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Mysterious Place Patalkot: अनोखी दुनिया 'पातालकोट' को बदलने के लिए कई घोषणाएं, लेकिन आदिवासियों तक नहीं पहुंच रहा योजनाओं का लाभ

विश्व में अनोखी दुनिया की पहचान रखने वाले पातालकोट को सरकार ने भले ही 2019 में जैव विविधता विरासत स्थल घोषित कर दिया, लेकिन यहां के आदिवासियों के रहन-सहन में अब तक कोई बदलाव नहीं आया और ना ही सरकार ने इस और कोई अहम कदम उठाए हैं. पढ़िए ईटीवी भारत के लिए छिंदवाड़ा से संवाददाता महेंद्र राय की खास रिपोर्ट...

patalkot tribal problem biodiversity
पातालकाोट में दुर्लभ जड़ी बूटियों का खजाना
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 28, 2023, 5:07 PM IST

Updated : Sep 28, 2023, 9:53 PM IST

पातालकोट में सुविधाएं से वंचित आदिवासी

छिंदवाड़ा। मध्य प्रदेश सरकार ने 2019 में विश्व भर में अनोखी दुनिया के नाम से अपनी पहचान कायम करने वाले पातालकोट को जैव विविधता विरासत स्थल घोषित किया था. इस स्थान पर पक्षी, कीट, पतंगे, वनस्पति और वन्य प्राणियों की विविध प्रजातियों का संरक्षण करने की योजना है. मध्य प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड को पातालकोट में दुर्लभ जड़ी बूटियां का भंडार मिला है. इसके आसपास रहने वाले आदिवासी समुदाय के लोग इनका उपयोग भी बखूबी जानते हैं. सरकार ने इन्हीं की निगरानी में उनकी विरासत को सहेजने का फैसला लिया था.

Patalkot declared as biodiversity place
विश्व का सबसे अनोखा स्थान कहलाता है पातालकोट

दुर्लभ वनस्पति और प्राणियों का अनूठा भूभाग: पातालकोट के 43 05.25 हेक्टर और तामिया वन परिक्षेत्र की 4062.24 हेक्टेयर क्षेत्र को जैव विविधता विरासत स्थल घोषित किया गया है. 1700 फीट गहरी घाटी की तली में स्थित इस क्षेत्र के रिसर्च पर इसकी अनुमानित आयु 6 मिलियन वर्ष पाई गई है. क्षेत्र में ब्रायोफाइट्स एवं टेरिडोफाइट्स सहित दुर्लभ वनस्पति और प्राणियों का अनूठा भूभाग भी पाया गया था. यहां भारिया समुदाय के लोग रहते हैं, जिन्हें यहां पर पैदा होने वाली जड़ी बूटियां का पारंपरिक ज्ञान है. यहां के रहने वाले आदिवासियों का कहना है कि ''सरकार घोषणाएं तो बहुत करती हैं लेकिन इसका लाभ उन तक नहीं पहुंच पाता है. इसलिए उनके जीवन में कोई सुधार नहीं हुआ है.''

रोजगार के लिए पलायन कर रहे युवा: पातालकोट के युवाओं का कहना है कि ''पातालकोट के नाम पर राजनीतिक दल से लेकर प्रशासन तक विकास के बड़े-बड़े दावे करते हैं, लेकिन यहां रोजगार का सबसे बड़ा संकट है. इसलिए यहां के युवाओं को रोजगार के लिए पलायन करना पड़ता है. अधिकतर युवा पड़ोसी जिला नागपुर या फिर भोपाल के मंडीदीप में मजदूरी करने पहुंचते हैं. पातालकोट इलाके के अधिकतर आदिवासी वनोपज पर अपना जीवन यापन करते हैं. सरकार ने वन उपज को सरकारी दाम पर खरीदने के लिए कई तरह की स्कीम बनाई. लेकिन लोगों का कहना है कि सरकार खरीदी नहीं करती है इसलिए मजबूरन उन्हें साहूकारों को बेशकीमती अचार की गुठलियाँ, महुआ के फूल, आंवला जैसे कई वनोपज सस्ते दामों पर बेचना पड़ता है.

