ETV Bharat / bharat

MP: चंबल के प्रगति पथ पर कब फर्राटे से दौड़ेंगे वाहन, अटल प्रॉग्रेस-वे के लिए करना होगा और इंतजार

चुनावी साल में किसानों के आगे एमपी सरकार को एक बार फिर घुटने टेकने पड़े हैं. मध्य प्रदेश खासकर चंबल अंचल में विकास की नई गाथा लिखने को तैयार सरकार के महत्वपूर्ण अटल प्रोग्रेस वे एक्सप्रेस वे परियोजना में भूमि अधिग्रहण को लेकर विरोध कर रहे भिंड और मुरैना जिले के किसानों के आगे मध्य प्रदेश सरकार झुक गई है. CM शिवराज ने किसानों और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की मौजूदगी में वीडियो कॉन्फ़्रेन्स के जरिए भिंड, श्योपुर और मुरैना ज़िले के कलेक्टरों को सर्वे का काम नए सिरे से कराने के निर्देश जारी कर दिए हैं. ऐसा करने से 1 बार फिर यह प्रोजेक्ट एक लंबे समय के लिए टलता नज़र आ रहा है.

CM Shivraj gave instructions for re survey
सीएम शिवराज ने दिए दोबारा सर्वे के निर्देश
author img

By

Published : Mar 29, 2023, 8:14 PM IST

भिंड। लगभग 6 साल पहले विकास पथ पर फर्राटे से दौड़ते चंबल एक्सप्रेस वे का सपना मध्य प्रदेश की सीएम शिवराज सिंह चौहान ने चंबल की जनता को दिखाया था (Atal Progress way in MP). 2017 में इस महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा हुई, कमलनाथ सरकार में कुछ बदलाव हुए. अब नाम भी अटल एक्सप्रेस वे हो चुका है, लेकिन आज तक यह प्रोजेक्ट ज़मीन पर नहीं आ सका. सरकार के नुमाइंदे अब तक सर्वे और भूमि अधिग्रहण का कार्य होने का हवाला देते आए थे. लेकिन भिंड और मुरैना में भूमि अधिग्रहण के नाम पर जिन किसानों की ज़मीनें इस सरकारी योजना में जा रही हैं, उन्होंने विरोध और आंदोलन की राह अपना ली. नतीजा, इस साल होने वाले चुनाव को देखते हुए सरकार किसानों की बगावत को नज़र अंदाज नहीं कर सकी और अब मुख्यमंत्री ने एक बार फिर सर्वे कार्य दोबारा कराये जाने और सरकारी जमीन का ज्यादा अधिग्रहण कराने के निर्देश दे दिए हैं. जिससे किसानों की खेती और जमीन बच सके.

CM Shivraj gave instructions for re survey
सीएम शिवराज ने दिए दोबारा सर्वे के निर्देश

साल 2017 में अस्तित्व में आया था चम्बल एक्सप्रेस-वे: वर्ष 2017 में जब इस चम्बल एक्सप्रेस वे की घोषणा हुई, उस समय इस प्रोजेक्ट की कुल लंबाई 300 किलोमीटर थी. लेकिन कुछ समय बाद नाम में बदलाव के साथ इसे नया रूप मिला और 2021 में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इसे भारत माला परियोजना का हिस्सा बनाते हुए प्रथम चरण में स्वीकृति प्रदान की थी. साथ ही इस एक्सप्रेस वे को मध्य प्रदेश के साथ साथ उत्तर प्रदेश और राजस्थान से भी जोड़ा गया जो राजस्थान के कोटा से शुरू होकर उत्तर प्रदेश के इटावा पर ख़त्म होता है. इसकी कुल लंबाई बढ़ाकर 404 किलोमीटर हो गई. इस तरह यह एक्सप्रेस 360 किलोमीटर के साथ मध्य प्रदेश का सबसे लंबा एक्सप्रेस वे माना जाता है, जो प्रदेश के तीन जिलों श्योपुर, मुरैना और भिंड से होकर गुज़रेगा. इस पूरे प्रोजेक्ट की लागत करीब साढ़े 7 हज़ार करोड़ रुपए मानी जा रही थी. DPR तैयार होने के बाद लगभग एक साल से भूमि अधिग्रहण का कार्य भी जारी है. लेकिन इतना समय बीतने के बाद भी यह योजना सिर्फ कागजों तक ही सीमित है.

