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MP Cow Protection Plan: एमपी के आईएएस का गौरक्षा प्लान, जानिए कैसे फसल और आवारा मवेशियों की रक्षा का प्रयास कर रहे भिंड कलेक्टर

मध्य प्रदेश सरकार अब तक आवारा गौवंश की समस्या को खत्म नहीं कर सकी, लेकिन अब प्रदेश के कुछ आईएएस अफसर गौरक्षा के लिए अपने-अपने अन्दाज में आगे आ रहे हैं. भिंड कलेक्टर IAS सतीश कुमार एस ने भी अपने जिले में आवारा गौवंश से परेशान किसानों की समस्या का एक अलग ही आइडिया निकाला है. आइये जानते हैं की आखिर कृषि, किसान और आवारा गौवंश तीनों को एक साथ कैसे फायदा दिलाने की उनकी तैयारी है.

IAS Satish Kumar S stray cattle Problem solution
एमपी के आईएएस का गौरक्षा प्लान
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Published : Jul 8, 2023, 8:22 PM IST

Updated : Jul 8, 2023, 10:23 PM IST

एमपी के आईएएस का गौरक्षा प्लान

भोपाल/भिंड। गाय जिसे भारत के हर घर में पूजा जाता है, बिना गाय के गृह प्रवेश नहीं होते, मरते आदमी को बचाने के लिए गौदान किए जाते हैं. सभी को पता है कि गाय का दूध हो या गौमूत्र स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभ दायक होता है. लेकिन जब यह गौवंश दूध देना छोड़ जाता है या किसी काम का नहीं रहता तो इन्हें बेसहारा छोड़ दिया जाता है. घरेलू से आवारा हुए ये गौवंश आज देश में सबसे बड़ी समस्याओं में से एक बन चुके हैं. बाजार से लेकर हाईवे तक अनगिनत आवारा गौवंश सड़कों पर हैं. कभी यह खुद हादसों का शिकार हो रहे हैं या इनकी वजह से राहगीर मौत के मुंह में जा रहे हैं.

Cow protection plan of MP
गौरक्षा प्लानिंग

आईएएस अफसरों को गायों की चिंता: सरकारों ने इस समस्या का कुछ हद तक निदान करने के लिए गौशालाए तो बनवाई लेकिन ठीक से संचालन के अभाव में इनका वह परिणाम नहीं मिला जिसकी उम्मीद की जा रही थी. नतीजा हर साल ये आवारा गौवंश किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. सरकारें तो समस्या का कोई स्थायी निकाल नहीं कर पाई लेकिन एमपी के कुछ आईएएस अफसरों को गायों की चिंता होने लगी है. जिनमें भिंड के कलेक्टर सतीश कुमार भी हैं. भिंड कलेक्टर किसानों की मदद से आवारा गौवंश की सुरक्षा और संभाल के लिए एक नया प्रयास करने जा रहे हैं. जिससे गौवंश और किसान दोनों को ही फायदा होने वाला है.

कृषि और गौरक्षा की संयुक्त प्लानिंग: भिंड के किसानों के लिए खेती लाभ का धंधा नहीं बन पा रही है. क्योंकि यहां ज्यादातर किसान साल में दो फसलों की बोवनी नहीं कर पाते हैं. जिसकी वजह से रबी और खरीफ फसलों में बोवनी रकबा एक बड़ा अंतर पैदा करता है. इस अंतर को दूर करने के लिए जब किसानों के साथ खुद कलेक्टर सतीश कुमार आमने-सामने की चर्चा में शामिल हुए तो पता चला कि बीते कुछ वर्षों में किसानों के खेतों में आवारा मवेशियों के घुसने से फसल का काफी नुकसान हो रहा है, जो एक बड़ी समस्या है. ऐसे में फसलों की बोवनी को बढ़ाने और गौवंश को बिना नुकसान पहुंचाए उन्हें सम्भालने की व्यवस्था दोनों के लिए ही कुछ बेहतरीन उपाय निकाले गये हैं.

