सागर। मध्य प्रदेश की राजनीति में सत्ता किसी की भी रही हो नेताओं ने अपने सियासी विरोधियों, उनके खिलाफ आवाज उठाने वाले पत्रकार और आम नागरिकों को कमजोर या प्रताड़ित करने के लिए सत्ता का दुरूपयोग करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. 2018 में कमलनाथ सरकार बनने और 2020 में सरकार गिरने और फिर भाजपा सरकार बनने के बाद बदलापुर की सियासत ने और भी जोर पकड़ा है. हाथ से सत्ता की ताकत न खिसक जाए इसके लिए राजनेताओं ने नैतिकता और लोकलाज ताक पर रखकर अपने सियासी मंसूबे पूरे करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. ऐसे में विधानसभा चुनाव 2023 के परिणाम के बाद सरकार भाजपा की बने या कांग्रेस की ये सिलसिला रूकता नजर नहीं आ रहा है.
बुंदेलखंड Vs बदलापुर!: वैसे तो पूरे मध्यप्रदेश में सियासी बदले की राजनीति हावी हो रही है लेकिन बुंदेलखंड इलाका सियासी बदलापुर के तौर पर पहचान बना रहा है. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के एक साल पहले और चुनाव के दौरान के सियासी घटनाक्रम पर गौर करें तो बुंदेलखंड बदले की सियासत के लिए पूरे प्रदेश में सुर्खियों में रहा है. चुनाव के ठीक एक साल पहले दिसंबर में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की बुंदेलखंड की सियासत में एंट्री होती है और उनके निशाने पर शिवराज सरकार के तीन मंत्री भूपेन्द्र सिंह,गोविंद सिंह राजपूत और गोपाल भार्गव रहते हैं. कांग्रेस का आरोप है कि इन मंत्रियों ने अपने इलाकों में सियासी विरोधियों खासकर कांग्रेसियों और मंत्रियों के खिलाफ आवाज उठाने वाले आम नागरिकों,पत्रकारों को प्रताड़ित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.
दिग्विजय सिंह ने खोला मोर्चा: किसी को झूठे केस में फंसाकर जेल डाल में डाल दिया,तो किसी के घर पर बुलडोजर चलवा दिया. किसी को इतना प्रताड़ित किया कि वो सबकुछ छोड़कर भागने पर मजबूर हो गया. दिग्विजय सिंह ने ऐसे कई लोगों से उनके घर और जेल में जाकर मुलाकात की और मंत्रियों के खिलाफ मोर्चा खोला. आरोप प्रत्यारोप का दौर साल भर चलता रहा और बुंदेलखंड में इन भाजपा दिग्गजों के खिलाफ कांग्रेस ने इन मुद्दों की दम पर सियासी जमीन तैयार की.
हिंसा के लिए सुर्खियों में रहा बुंदेलखंड: बुंदेलखंड में भाजपा पर अत्याचार और अन्याय के आरोपों की सियासी जमीन पर चुनाव लड़ रही कांग्रेस के आरोप मतदान और मतदान के बाद सच साबित होते नजर आए. छतरपुर की राजनगर विधानसभा में मतदान की रात कांग्रेस प्रत्याशी विक्रम सिंह नातीराजा के सहयोगी नेता की हिंसक झड़प के दौरान मौत हो गयी. आरोप है कि कांग्रेस प्रत्याशी नातीराजा और भाजपा प्रत्याशी अरविंद पटैरिया के काफिले आमने सामने आ गए और तनातनी में भाजपा के लोगों ने कांग्रेस प्रत्याशी के सहयोगी सलमान खान पर गाड़ी चढ़ा दी,जिसने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया.
रहली विधानसभा का घटनाक्रम: दूसरा घटनाक्रम सागर जिले की रहली विधानसभा में सामने आया है. जहां मतदान के दूसरे दिन शनिवार शाम कांग्रेस प्रत्याशी ज्योति पटेल भाजपा प्रत्याशी मंत्री गोपाल भार्गव के गृहनगर गढ़ाकोटा अपने साथियों के साथ पहुंची,तो कुछ लोगों ने हमला कर दिया. कांग्रेस प्रत्याशी ने फेसबुक लाइव पर जानकारी दी और आरोप लगाया कि मंत्री गोपाल भार्गव, उनके भाई श्रीराम भार्गव और उनके बेटे अभिषेक भार्गव ने ये हमला करवाया. गोपाल भार्गव का आरोप है कि कांग्रेस के लोग गाड़ियों में गोला बारूद और असलहा लेकर उनकी हत्या करना चाहते थे.
