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Eye Infection in MP Children: भोपाल में कंजंक्टिवाइटिस की दस्तक, हर घर में बच्चों की आंखें हो रहीं लाल, जानिए बीमारी के लक्षण, सावधानियां और उपचार

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Published : Jul 24, 2023, 9:44 PM IST

Updated : Jul 24, 2023, 10:45 PM IST

Eye Infection in MP Children: भोपाल में हर घर में एक बच्चा आई कंजेक्टिवाइटिस का शिकार हो रहा है. स्कूलों ने माता-पिता को सरकुलेशन भेज बच्चों की छुट्टी करवा दी है. बढ़ते मरीजों को लेकर एम्स में अलग ओपीडी बनाई गई है. डॉक्टरों से जानिए बीमारी के लक्षण, सावधानियां और उपचार.

3000 children complain of conjunctivitis
भोपाल में आई कंजंक्टिवाइटिस की दस्तक
भोपाल में आई कंजंक्टिवाइटिस की दस्तक

भोपाल। मध्य प्रदेश में लगातार हो रही बारिश के साथ मौसम में भी बदलाव हो रहा है. ऐसे में इस बदलाव का असर बैक्टेरियम को जन्म देता है. जिसमें सर्दी खांसी के साथ ही आंखों का लाल होना यानी आंखों में कंजेक्टिवाइटिस की शिकायत सबसे ज्यादा सामने आने लगी है और इसका सबसे ज्यादा असर बच्चों पर भी हो रहा है. बच्चों में बैक्टीरिया इन्फेक्शन के कारण कंजंक्टिवाइटिस ने उन्हें अपनी चपेट में ले लिया है. जिस वजह से स्कूलों में भी बच्चे इसकी चपेट में आ गए हैं. जिसके चलते स्कूलों ने बच्चों के माता-पिता को सर्कुलर जारी कर बच्चों में इस तरह के लक्षण होने पर उन्हें स्कूल ना भेजने के मैसेज भी किए हैं. भोपाल में ओपीडी में रोज सैकड़ों की संख्या में बच्चे आंखों में लालपन की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं. स्थिति यह है कि पिछले 7 दिनों में 3000 से अधिक बच्चे कंजेक्टिवाइटिस की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंचे हैं. यानी 40% से अधिक बच्चे भोपाल में इसकी चपेट में अभी तक आ चुके हैं.

डॉ. भावना से फोन पर बातचीत

बारिश के मौसम में होती है आई कंजेक्टिवाइटिस: आई स्पेशलिस्ट डॉक्टर ललित श्रीवास्तव का कहना है कि ''कंजेक्टिवाइटिस के केसेस पिछले सालों के मुकाबले इस बार कुछ ज्यादा ही देखने को मिल रहे हैं. लेकिन फिलहाल घबराने की स्थिति नहीं है, यह कोई महामारी का रूप नहीं है. आई फ्लू बैक्टीरिया और वायरस की एलर्जी से होने वाली बीमारी है. यह बीमारी बारिश के दिनों में देखने को मिलती है. साथ ही धूल भरे मौसम में भी यह बीमारी होती है. लापरवाही बरतने पर आंखों में परेशानी बढ़ती है और वह लाल हो जाती है. ऐसे में आंखों को सुरक्षित रखना बेहद जरूरी होता है, खासकर छोटे बच्चों में. क्योंकि छोटे बच्चे लगातार आंखों को मसल लेते हैं और उसके हाथ दूसरे बच्चों पर भी लगा देते हैं और यह बीमारी एक दूसरे की आंख में देखने से भी बढ़ जाती है. इसलिए बच्चों को इससे दूर रखना चाहिए और जरा भी लक्षण होने पर तुरंत ही डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए.''