Cow protection plan of MP
खतरनाक साबित हो रहे गौवंश

किसानों के क्लस्टर बनाने की तैयारी: ETV Bharat से चर्चा के दौरान कलेक्टर सतीश कुमार एस ने बताया कि ''हमने एक बैठक कर इसमें विचार किया है कि आवारा पशुओं की समस्या से निपटने के लिए हम किसानों का क्लस्टर बनाने पर विचार कर रहे हैं. यदि क्लस्टर के 100 या 50 किसान एक साथ एक फसल लगाते हैं तो आवारा मवेशी से इसकी सुरक्षा एक साथ मिल कर समन्वय के साथ खुद किसान कर पायेंगे. इस तरह किसान अपनी फसल को जानवरों से बचा सकते हैं. क्योंकि कई बार कोई किसान एक फसल बोता है लेकिन किसी कारण से अगर आसपास के किसान अपने खेतों में फसल ना बोएं तो फसल वाले खेत में मवेशी चरने के लिए घुस जाते हैं और फसल बर्बाद कर देते हैं.

गौशाला संचालन के लिए समिति बनाने पर विचार: कलेक्टर सतीश कुमार एस ने बताया ''एक बड़ी समस्या खुले घूम रहे आवारा गौवंश की सुरक्षा की भी है. इसके लिए सरकार ने गौशालाओं का निर्माण कराया था लेकिन जो पंचायतों ने गौशाला के निर्माण में जितनी रुचि दिखायी थी उतनी रुचि उनके संचालन में नहीं दिखाई, ये अभाव पाया गया है. ऐसे में अब इसकी पूर्ति के लिए हमने जन अभियान परिषद से भी बात की है कि जहां भी गौशालाएं बनी हुई हैं, वहाँ इसके संचालन के लिए अब समिति बनना चाहिए. ये समिति इन मवेशियों की देखभाल करेगी, वो चाहे तो इसके लिए एनजीओ या अन्य सामाजिक संगठनों के साथ कॉलेबोरेट कर एग्रिमेंट कर सकते हैं. जिससे गौवंश की रक्षा भी हो सके. इसके साथ साथ जिले में एक गौ अभ्यारण्य पर प्रस्ताव रखा गया है, जिसके लिए शासन से भी हमने पत्राचार किया है और शासन भी इस पर विचार कर रहा है.''

Cow protection plan of MP
कृषि और गौरक्षा की संयुक्त प्लानिंग

इस तरह हो सकती है आवारा गौवंश की उपयोगिता: गौवंश को गोद लेकर देखभाल और कृषि में उनकी उपयोगिता को लेकर भी आईएएस सतीश कुमार एस ने अपने कुछ आइडिया ETV भारत के साथ साझा किए. भिंड कलेक्टर ने बताया कि ''हम आवारा पशुओं की सहभागिता पर भी विचार कर सकते हैं, क्योंकि इनका दो तरह से कंट्रीब्यूशन हो सकता है. एक तो इन आवारा मवेशियों के गोबर का गोकास्टिंग के जरिए गोबर की लकड़ी बनाकर उसे ईंधन के रूप में उपयोग में लिया जा सकता है. साथ ही साथ गोबर को प्राकृतिक खेती में खाद के रूप में भी किसान इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. गोबर में जो जीवामृत होता है वह खेती के लिए बहुत अच्छा माना जाता है. इस तरह किसान बिना कैमिकल खाद के अच्छी फसल प्राप्त कर सकेंगे. इसके लिए उन्हें अलग से कोई खर्च की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. हम जो खेती के लिए क्लस्टर्स बनाने पर विचार कर रहे हैं, वहां किसान इन मवेशियों को गोद लेकर इनका उपयोग कर सकते हैं. हालांकि उनका मानना है कि इसके लिए जनभागीदारी बहुत जरूरी है. इस विचार को धरातल पर लाने के लिए प्रशासन किसानों के साथ चर्चा करेगा. हो सकता है लोगों को समस्याएं आये लेकिन हम बातचीत के माध्यम से इन समस्याओं को सुनेंगे और उन्हें दूर करने का प्रयास करेंगे. जिससे गौवंश, किसान और खेती तीनों को इसका लाभ मिल सके.''