दिग्विजय सिंह के आने से गरमाया माहौल:
इन दोनों घटनाक्रमों का सियासी रंग तब और चढ़ गया जब पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह मतदान के बाद शनिवार रात को राजनगर पहुंचे और कांग्रेस प्रत्याशी के सहयोगी की मौत के दोषियों पर कार्रवाई को लेकर खजुराहो थाने के सामने बिस्तर लगाकर रात भर धरना दिया. रविवार शाम तक राजनगर विधानसभा में रहने के बाद दिग्विजय सिंह सीधे रहली विधानसभा के गढ़ाकोटा पहुंचे और रात में ही घटनास्थल पहुंचे,जहां कांग्रेस प्रत्याशी ज्योति पटेल के साथियों पर हमला किया गया था. घटना का जायजा लेने के बाद दिग्विजय सिंह रात गढ़ाकोटा में ही रूके और सुबह गढ़ाकोटा थाने पहुंचकर घटनाक्रम पर पुलिस कार्रवाई की जानकारी ली.
राजकुमार धनोरा से की मुलाकात: उन्होनें मंत्री गोपाल भार्गव पर लगे आरोपों को लेकर आश्चर्य व्यक्त किया और कहा कि उन्हें गोपाल भार्गव से ऐसी उम्मीद नहीं थी. दिग्विजय सिंह सागर पहुंचे और केंद्रीय जेल में राजकुमार धनोरा से मुलाकात की. राजकुमार सिंह धनोरा भाजपा से निष्कासित नेता हैं जो मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के विधानसभा क्षेत्र सुरखी के रहने वाले हैं. राजकुमार सिंह धनोरा ने मंत्री गोविंद सिंह राजपूत की खिलाफत की और जमीनों के हेराफेरी के खुलासे किए थे. इन दिनों राजकुमार सिंह धनोरा एक मामले में जेल में हैं.
क्या कहना है कांग्रेस का: मप्र कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेन्द्र गुप्ता कहते हैं कि भाजपा ने बुंदेलखंड को बदलापुर की राजनीति का केंद्र और अड्डा बना दिया है. जिस तरह से जनता को, प्रतिपक्षियों और असहमत लोगों को सताने का काम भाजपा के लोगों ने इस क्षेत्र में किया है वह दहलाने वाला है. गोलियां चलवाना, झगड़ा करना, लोगों को झंडे ना लगाने देना, झंडा लगाने वालों के साथ मारपीट करना ये सारे काम बुंदेलखंड में किए गए हैं, इसका परिणाम भाजपा को भोगना पड़ेगा.
क्या कहना है भाजपा का: मप्र भाजपा के प्रवक्ता प्रदीप राजौरिया का कहना है कि चाहे राजनगर की घटना हो या गढ़ाकोटा की, इन घटनाओं को देखें तो भाजपा की रीति नीति, हमारे जनप्रतिनिधि और वरिष्ठ नेता सेवा के सतत उद्देश्य से सदैव काम करते हैं. जिसका परिणाम है कि आज हमारे सभी प्रत्याशी जनमानस में लोकप्रिय हैं.
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क्या जारी रहेगा बदलापुर: इन हालातों से एक बात तो साफ है कि भविष्य में बुंदेलखंड सियासी बदलापुर की राजनीति के प्रतीक के तौर पर उभरेगा. सरकार किसी भी दल की बने, दोनों दल चुनाव के दौरान उपजी खटास और विवादों का बदला लेने से बाज नहीं आएगें. अगर भाजपा फिर से सरकार में आती है तो चुनाव के दौरान कांग्रेस ने जो आरोप लगाए उसे लेकर ये सिलसिला जारी रहेगा. अगर सरकार कांग्रेस की बनती है तो सरकार पर दबाव रहेगा कि उनके कार्यकर्ताओं के साथ हुए घटनाक्रम का वो बदला ले. इन हालातों में फिलहाल ये सिलसिला रूकता हुआ नजर नहीं आता है.