कंजेक्टिवाइटिस एक संक्रमण बीमारी: वहीं, डॉक्टर ललित श्रीवास्तव बताते हैं कि ''कंजेक्टिवाइटिस एक सामान्य बीमारी है. संक्रमण बीमारी है जो घर में किसी एक व्यक्ति को हो जाती है तो पूरे परिवार इससे ग्रसित हो जाता है. ऐसे में सभी को सावधानी रखनी चाहिए. गले में दर्द के साथ खराश भी बच्चों को हो तो इसके मामले भी लगातार बढ़ जाते हैं. क्योंकि अधिकतर देखने में आ रहा है कि आंखों के लाल होने के साथ सर्दी, खांसी, बुखार की शिकायत भी बच्चों में लगातार आ रही है.''

3000 children complain of conjunctivitis
डॉक्टर ने की अपील

अधिकतम 7 दिन रहता है इंफेक्शन: वहीं, ऐम्स भोपाल में आई डिपार्टमेंट की हेड भावना शर्मा का कहना है कि ''इन दिनों आंखों में लालिमा के मामले ज्यादा आ रहे हैं. जिसमें छोटे बच्चे इसका शिकार हैं. आंखों में कंजेक्टिवाइटिस होने से सूजन, दर्द, लालिमा एवं पानी आता है. तो कई बार कीचड़ भी जम जाती है. यह सिर्फ एक आंख ही नहीं एक के बाद दूसरी आंख या फिर दोनों आंखों में एक साथ अचानक भी हो सकता है, मरीज को लगातार आंखों में चुभता रहता है. लाइट में वह बच्चा आंख नहीं खोल पाता और सिर में दर्द भी हो सकता है. जिसका मुख्य कारण बैक्टीरिया है, जो अक्सर शुरू के 2 से 3 दिन में बढ़ता है और फिर 5 से 7 दिन में ठीक हो जाता है.'' भावना बताती हैं कि ''इस बीमारी की अधिकतम आयु 7 दिन होती है. उसके बाद ही अपने आप ठीक हो जाता है. लेकिन इससे बचाव बेहद जरूरी है. लोगों को सलाह दी जाती है कि अगर उनके बच्चों को आंखों में इस तरह दर्द या सूजन नजर आए तो कोई भी ड्रॉप लेकर आंख में नहीं डालें, पहले डॉक्टर को दिखाएं और उसके निर्देश अनुसार ही बच्चों का ध्यान रखें.''

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जरूरत पड़ने पर एम्स करेगा रिसर्च: डॉ. भावना बताती हैं कि ''एम्स भोपाल में कोरोना के समय भी यह शोध किया था कि कोरोना के कारण आंखें लाल होने और कंजेक्टिवाइटिस होने के मामले लगातार सामने आ रहे थे. जिससे यह पता चला कि वायरस का असर आंखों पर भी पड़ता है.'' भावना बताती हैं कि ''जिस तरह से बैक्टीरिया और वायरस लगातार अपना रूप बदल रहे हैं, उसी का नतीजा है कि इस बार कंजेक्टिवाइटिस का वायरस ज्यादा चल रहा है और इसके मामले भी सामने आ रहे हैं. फिलहाल तो एम्स इस पर रिसर्च की बात नहीं करता लेकिन जरूरत पड़ी तो निश्चित ही इस पर रिसर्च भी किया जाएगा.''

एम्स भोपाल में बनाई अलग से ओपीडी: एम्स भोपाल के डायरेक्टर अजय सिंह ने बताया कि ''लगातार कंजेक्टिवाइटिस के केस बढ़ने के चलते इस से रिलेटेड जो भी मरीज आ रहे हैं उनके लिए एम्स भोपाल में अलग से ओपीडी बनाई गई है. जिससे कि सामान्य आंखों की जांच कराने वाले मरीज और कंजेक्टिवाइटिस के मरीजों को एक दूसरे से दूर रखा जा सके, ताकि यह बीमारी उनमें फैल न पाए. एम्स में पिछले 2 दिन में ही रोज 25 से 30 मरीज कंजेक्टिवाइटिस के आ रहे हैं.''

