ETV Bharat / bharat

MP Doctor Gave New Life: दम तोड़ती मां ने कहा- मेरे बच्चों को बचा लो...डॉ. ने असंभव को कर दिखाया संभव - bhopal news hindi

कहते हैं ईश्वर की मर्जी के आगे किसी का जोर नहीं चलता. ईश्वर जिसे जीवन देना चाहता है उसे जीवन मिल ही जाता है. कुछ ऐसा ही MP की राजधानी भोपाल के एक निजी अस्पताल में देखने को मिला. यहां पर प्रीमेच्योर 2 बच्चों को मां की मौत के बाद डॉक्टरों ने उनको स्वस्थ कर दिया.

MP Doctor Gave New Life
6 सप्ताह के बच्चों को डॉक्टर ने दी नई जिंदगी
author img

By

Published : Mar 18, 2023, 10:11 PM IST

भोपाल। पेशे से गायक रहीं दीप्ति परमार ने 24 नवंबर को इन जुड़वा बच्चों को जन्म दिया था. उस समय इनकी 6 महीने में ही प्रीमेच्योर डिलीवरी हुई थी. डिलीवरी होने के बाद बच्चे बेहद कमजोर थे. जबकि खुद दीप्ति का किडनी ट्रांसप्लांट होने के चलते किडनी में इंफेक्शन था. कई गंभीर बीमारियों से जूझ रही थीं. ऐसे में बच्चे या मां में से किसी एक को ही बचा पाना डॉक्टरों के लिए संभव था. इसके बाद दीप्ति ने परिवार के साथ मशवरा कर यह निर्णय लिया गया था कि, बच्चों को ही बचाया जाए.

असंभव को किया संभव: अस्पताल के डॉक्टर राहुल अग्रवाल के अनुसार दीप्ति की जब डिलीवरी हुई थी. उस समय कंडीशन काफी सीरियस थी. ऐसे में किसी एक को बचा पाना संभव था. परिवार के कहने पर बच्चों को बचाया गया. फिर भी समस्या यह थी कि, दोनों जुड़वा बच्चे प्रीमेच्योर होने के चलते 6 महीने में डिलीवर हुए थे.

दोनों बच्चे स्वस्थ: दोनों बच्चों का वजन कम था. इसके बाद 98 दिनों तक चले इलाज से उन्हें स्वस्थ किया गया. पहले जहां बच्चों का वजन मात्र 410 ग्राम था वहीं अब बच्चों का वजन दो 2 किलो हो गया. दोनों बच्चों का कम वजन होने के चलते उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था. अब दोनों बच्चे स्वस्थ हैं.

मिलती-जुलती इन खबरों को जरूर पढ़ें...

डॉक्टर बोले देश का पहला मामला: डॉक्टर बताते हैं कि, इस तरह के मामले कम ही देखने में मिलते हैं. जब प्रीमेच्योर डिलीवरी में बच्चे बच पाएं, लेकिन संभवत: अपने आप में यह प्रदेश ही नहीं देश का एक अलग मामला है. जिसमें बच्चे इतने लंबे इलाज के बाद स्वस्थ हो पाए हैं.

भोपाल। पेशे से गायक रहीं दीप्ति परमार ने 24 नवंबर को इन जुड़वा बच्चों को जन्म दिया था. उस समय इनकी 6 महीने में ही प्रीमेच्योर डिलीवरी हुई थी. डिलीवरी होने के बाद बच्चे बेहद कमजोर थे. जबकि खुद दीप्ति का किडनी ट्रांसप्लांट होने के चलते किडनी में इंफेक्शन था. कई गंभीर बीमारियों से जूझ रही थीं. ऐसे में बच्चे या मां में से किसी एक को ही बचा पाना डॉक्टरों के लिए संभव था. इसके बाद दीप्ति ने परिवार के साथ मशवरा कर यह निर्णय लिया गया था कि, बच्चों को ही बचाया जाए.

असंभव को किया संभव: अस्पताल के डॉक्टर राहुल अग्रवाल के अनुसार दीप्ति की जब डिलीवरी हुई थी. उस समय कंडीशन काफी सीरियस थी. ऐसे में किसी एक को बचा पाना संभव था. परिवार के कहने पर बच्चों को बचाया गया. फिर भी समस्या यह थी कि, दोनों जुड़वा बच्चे प्रीमेच्योर होने के चलते 6 महीने में डिलीवर हुए थे.

दोनों बच्चे स्वस्थ: दोनों बच्चों का वजन कम था. इसके बाद 98 दिनों तक चले इलाज से उन्हें स्वस्थ किया गया. पहले जहां बच्चों का वजन मात्र 410 ग्राम था वहीं अब बच्चों का वजन दो 2 किलो हो गया. दोनों बच्चों का कम वजन होने के चलते उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था. अब दोनों बच्चे स्वस्थ हैं.

मिलती-जुलती इन खबरों को जरूर पढ़ें...

डॉक्टर बोले देश का पहला मामला: डॉक्टर बताते हैं कि, इस तरह के मामले कम ही देखने में मिलते हैं. जब प्रीमेच्योर डिलीवरी में बच्चे बच पाएं, लेकिन संभवत: अपने आप में यह प्रदेश ही नहीं देश का एक अलग मामला है. जिसमें बच्चे इतने लंबे इलाज के बाद स्वस्थ हो पाए हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.