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कैसे उपयोगी साबित हो सकता है आवारा गौवंश
- अवारा गौवंश को गोद लेने के बाद इनसे मिलने वाला गोबर उपयोग में लिया जा सकता है.
- गोबर और गोकास्ट के जरिए लकड़ी तैयार कर सकते हैं, जो ईंधन के रूप में उपयोगी होगी.
- खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, फसल और खेत की मिट्टी के लिए लाभदायक होगा.
- गोबर के जरिए ट्रेनिंग के बाद घरेलू उपयोग के लिए गोबर गैस तैयार की जा सकती है.
- बाजार में पूजा पाठ से लेकर ईंधन के रूप में गोबर के उपलों (कंडे) की मांग रहती है.
- गौवंश के जरिए शुद्ध गौ मूत्र प्राप्त किया जा सकता है.
- खेती के लिए गौ मूत्र बहुत फायदेमंद है, इसमें यूरिया भी पाया जाता है. साथ ही यह प्राकृतिक पेस्टीसाइड भी माना जाता है.
- पूजा पाठ के समय गौवंश के लिए भटकना नहीं पड़ेगा.

IAS Shobhit Jain on the safety of cows
आईएएस शोभित जैन ने गायों की सुरक्षा को लेकर किया पोस्ट

गौ संरक्षण में अपनी भूमिका का करें निर्वहन: बता दें कि, मप्र कैडर के आईएएस शोभित जैन ने भी गायों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाया था. शोभित जैन ने बताया कि अधिकतर ग्रामों में ग्रामीणों की सबसे बड़ी समस्या चारे की अनुपलब्धता थी. फल स्वरूप लगभग सभी ग्रामवासी जिनके पास गाय थी वह गाय के दूध देने योग्य ना रह जाने पर उसे बेच देने के अलावा कोई विकल्प उनके पास ना होना व्यक्त कर रहे थे. शोभित जैन के मन में सवाल उठा कि क्या गौ रक्षा का तात्पर्य गाय की तब तक ही रक्षा होती है जब तक वह दूध देती है. क्या गाय उसके उपरांत पूजनीय नहीं रह जाती है?'' उन्होंने कहा कि गायों की रक्षा केवल गांव वालों का काम नहीं है, शहरियों को भी गौ संरक्षण में अपनी भूमिका का निर्वहन करना होगा.''

एमपी के आईएएस का गौरक्षा प्लान

भोपाल/भिंड। गाय जिसे भारत के हर घर में पूजा जाता है, बिना गाय के गृह प्रवेश नहीं होते, मरते आदमी को बचाने के लिए गौदान किए जाते हैं. सभी को पता है कि गाय का दूध हो या गौमूत्र स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभ दायक होता है. लेकिन जब यह गौवंश दूध देना छोड़ जाता है या किसी काम का नहीं रहता तो इन्हें बेसहारा छोड़ दिया जाता है. घरेलू से आवारा हुए ये गौवंश आज देश में सबसे बड़ी समस्याओं में से एक बन चुके हैं. बाजार से लेकर हाईवे तक अनगिनत आवारा गौवंश सड़कों पर हैं. कभी यह खुद हादसों का शिकार हो रहे हैं या इनकी वजह से राहगीर मौत के मुंह में जा रहे हैं.

Cow protection plan of MP
गौरक्षा प्लानिंग

आईएएस अफसरों को गायों की चिंता: सरकारों ने इस समस्या का कुछ हद तक निदान करने के लिए गौशालाए तो बनवाई लेकिन ठीक से संचालन के अभाव में इनका वह परिणाम नहीं मिला जिसकी उम्मीद की जा रही थी. नतीजा हर साल ये आवारा गौवंश किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. सरकारें तो समस्या का कोई स्थायी निकाल नहीं कर पाई लेकिन एमपी के कुछ आईएएस अफसरों को गायों की चिंता होने लगी है. जिनमें भिंड के कलेक्टर सतीश कुमार भी हैं. भिंड कलेक्टर किसानों की मदद से आवारा गौवंश की सुरक्षा और संभाल के लिए एक नया प्रयास करने जा रहे हैं. जिससे गौवंश और किसान दोनों को ही फायदा होने वाला है.