इन स्कूलों ने अभिभावकों को जारी किया सरकुलेशन: भोपाल में कंजेक्टिवाइटिस के बढ़ते स्वरूप के कारण कई स्कूलों ने अभिभावकों को सरकुलेशन जारी कर बच्चों में ऐसे लक्षण होने पर उन्हें स्कूल ना भेजने के निर्देश दिए हैं. जिन स्कूलों ने निर्देश दिए हैं उनमें सेंट जोसेफ कोएड, स्कॉल होम, क्वीन मैरी, किडजी, मॉडल स्कूल, आर्य समाज स्कूल, रमन स्कूल, हेमा स्कूल के साथ ही अन्य स्कूल भी शामिल हैं.

भोपाल में आई कंजंक्टिवाइटिस की दस्तक

भोपाल। मध्य प्रदेश में लगातार हो रही बारिश के साथ मौसम में भी बदलाव हो रहा है. ऐसे में इस बदलाव का असर बैक्टेरियम को जन्म देता है. जिसमें सर्दी खांसी के साथ ही आंखों का लाल होना यानी आंखों में कंजेक्टिवाइटिस की शिकायत सबसे ज्यादा सामने आने लगी है और इसका सबसे ज्यादा असर बच्चों पर भी हो रहा है. बच्चों में बैक्टीरिया इन्फेक्शन के कारण कंजंक्टिवाइटिस ने उन्हें अपनी चपेट में ले लिया है. जिस वजह से स्कूलों में भी बच्चे इसकी चपेट में आ गए हैं. जिसके चलते स्कूलों ने बच्चों के माता-पिता को सर्कुलर जारी कर बच्चों में इस तरह के लक्षण होने पर उन्हें स्कूल ना भेजने के मैसेज भी किए हैं. भोपाल में ओपीडी में रोज सैकड़ों की संख्या में बच्चे आंखों में लालपन की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं. स्थिति यह है कि पिछले 7 दिनों में 3000 से अधिक बच्चे कंजेक्टिवाइटिस की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंचे हैं. यानी 40% से अधिक बच्चे भोपाल में इसकी चपेट में अभी तक आ चुके हैं.

डॉ. भावना से फोन पर बातचीत

बारिश के मौसम में होती है आई कंजेक्टिवाइटिस: आई स्पेशलिस्ट डॉक्टर ललित श्रीवास्तव का कहना है कि ''कंजेक्टिवाइटिस के केसेस पिछले सालों के मुकाबले इस बार कुछ ज्यादा ही देखने को मिल रहे हैं. लेकिन फिलहाल घबराने की स्थिति नहीं है, यह कोई महामारी का रूप नहीं है. आई फ्लू बैक्टीरिया और वायरस की एलर्जी से होने वाली बीमारी है. यह बीमारी बारिश के दिनों में देखने को मिलती है. साथ ही धूल भरे मौसम में भी यह बीमारी होती है. लापरवाही बरतने पर आंखों में परेशानी बढ़ती है और वह लाल हो जाती है. ऐसे में आंखों को सुरक्षित रखना बेहद जरूरी होता है, खासकर छोटे बच्चों में. क्योंकि छोटे बच्चे लगातार आंखों को मसल लेते हैं और उसके हाथ दूसरे बच्चों पर भी लगा देते हैं और यह बीमारी एक दूसरे की आंख में देखने से भी बढ़ जाती है. इसलिए बच्चों को इससे दूर रखना चाहिए और जरा भी लक्षण होने पर तुरंत ही डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए.''

कंजेक्टिवाइटिस एक संक्रमण बीमारी: वहीं, डॉक्टर ललित श्रीवास्तव बताते हैं कि ''कंजेक्टिवाइटिस एक सामान्य बीमारी है. संक्रमण बीमारी है जो घर में किसी एक व्यक्ति को हो जाती है तो पूरे परिवार इससे ग्रसित हो जाता है. ऐसे में सभी को सावधानी रखनी चाहिए. गले में दर्द के साथ खराश भी बच्चों को हो तो इसके मामले भी लगातार बढ़ जाते हैं. क्योंकि अधिकतर देखने में आ रहा है कि आंखों के लाल होने के साथ सर्दी, खांसी, बुखार की शिकायत भी बच्चों में लगातार आ रही है.''