CM Shivraj gave instructions for re survey
चम्बल एक्सप्रेस वे की डीपीआर तैयार

विरोध जताने चंबल से दिल्ली तक पहुंचे किसान: बीते लगभग दो महीनों से भिंड के अटेर क्षेत्र के 2 दर्जन से अधिक गांव और मुरैना के आधा सैकड़ा से ज्यादा गांव के किसान अटल प्रोग्रेस-वे के तहत हो रही भूमि अधिग्रहण का विरोध जता रहे थे. जिसकी वजह थी कि कई किसान ऐसे थे जिनके पूरे खेत ही इस प्रोजेक्ट के रास्ते में आ रहे थे. ऐसे में बीते दिनों से किसानों का प्रदर्शन लगातार जारी है. कई बार ये किसान केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुरैना स्थित बंगले का भी घेराव करने पहुंचे, जिस पर केंद्रीय मंत्री ने उन्हें मदद का आश्वासन दिया था. लेकिन जब भूमि अधिग्रहण का कार्य जारी रहा तो किसानों का प्रदर्शन तेज हो गया. इसी को लेकर मुरैना के जौरा विधानसभा के बीजेपी विधायक सूबेदार सिंह रजौधा इन पीड़ित किसानों को लेकर मंगलवार को दिल्ली गए थे. जहां किसानों के साथ मिलकर केंद्रीय कृषि मंत्री के साथ उनके बंगले पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया और किसानों की समस्या सामने रखी.

chambal development work not on ground
CM शिवराज और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने की वीडियो कॉन्फ़्रेन्स

दोबारा सर्वे के दिए निर्देश: इन किसानों की समस्या को देखते हुए बैठक में वीडियो कांफ्रेंस के ज़रिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनके साथ भिंड कलेक्टर सतीश कुमार एस, मुरैना कलेक्टर अंकित अष्ठाना और श्योपुर कलेक्टर शिवम वर्मा को भी जोड़ा गया. मंत्री नरेंद्र तोमर और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के सामने किसानों ने अपनी समस्या रखी. इसके बाद सीएम ने किसानों को आश्वासन दिया कि किसी किसान को नुक़सान नहीं होने दिया जाएगा. उन्होंने तीनों कलेक्टर से भी सर्वे का कार्य नये सिरे से कराने के निर्देश दिए हैं.

Also Read: संबंधित इन खबरों पर डालें एक नजर

फिर बढ़ेगा प्रोजेक्ट का समय: पहली ही यह एक्सप्रेस वे का काम करीब 5 वर्ष डिले हो चुका है. ऐसे में सर्वे का काम दोबारा शुरू होने से योजना शून्य हो चुकी है. क्योंकि यह मध्यप्रदेश में भिंड के 28 गांव, श्योपुर के 57 गांव और मुरैना के 119 गांव से गुजरेगा. मुरैना कलेक्टर की मानें तो जब तक अलाइनमेंट रिपोर्ट उपलब्ध नहीं कराई जाती तब तक नया रूट और समय अवधि के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है. ऐसे में अटल प्रोग्रेस-वे का काम कम से कम ढाई वर्ष के लिए आगे बढ़ गया है. क्योंकि इस वर्ष ही विधानसभा चुनाव हैं तो 6 महीने बाद अचार संहिता भी लग जाएगी. ऐसे में सरकार का पूरा फोकस चुनाव और इससे संबंधित गतिविधियों पर होगा.

इनका कहना है: इस संबंध में जब ईटीवी भारत ने भिंड कलेक्टर सतीश कुमार से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि ''अटल एक्सप्रेस वे को लेकर बैठक हुई है, लेकिन मैं इस पर कुछ भी कहने के लिए अधिकृत नहीं हूं''. वहीं, मुरैना कलेक्टर अंकित अस्थाना ने बताया कि ''वीडियो कांफ्रेंस में कहा गया है कि सर्वे दोबारा से कराया जायेगा और सर्वे से पहले NHAI अलाइनमेंट रिपोर्ट सबमिट करेगी. फिलहाल समय को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती है. क्योंकि जब तक नया अलाइनमेंट नहीं आएगा तब तक पता नहीं चलेगा कि कितना रूट बदला है और कितने किसान बदले हैं. जब तक ये पता नहीं चलेगा तब तक टाइमलाइन भी क्लियर नहीं की जा सकती है''. मध्य प्रदेश शासन के राज्यमंत्री ओपीएस भदौरिया ने बताया कि ''मुख्यमंत्री ने सर्वे दोबारा से कराने के निर्देश दिये हैं. क्योंकि कई जगह से लगातार ये शिकायत आ रही थी कि भूमि अधिग्रहण में किसानों की जमीन का ज्यादा नुकसान हो रहा है. इसलिए दोबारा सर्वे होगा और ज़्यादा से ज्यादा इसमें सरकारी ज़मीन को लिया जाएगा. अभी समय के बारे में इतना ही कहा जा सकता है कि सिर्फ उन्हीं स्थानों पर सर्वे होगा जहां से शिकायतें आ रही हैं या किसानों को समस्या हो रही है''.