Patalkot declared as biodiversity place
पातालकोट में दुर्लभ जड़ी बूटियों का खजाना

समितियां बनाई गईं, नहीं कर सकी कोई काम: छिंदवाड़ा जिले में 2019 में ही जिले की 784 ग्राम पंचायत में जैव विविधता समितियां का गठन किया गया था, ताकि वे जैव विविधता से संबंधित कामों को कर सकें. इन समितियां के माध्यम से गांव में प्लांटेशन जैव विविधता संरक्षण का काम करना था लेकिन इन समितियां ने भी अपना काम नहीं किया.

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भारिया जनजाति को मिल चुका है हैबिटेट राइट्स का दर्जा: पातालकोट में निवास करने वाली भारिया जनजाति का अब जल, जंगल जमीन पहाड़ सहित सभी प्राकृतिक संपदा पर उनका हक होगा. पातालकोट क्षेत्र में अगर सरकार को कोई निर्माण भी करना होगा तो उन्हें भारिया जनजाति के समुदाय से अनुमति लेनी पड़ेगी. पातालकोट की 9276 हेक्टेयर भूमि में 8326 हेक्टेयर वन भूमि और 950 हेक्टेयर राजस्व भूमि शामिल की गई है. पातालकोट की सभी ग्राम पंचायत के साथ ही वन विभाग ने भी अब यह जमीन छोड़ दिया है. पातालकोट की जमीन अकेली नहीं बल्कि यहां के जंगल के मालिक भी अब भारिया समुदाय के लोग हैं. यह अपनी जरूरत के हिसाब से यहां के संसाधनों का उपयोग कर सकते हैं, लेकिन उनका कहना है कि ''उन्हें सिर्फ यह चीज सरकारी कागजों में बताई जाती है हकीकत में उनका उत्थान अब तक नहीं हुआ है.''

Patalkot declared as biodiversity place
भारिया जनजाति को मिल चुका है हैबिटेट राइट्स का दर्जा

औषधीय प्लांटेशन की योजना: पश्चिमी वन मंडल के डीएफओ ईश्वर जरांडे ने बताया कि ''पातालकोट के हिस्से पर जल्द औषधीय प्लांटेशन की योजना बनाई जाएगी. देलाखारी की नर्सरी में प्लांटेशन का एक प्रोजेक्ट बनाकर सरकार को भेज दिया गया है. सरकार और वन विभाग जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए सवेदनशीलत से काम कर रही है.''

पातालकोट में सुविधाएं से वंचित आदिवासी

छिंदवाड़ा। मध्य प्रदेश सरकार ने 2019 में विश्व भर में अनोखी दुनिया के नाम से अपनी पहचान कायम करने वाले पातालकोट को जैव विविधता विरासत स्थल घोषित किया था. इस स्थान पर पक्षी, कीट, पतंगे, वनस्पति और वन्य प्राणियों की विविध प्रजातियों का संरक्षण करने की योजना है. मध्य प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड को पातालकोट में दुर्लभ जड़ी बूटियां का भंडार मिला है. इसके आसपास रहने वाले आदिवासी समुदाय के लोग इनका उपयोग भी बखूबी जानते हैं. सरकार ने इन्हीं की निगरानी में उनकी विरासत को सहेजने का फैसला लिया था.

Patalkot declared as biodiversity place
विश्व का सबसे अनोखा स्थान कहलाता है पातालकोट

दुर्लभ वनस्पति और प्राणियों का अनूठा भूभाग: पातालकोट के 43 05.25 हेक्टर और तामिया वन परिक्षेत्र की 4062.24 हेक्टेयर क्षेत्र को जैव विविधता विरासत स्थल घोषित किया गया है. 1700 फीट गहरी घाटी की तली में स्थित इस क्षेत्र के रिसर्च पर इसकी अनुमानित आयु 6 मिलियन वर्ष पाई गई है. क्षेत्र में ब्रायोफाइट्स एवं टेरिडोफाइट्स सहित दुर्लभ वनस्पति और प्राणियों का अनूठा भूभाग भी पाया गया था. यहां भारिया समुदाय के लोग रहते हैं, जिन्हें यहां पर पैदा होने वाली जड़ी बूटियां का पारंपरिक ज्ञान है. यहां के रहने वाले आदिवासियों का कहना है कि ''सरकार घोषणाएं तो बहुत करती हैं लेकिन इसका लाभ उन तक नहीं पहुंच पाता है. इसलिए उनके जीवन में कोई सुधार नहीं हुआ है.''

