो वह जनता की भलाई भूल जाता है. इसका असर हमारे समाज में बढ़ती हुई गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी जैसी समस्याओं के रूप में देखने को मिलता है.
बीजेपी जज्बात उभार कर वोट लेती है: प्रियंका गांधी ने बीजेपी पर सीधा आरोप लगाया है कि वह धर्म का इस्तेमाल वोट मांगने के लिए करती है. उनका कहना है कि धर्म और आस्था हमारे लिए सर्वोपरि है. हम बिना धर्म और आस्था के नहीं रह पाते और बीजेपी इस बात को समझती है. इसलिए चुनाव के ठीक पहले हमारे इन्हीं जज्बातों को उभार जाता है और जनता से वोट मांगे जाते हैं. जनता जज्बात में बीजेपी को वोट भी करती है. प्रियंका गांधी ने लोगों को सलाह दी है कि जज्बात में आकर वोट ना करें.