समझे पूरा प्रोजेक्ट और इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

वर्ष 2017-

  1. सीएम शिवराज ने चंबल एक्सप्रेस-वे की घोषणा की.
  2. इस नये और तेज सड़क मार्ग में रास्ता राजस्थान तक जाने के लिए भिंड, मुरैना और श्योपुर ज़िले की कनेक्टिविटी रखी गई.
  3. इसकी लंबाई 300 किलोमीटर और लागत 850 करोड़ रुपय निर्धारित की गई.
  4. इस एक्सप्रेस वे के आसपास बिजनेस कॉरिडोर डेवलप करने की भी घोषणा हुई.

वर्ष 2018/2019-

  1. विधानसभा चुनाव से पहले चम्बल एक्सप्रेस वे की डीपीआर तैयार हो चुकी थी.
  2. चुनाव के बाद कांग्रेस की कमलनाथ सरकार बनी. यूपी से राजस्थान तक कनेक्टिविटी में भिंड ज़िले का नाम डीपीआर से हटाया गया. कुछ समय बाद प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया.
  3. बीजेपी और भिंड के लोगों ने विरोध किया.

वर्ष 2020-

  1. कोरोना के दौरान सत्ता में फेरबदल हुआ और बीजेपी की सरकार आयी. चम्बल एक्सप्रेस-वे पर दोबारा काम शुरू हुआ.
  2. सरकार बनाने के बाद डीपीआर में भिंड को दोबारा जोड़ा गया.

वर्ष 2021-

  1. चंबल एक्सप्रेस के नाम में बदलाव हुआ, इसे अटल प्रोग्रेस-वे नाम दिया गया.
  2. अगस्त 2021 में केंद्र सरकार के द्वारा चंबल के अटल प्रोग्रेस-वे को भारतमाला सड़क परियोजना के फेस-1 का हिस्सा बनाया गया.
  3. प्रोजेक्ट कॉस्ट करीब 5000 करोड़ रुपए आंकी गई.
  4. नये बदलाव में एक्सप्रेस वे की लंबाई 404 किमी, जिसमें यूपी में 17 किमी (इटावा तक), राजस्थान में 78 किमी (कोटा तक) और एमपी में 309 किमी (भिंड, मुरैना, श्योपुर) की गई.
  5. एनजीटी और पर्यावरण मंत्रालय ने चम्बल सेंचुरी से गुजरने की वजह से एनओसी नहीं दी, प्रोजेक्ट का काम फिर रुक गया.

वर्ष 2022-

  1. एमपी सरकार की लंबी कवायद के बाद NGT और पर्यावरण मंत्रालय ने शर्तों के साथ मंजूरी दी.
  2. अटल प्रॉग्रेस-वे का रूट बदला गया, इसे चंबल सेंचुरी से दो किलोमीटर शिफ्ट किया गया.
  3. रूट परिवर्तन से एमपी में एक्सप्रेस-वे की लंबाई करीब 5-7 किलोमीटर घटी.
  4. सरकारी जमीन कम और निजी भूमि ज्यादा अधिग्रहण के निर्देश दिए गए.
  5. भिंड, मुरैना और श्योपुर के 162 की बजाय 204 किलोमीटर इसके कवरेज क्षेत्र में जोड़े गए. डीपीआर बनने के बाद भूमि अधिग्रहण का कार्य शुरू हुआ.