रोजगार के लिए पलायन कर रहे युवा: पातालकोट के युवाओं का कहना है कि ''पातालकोट के नाम पर राजनीतिक दल से लेकर प्रशासन तक विकास के बड़े-बड़े दावे करते हैं, लेकिन यहां रोजगार का सबसे बड़ा संकट है. इसलिए यहां के युवाओं को रोजगार के लिए पलायन करना पड़ता है. अधिकतर युवा पड़ोसी जिला नागपुर या फिर भोपाल के मंडीदीप में मजदूरी करने पहुंचते हैं. पातालकोट इलाके के अधिकतर आदिवासी वनोपज पर अपना जीवन यापन करते हैं. सरकार ने वन उपज को सरकारी दाम पर खरीदने के लिए कई तरह की स्कीम बनाई. लेकिन लोगों का कहना है कि सरकार खरीदी नहीं करती है इसलिए मजबूरन उन्हें साहूकारों को बेशकीमती अचार की गुठलियाँ, महुआ के फूल, आंवला जैसे कई वनोपज सस्ते दामों पर बेचना पड़ता है.

Patalkot declared as biodiversity place
पातालकोट में दुर्लभ जड़ी बूटियों का खजाना

समितियां बनाई गईं, नहीं कर सकी कोई काम: छिंदवाड़ा जिले में 2019 में ही जिले की 784 ग्राम पंचायत में जैव विविधता समितियां का गठन किया गया था, ताकि वे जैव विविधता से संबंधित कामों को कर सकें. इन समितियां के माध्यम से गांव में प्लांटेशन जैव विविधता संरक्षण का काम करना था लेकिन इन समितियां ने भी अपना काम नहीं किया.

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भारिया जनजाति को मिल चुका है हैबिटेट राइट्स का दर्जा: पातालकोट में निवास करने वाली भारिया जनजाति का अब जल, जंगल जमीन पहाड़ सहित सभी प्राकृतिक संपदा पर उनका हक होगा. पातालकोट क्षेत्र में अगर सरकार को कोई निर्माण भी करना होगा तो उन्हें भारिया जनजाति के समुदाय से अनुमति लेनी पड़ेगी. पातालकोट की 9276 हेक्टेयर भूमि में 8326 हेक्टेयर वन भूमि और 950 हेक्टेयर राजस्व भूमि शामिल की गई है. पातालकोट की सभी ग्राम पंचायत के साथ ही वन विभाग ने भी अब यह जमीन छोड़ दिया है. पातालकोट की जमीन अकेली नहीं बल्कि यहां के जंगल के मालिक भी अब भारिया समुदाय के लोग हैं. यह अपनी जरूरत के हिसाब से यहां के संसाधनों का उपयोग कर सकते हैं, लेकिन उनका कहना है कि ''उन्हें सिर्फ यह चीज सरकारी कागजों में बताई जाती है हकीकत में उनका उत्थान अब तक नहीं हुआ है.''

Patalkot declared as biodiversity place
भारिया जनजाति को मिल चुका है हैबिटेट राइट्स का दर्जा

औषधीय प्लांटेशन की योजना: पश्चिमी वन मंडल के डीएफओ ईश्वर जरांडे ने बताया कि ''पातालकोट के हिस्से पर जल्द औषधीय प्लांटेशन की योजना बनाई जाएगी. देलाखारी की नर्सरी में प्लांटेशन का एक प्रोजेक्ट बनाकर सरकार को भेज दिया गया है. सरकार और वन विभाग जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए सवेदनशीलत से काम कर रही है.''

Last Updated : Sep 28, 2023, 9:53 PM IST

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