कृषि और गौरक्षा की संयुक्त प्लानिंग: भिंड के किसानों के लिए खेती लाभ का धंधा नहीं बन पा रही है. क्योंकि यहां ज्यादातर किसान साल में दो फसलों की बोवनी नहीं कर पाते हैं. जिसकी वजह से रबी और खरीफ फसलों में बोवनी रकबा एक बड़ा अंतर पैदा करता है. इस अंतर को दूर करने के लिए जब किसानों के साथ खुद कलेक्टर सतीश कुमार आमने-सामने की चर्चा में शामिल हुए तो पता चला कि बीते कुछ वर्षों में किसानों के खेतों में आवारा मवेशियों के घुसने से फसल का काफी नुकसान हो रहा है, जो एक बड़ी समस्या है. ऐसे में फसलों की बोवनी को बढ़ाने और गौवंश को बिना नुकसान पहुंचाए उन्हें सम्भालने की व्यवस्था दोनों के लिए ही कुछ बेहतरीन उपाय निकाले गये हैं.

Cow protection plan of MP
खतरनाक साबित हो रहे गौवंश

किसानों के क्लस्टर बनाने की तैयारी: ETV Bharat से चर्चा के दौरान कलेक्टर सतीश कुमार एस ने बताया कि ''हमने एक बैठक कर इसमें विचार किया है कि आवारा पशुओं की समस्या से निपटने के लिए हम किसानों का क्लस्टर बनाने पर विचार कर रहे हैं. यदि क्लस्टर के 100 या 50 किसान एक साथ एक फसल लगाते हैं तो आवारा मवेशी से इसकी सुरक्षा एक साथ मिल कर समन्वय के साथ खुद किसान कर पायेंगे. इस तरह किसान अपनी फसल को जानवरों से बचा सकते हैं. क्योंकि कई बार कोई किसान एक फसल बोता है लेकिन किसी कारण से अगर आसपास के किसान अपने खेतों में फसल ना बोएं तो फसल वाले खेत में मवेशी चरने के लिए घुस जाते हैं और फसल बर्बाद कर देते हैं.

गौशाला संचालन के लिए समिति बनाने पर विचार: कलेक्टर सतीश कुमार एस ने बताया ''एक बड़ी समस्या खुले घूम रहे आवारा गौवंश की सुरक्षा की भी है. इसके लिए सरकार ने गौशालाओं का निर्माण कराया था लेकिन जो पंचायतों ने गौशाला के निर्माण में जितनी रुचि दिखायी थी उतनी रुचि उनके संचालन में नहीं दिखाई, ये अभाव पाया गया है. ऐसे में अब इसकी पूर्ति के लिए हमने जन अभियान परिषद से भी बात की है कि जहां भी गौशालाएं बनी हुई हैं, वहाँ इसके संचालन के लिए अब समिति बनना चाहिए. ये समिति इन मवेशियों की देखभाल करेगी, वो चाहे तो इसके लिए एनजीओ या अन्य सामाजिक संगठनों के साथ कॉलेबोरेट कर एग्रिमेंट कर सकते हैं. जिससे गौवंश की रक्षा भी हो सके. इसके साथ साथ जिले में एक गौ अभ्यारण्य पर प्रस्ताव रखा गया है, जिसके लिए शासन से भी हमने पत्राचार किया है और शासन भी इस पर विचार कर रहा है.''