वर्ष 2023-

  1. श्योपुर में भूमि अधिग्रहण में चार गुना मुआवज़े की मांग को लेकर किसानों ने विरोध शुरू किया.
  2. भिंड और मुरैना में ज़मीन नहीं देने को लेकर किसानों ने भूमि अधिग्रहण का विरोध किया.
  3. 2 महीने से लगातार किसानों का विरोध आंदोलन का रूप ले रहा है.
  4. दिल्ली में केंद्रीय कृषि मंत्री के साथ किसानों की बैठक के बाद सीएम ने दोबारा सर्वे के निर्देश दिये.
  5. पूरा प्रोजेक्ट एक बार फिर शून्य पर.
  6. संभवतः सर्वे और भूमि अधिग्रहण में कम से कम ढाई वर्ष का समय लगने की संभावना.

भिंड। लगभग 6 साल पहले विकास पथ पर फर्राटे से दौड़ते चंबल एक्सप्रेस वे का सपना मध्य प्रदेश की सीएम शिवराज सिंह चौहान ने चंबल की जनता को दिखाया था (Atal Progress way in MP). 2017 में इस महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा हुई, कमलनाथ सरकार में कुछ बदलाव हुए. अब नाम भी अटल एक्सप्रेस वे हो चुका है, लेकिन आज तक यह प्रोजेक्ट ज़मीन पर नहीं आ सका. सरकार के नुमाइंदे अब तक सर्वे और भूमि अधिग्रहण का कार्य होने का हवाला देते आए थे. लेकिन भिंड और मुरैना में भूमि अधिग्रहण के नाम पर जिन किसानों की ज़मीनें इस सरकारी योजना में जा रही हैं, उन्होंने विरोध और आंदोलन की राह अपना ली. नतीजा, इस साल होने वाले चुनाव को देखते हुए सरकार किसानों की बगावत को नज़र अंदाज नहीं कर सकी और अब मुख्यमंत्री ने एक बार फिर सर्वे कार्य दोबारा कराये जाने और सरकारी जमीन का ज्यादा अधिग्रहण कराने के निर्देश दे दिए हैं. जिससे किसानों की खेती और जमीन बच सके.

CM Shivraj gave instructions for re survey
सीएम शिवराज ने दिए दोबारा सर्वे के निर्देश

साल 2017 में अस्तित्व में आया था चम्बल एक्सप्रेस-वे: वर्ष 2017 में जब इस चम्बल एक्सप्रेस वे की घोषणा हुई, उस समय इस प्रोजेक्ट की कुल लंबाई 300 किलोमीटर थी. लेकिन कुछ समय बाद नाम में बदलाव के साथ इसे नया रूप मिला और 2021 में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इसे भारत माला परियोजना का हिस्सा बनाते हुए प्रथम चरण में स्वीकृति प्रदान की थी. साथ ही इस एक्सप्रेस वे को मध्य प्रदेश के साथ साथ उत्तर प्रदेश और राजस्थान से भी जोड़ा गया जो राजस्थान के कोटा से शुरू होकर उत्तर प्रदेश के इटावा पर ख़त्म होता है. इसकी कुल लंबाई बढ़ाकर 404 किलोमीटर हो गई. इस तरह यह एक्सप्रेस 360 किलोमीटर के साथ मध्य प्रदेश का सबसे लंबा एक्सप्रेस वे माना जाता है, जो प्रदेश के तीन जिलों श्योपुर, मुरैना और भिंड से होकर गुज़रेगा. इस पूरे प्रोजेक्ट की लागत करीब साढ़े 7 हज़ार करोड़ रुपए मानी जा रही थी. DPR तैयार होने के बाद लगभग एक साल से भूमि अधिग्रहण का कार्य भी जारी है. लेकिन इतना समय बीतने के बाद भी यह योजना सिर्फ कागजों तक ही सीमित है.