3000 children complain of conjunctivitis
डॉक्टर ने की अपील

अधिकतम 7 दिन रहता है इंफेक्शन: वहीं, ऐम्स भोपाल में आई डिपार्टमेंट की हेड भावना शर्मा का कहना है कि ''इन दिनों आंखों में लालिमा के मामले ज्यादा आ रहे हैं. जिसमें छोटे बच्चे इसका शिकार हैं. आंखों में कंजेक्टिवाइटिस होने से सूजन, दर्द, लालिमा एवं पानी आता है. तो कई बार कीचड़ भी जम जाती है. यह सिर्फ एक आंख ही नहीं एक के बाद दूसरी आंख या फिर दोनों आंखों में एक साथ अचानक भी हो सकता है, मरीज को लगातार आंखों में चुभता रहता है. लाइट में वह बच्चा आंख नहीं खोल पाता और सिर में दर्द भी हो सकता है. जिसका मुख्य कारण बैक्टीरिया है, जो अक्सर शुरू के 2 से 3 दिन में बढ़ता है और फिर 5 से 7 दिन में ठीक हो जाता है.'' भावना बताती हैं कि ''इस बीमारी की अधिकतम आयु 7 दिन होती है. उसके बाद ही अपने आप ठीक हो जाता है. लेकिन इससे बचाव बेहद जरूरी है. लोगों को सलाह दी जाती है कि अगर उनके बच्चों को आंखों में इस तरह दर्द या सूजन नजर आए तो कोई भी ड्रॉप लेकर आंख में नहीं डालें, पहले डॉक्टर को दिखाएं और उसके निर्देश अनुसार ही बच्चों का ध्यान रखें.''

Also Read:

जरूरत पड़ने पर एम्स करेगा रिसर्च: डॉ. भावना बताती हैं कि ''एम्स भोपाल में कोरोना के समय भी यह शोध किया था कि कोरोना के कारण आंखें लाल होने और कंजेक्टिवाइटिस होने के मामले लगातार सामने आ रहे थे. जिससे यह पता चला कि वायरस का असर आंखों पर भी पड़ता है.'' भावना बताती हैं कि ''जिस तरह से बैक्टीरिया और वायरस लगातार अपना रूप बदल रहे हैं, उसी का नतीजा है कि इस बार कंजेक्टिवाइटिस का वायरस ज्यादा चल रहा है और इसके मामले भी सामने आ रहे हैं. फिलहाल तो एम्स इस पर रिसर्च की बात नहीं करता लेकिन जरूरत पड़ी तो निश्चित ही इस पर रिसर्च भी किया जाएगा.''

एम्स भोपाल में बनाई अलग से ओपीडी: एम्स भोपाल के डायरेक्टर अजय सिंह ने बताया कि ''लगातार कंजेक्टिवाइटिस के केस बढ़ने के चलते इस से रिलेटेड जो भी मरीज आ रहे हैं उनके लिए एम्स भोपाल में अलग से ओपीडी बनाई गई है. जिससे कि सामान्य आंखों की जांच कराने वाले मरीज और कंजेक्टिवाइटिस के मरीजों को एक दूसरे से दूर रखा जा सके, ताकि यह बीमारी उनमें फैल न पाए. एम्स में पिछले 2 दिन में ही रोज 25 से 30 मरीज कंजेक्टिवाइटिस के आ रहे हैं.''

इन स्कूलों ने अभिभावकों को जारी किया सरकुलेशन: भोपाल में कंजेक्टिवाइटिस के बढ़ते स्वरूप के कारण कई स्कूलों ने अभिभावकों को सरकुलेशन जारी कर बच्चों में ऐसे लक्षण होने पर उन्हें स्कूल ना भेजने के निर्देश दिए हैं. जिन स्कूलों ने निर्देश दिए हैं उनमें सेंट जोसेफ कोएड, स्कॉल होम, क्वीन मैरी, किडजी, मॉडल स्कूल, आर्य समाज स्कूल, रमन स्कूल, हेमा स्कूल के साथ ही अन्य स्कूल भी शामिल हैं.

Last Updated : Jul 24, 2023, 10:45 PM IST
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