Cow protection plan of MP
कृषि और गौरक्षा की संयुक्त प्लानिंग

इस तरह हो सकती है आवारा गौवंश की उपयोगिता: गौवंश को गोद लेकर देखभाल और कृषि में उनकी उपयोगिता को लेकर भी आईएएस सतीश कुमार एस ने अपने कुछ आइडिया ETV भारत के साथ साझा किए. भिंड कलेक्टर ने बताया कि ''हम आवारा पशुओं की सहभागिता पर भी विचार कर सकते हैं, क्योंकि इनका दो तरह से कंट्रीब्यूशन हो सकता है. एक तो इन आवारा मवेशियों के गोबर का गोकास्टिंग के जरिए गोबर की लकड़ी बनाकर उसे ईंधन के रूप में उपयोग में लिया जा सकता है. साथ ही साथ गोबर को प्राकृतिक खेती में खाद के रूप में भी किसान इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. गोबर में जो जीवामृत होता है वह खेती के लिए बहुत अच्छा माना जाता है. इस तरह किसान बिना कैमिकल खाद के अच्छी फसल प्राप्त कर सकेंगे. इसके लिए उन्हें अलग से कोई खर्च की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. हम जो खेती के लिए क्लस्टर्स बनाने पर विचार कर रहे हैं, वहां किसान इन मवेशियों को गोद लेकर इनका उपयोग कर सकते हैं. हालांकि उनका मानना है कि इसके लिए जनभागीदारी बहुत जरूरी है. इस विचार को धरातल पर लाने के लिए प्रशासन किसानों के साथ चर्चा करेगा. हो सकता है लोगों को समस्याएं आये लेकिन हम बातचीत के माध्यम से इन समस्याओं को सुनेंगे और उन्हें दूर करने का प्रयास करेंगे. जिससे गौवंश, किसान और खेती तीनों को इसका लाभ मिल सके.''

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कैसे उपयोगी साबित हो सकता है आवारा गौवंश
- अवारा गौवंश को गोद लेने के बाद इनसे मिलने वाला गोबर उपयोग में लिया जा सकता है.
- गोबर और गोकास्ट के जरिए लकड़ी तैयार कर सकते हैं, जो ईंधन के रूप में उपयोगी होगी.
- खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, फसल और खेत की मिट्टी के लिए लाभदायक होगा.
- गोबर के जरिए ट्रेनिंग के बाद घरेलू उपयोग के लिए गोबर गैस तैयार की जा सकती है.
- बाजार में पूजा पाठ से लेकर ईंधन के रूप में गोबर के उपलों (कंडे) की मांग रहती है.
- गौवंश के जरिए शुद्ध गौ मूत्र प्राप्त किया जा सकता है.
- खेती के लिए गौ मूत्र बहुत फायदेमंद है, इसमें यूरिया भी पाया जाता है. साथ ही यह प्राकृतिक पेस्टीसाइड भी माना जाता है.
- पूजा पाठ के समय गौवंश के लिए भटकना नहीं पड़ेगा.

IAS Shobhit Jain on the safety of cows
आईएएस शोभित जैन ने गायों की सुरक्षा को लेकर किया पोस्ट

गौ संरक्षण में अपनी भूमिका का करें निर्वहन: बता दें कि, मप्र कैडर के आईएएस शोभित जैन ने भी गायों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाया था. शोभित जैन ने बताया कि अधिकतर ग्रामों में ग्रामीणों की सबसे बड़ी समस्या चारे की अनुपलब्धता थी. फल स्वरूप लगभग सभी ग्रामवासी जिनके पास गाय थी वह गाय के दूध देने योग्य ना रह जाने पर उसे बेच देने के अलावा कोई विकल्प उनके पास ना होना व्यक्त कर रहे थे. शोभित जैन के मन में सवाल उठा कि क्या गौ रक्षा का तात्पर्य गाय की तब तक ही रक्षा होती है जब तक वह दूध देती है. क्या गाय उसके उपरांत पूजनीय नहीं रह जाती है?'' उन्होंने कहा कि गायों की रक्षा केवल गांव वालों का काम नहीं है, शहरियों को भी गौ संरक्षण में अपनी भूमिका का निर्वहन करना होगा.''

Last Updated : Jul 8, 2023, 10:23 PM IST
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