CM Shivraj gave instructions for re survey
चम्बल एक्सप्रेस वे की डीपीआर तैयार

विरोध जताने चंबल से दिल्ली तक पहुंचे किसान: बीते लगभग दो महीनों से भिंड के अटेर क्षेत्र के 2 दर्जन से अधिक गांव और मुरैना के आधा सैकड़ा से ज्यादा गांव के किसान अटल प्रोग्रेस-वे के तहत हो रही भूमि अधिग्रहण का विरोध जता रहे थे. जिसकी वजह थी कि कई किसान ऐसे थे जिनके पूरे खेत ही इस प्रोजेक्ट के रास्ते में आ रहे थे. ऐसे में बीते दिनों से किसानों का प्रदर्शन लगातार जारी है. कई बार ये किसान केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुरैना स्थित बंगले का भी घेराव करने पहुंचे, जिस पर केंद्रीय मंत्री ने उन्हें मदद का आश्वासन दिया था. लेकिन जब भूमि अधिग्रहण का कार्य जारी रहा तो किसानों का प्रदर्शन तेज हो गया. इसी को लेकर मुरैना के जौरा विधानसभा के बीजेपी विधायक सूबेदार सिंह रजौधा इन पीड़ित किसानों को लेकर मंगलवार को दिल्ली गए थे. जहां किसानों के साथ मिलकर केंद्रीय कृषि मंत्री के साथ उनके बंगले पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया और किसानों की समस्या सामने रखी.

chambal development work not on ground
CM शिवराज और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने की वीडियो कॉन्फ़्रेन्स

दोबारा सर्वे के दिए निर्देश: इन किसानों की समस्या को देखते हुए बैठक में वीडियो कांफ्रेंस के ज़रिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनके साथ भिंड कलेक्टर सतीश कुमार एस, मुरैना कलेक्टर अंकित अष्ठाना और श्योपुर कलेक्टर शिवम वर्मा को भी जोड़ा गया. मंत्री नरेंद्र तोमर और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के सामने किसानों ने अपनी समस्या रखी. इसके बाद सीएम ने किसानों को आश्वासन दिया कि किसी किसान को नुक़सान नहीं होने दिया जाएगा. उन्होंने तीनों कलेक्टर से भी सर्वे का कार्य नये सिरे से कराने के निर्देश दिए हैं.

Also Read: संबंधित इन खबरों पर डालें एक नजर

फिर बढ़ेगा प्रोजेक्ट का समय: पहली ही यह एक्सप्रेस वे का काम करीब 5 वर्ष डिले हो चुका है. ऐसे में सर्वे का काम दोबारा शुरू होने से योजना शून्य हो चुकी है. क्योंकि यह मध्यप्रदेश में भिंड के 28 गांव, श्योपुर के 57 गांव और मुरैना के 119 गांव से गुजरेगा. मुरैना कलेक्टर की मानें तो जब तक अलाइनमेंट रिपोर्ट उपलब्ध नहीं कराई जाती तब तक नया रूट और समय अवधि के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है. ऐसे में अटल प्रोग्रेस-वे का काम कम से कम ढाई वर्ष के लिए आगे बढ़ गया है. क्योंकि इस वर्ष ही विधानसभा चुनाव हैं तो 6 महीने बाद अचार संहिता भी लग जाएगी. ऐसे में सरकार का पूरा फोकस चुनाव और इससे संबंधित गतिविधियों पर होगा.

इनका कहना है: इस संबंध में जब ईटीवी भारत ने भिंड कलेक्टर सतीश कुमार से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि ''अटल एक्सप्रेस वे को लेकर बैठक हुई है, लेकिन मैं इस पर कुछ भी कहने के लिए अधिकृत नहीं हूं''. वहीं, मुरैना कलेक्टर अंकित अस्थाना ने बताया कि ''वीडियो कांफ्रेंस में कहा गया है कि सर्वे दोबारा से कराया जायेगा और सर्वे से पहले NHAI अलाइनमेंट रिपोर्ट सबमिट करेगी. फिलहाल समय को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती है. क्योंकि जब तक नया अलाइनमेंट नहीं आएगा तब तक पता नहीं चलेगा कि कितना रूट बदला है और कितने किसान बदले हैं. जब तक ये पता नहीं चलेगा तब तक टाइमलाइन भी क्लियर नहीं की जा सकती है''. मध्य प्रदेश शासन के राज्यमंत्री ओपीएस भदौरिया ने बताया कि ''मुख्यमंत्री ने सर्वे दोबारा से कराने के निर्देश दिये हैं. क्योंकि कई जगह से लगातार ये शिकायत आ रही थी कि भूमि अधिग्रहण में किसानों की जमीन का ज्यादा नुकसान हो रहा है. इसलिए दोबारा सर्वे होगा और ज़्यादा से ज्यादा इसमें सरकारी ज़मीन को लिया जाएगा. अभी समय के बारे में इतना ही कहा जा सकता है कि सिर्फ उन्हीं स्थानों पर सर्वे होगा जहां से शिकायतें आ रही हैं या किसानों को समस्या हो रही है''.

समझे पूरा प्रोजेक्ट और इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

वर्ष 2017-

  1. सीएम शिवराज ने चंबल एक्सप्रेस-वे की घोषणा की.
  2. इस नये और तेज सड़क मार्ग में रास्ता राजस्थान तक जाने के लिए भिंड, मुरैना और श्योपुर ज़िले की कनेक्टिविटी रखी गई.
  3. इसकी लंबाई 300 किलोमीटर और लागत 850 करोड़ रुपय निर्धारित की गई.
  4. इस एक्सप्रेस वे के आसपास बिजनेस कॉरिडोर डेवलप करने की भी घोषणा हुई.

वर्ष 2018/2019-

  1. विधानसभा चुनाव से पहले चम्बल एक्सप्रेस वे की डीपीआर तैयार हो चुकी थी.
  2. चुनाव के बाद कांग्रेस की कमलनाथ सरकार बनी. यूपी से राजस्थान तक कनेक्टिविटी में भिंड ज़िले का नाम डीपीआर से हटाया गया. कुछ समय बाद प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया.
  3. बीजेपी और भिंड के लोगों ने विरोध किया.

वर्ष 2020-

  1. कोरोना के दौरान सत्ता में फेरबदल हुआ और बीजेपी की सरकार आयी. चम्बल एक्सप्रेस-वे पर दोबारा काम शुरू हुआ.
  2. सरकार बनाने के बाद डीपीआर में भिंड को दोबारा जोड़ा गया.

वर्ष 2021-

  1. चंबल एक्सप्रेस के नाम में बदलाव हुआ, इसे अटल प्रोग्रेस-वे नाम दिया गया.
  2. अगस्त 2021 में केंद्र सरकार के द्वारा चंबल के अटल प्रोग्रेस-वे को भारतमाला सड़क परियोजना के फेस-1 का हिस्सा बनाया गया.
  3. प्रोजेक्ट कॉस्ट करीब 5000 करोड़ रुपए आंकी गई.
  4. नये बदलाव में एक्सप्रेस वे की लंबाई 404 किमी, जिसमें यूपी में 17 किमी (इटावा तक), राजस्थान में 78 किमी (कोटा तक) और एमपी में 309 किमी (भिंड, मुरैना, श्योपुर) की गई.
  5. एनजीटी और पर्यावरण मंत्रालय ने चम्बल सेंचुरी से गुजरने की वजह से एनओसी नहीं दी, प्रोजेक्ट का काम फिर रुक गया.

वर्ष 2022-

  1. एमपी सरकार की लंबी कवायद के बाद NGT और पर्यावरण मंत्रालय ने शर्तों के साथ मंजूरी दी.
  2. अटल प्रॉग्रेस-वे का रूट बदला गया, इसे चंबल सेंचुरी से दो किलोमीटर शिफ्ट किया गया.
  3. रूट परिवर्तन से एमपी में एक्सप्रेस-वे की लंबाई करीब 5-7 किलोमीटर घटी.
  4. सरकारी जमीन कम और निजी भूमि ज्यादा अधिग्रहण के निर्देश दिए गए.
  5. भिंड, मुरैना और श्योपुर के 162 की बजाय 204 किलोमीटर इसके कवरेज क्षेत्र में जोड़े गए. डीपीआर बनने के बाद भूमि अधिग्रहण का कार्य शुरू हुआ.

वर्ष 2023-

  1. श्योपुर में भूमि अधिग्रहण में चार गुना मुआवज़े की मांग को लेकर किसानों ने विरोध शुरू किया.
  2. भिंड और मुरैना में ज़मीन नहीं देने को लेकर किसानों ने भूमि अधिग्रहण का विरोध किया.
  3. 2 महीने से लगातार किसानों का विरोध आंदोलन का रूप ले रहा है.
  4. दिल्ली में केंद्रीय कृषि मंत्री के साथ किसानों की बैठक के बाद सीएम ने दोबारा सर्वे के निर्देश दिये.
  5. पूरा प्रोजेक्ट एक बार फिर शून्य पर.
  6. संभवतः सर्वे और भूमि अधिग्रहण में कम से कम ढाई वर्ष का समय लगने की संभावना.
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.