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जानें भगवान जगन्नाथ और देवी सुभद्रा के रथ की खासियत

यहां सिल्क सिटी में एक मोटर मैकेनिक ने तीन अलग-अलग अनाज के दानों से भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के छोटे-छोटे रथ बनाए हैं. इलाके में इसकी खूब चर्चा हाे रही है.

देवी सुभद्रा के रथ
देवी सुभद्रा के रथ
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Published : Jul 11, 2021, 6:54 PM IST

बेरहामपुर (ओडिशा) : यहां सिल्क सिटी में अनाज के दानों से भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के छोटे-छोटे रथ बनाए हैं. तुलसी की लकड़ी और अनाज के दानों से बने आभूषणों से सजे रथों को रथयात्रा से दो दिन पहले यहां शनिवार को श्रीराम नगर स्ट्रीट पर दर्शकों के लिए रखा गया है.

हर गोविन्द महाराणा (51) ने बताया कि इस साल कोविड-19 के कारण रथयात्रा पर रोक है इसलिए हमने अपने घरों में लोगों के देखने के लिए इनको रखा है. उन्होंने कहा कि उन्होंने भगवान जगन्नाथ का आठ इंच ऊंचा रथ गेंहू से बनाया है तथा बढ़िया धान और चावल के दानों से भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा का रथ बनाया है.

उन्होंने कहा कि प्रत्येक रथ का वजन सौ ग्राम से कम है. उन्होंने कहा कि अनाज के दानों को बबूल के पेस्ट से जोड़ा गया है और रथ के निर्माण में लोहे की कील या अन्य रासायनिक चीजों का इस्तेमाल नहीं किया गया. महाराणा ने कहा कि अनाज के एक-एक दाने को जोड़ना अत्यंत कठिन है और इसमें बहुत समय लगता है. खाली समय में इन रथों को बनाने में दो से तीन महीने लगे और मेरे परिवार ने इसमें सहयोग किया.

उन्होंने कहा कि गेराज के काम के बाद मैं प्रतिदिन लगभग दो घंटे इन रथों को बनाने के लिए काम करता था. उन्होंने कहा कि पहली बार उन्होंने ऐसी चीज बनाई थी तो लोगों ने प्रशंसा की थी जिसके बाद वह रथयात्रा जैसे विभिन्न आयोजनों पर कुछ नया बनाते हैं.

इसे भी पढ़ें : अहमदाबाद में रथयात्रा से पहले नेत्रोत्सव में भाजपा नेताओं ने लिया भाग
महाराणा ने बताया कि तीन साल पहले उन्होंने रथयात्रा के अवसर पर 51 अलग-अलग अनाज के दानों, मसालों और सब्जियों के बीजों से रथ बनाए थे.

(पीटीआई-भाषा)

बेरहामपुर (ओडिशा) : यहां सिल्क सिटी में अनाज के दानों से भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के छोटे-छोटे रथ बनाए हैं. तुलसी की लकड़ी और अनाज के दानों से बने आभूषणों से सजे रथों को रथयात्रा से दो दिन पहले यहां शनिवार को श्रीराम नगर स्ट्रीट पर दर्शकों के लिए रखा गया है.

हर गोविन्द महाराणा (51) ने बताया कि इस साल कोविड-19 के कारण रथयात्रा पर रोक है इसलिए हमने अपने घरों में लोगों के देखने के लिए इनको रखा है. उन्होंने कहा कि उन्होंने भगवान जगन्नाथ का आठ इंच ऊंचा रथ गेंहू से बनाया है तथा बढ़िया धान और चावल के दानों से भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा का रथ बनाया है.

उन्होंने कहा कि प्रत्येक रथ का वजन सौ ग्राम से कम है. उन्होंने कहा कि अनाज के दानों को बबूल के पेस्ट से जोड़ा गया है और रथ के निर्माण में लोहे की कील या अन्य रासायनिक चीजों का इस्तेमाल नहीं किया गया. महाराणा ने कहा कि अनाज के एक-एक दाने को जोड़ना अत्यंत कठिन है और इसमें बहुत समय लगता है. खाली समय में इन रथों को बनाने में दो से तीन महीने लगे और मेरे परिवार ने इसमें सहयोग किया.

उन्होंने कहा कि गेराज के काम के बाद मैं प्रतिदिन लगभग दो घंटे इन रथों को बनाने के लिए काम करता था. उन्होंने कहा कि पहली बार उन्होंने ऐसी चीज बनाई थी तो लोगों ने प्रशंसा की थी जिसके बाद वह रथयात्रा जैसे विभिन्न आयोजनों पर कुछ नया बनाते हैं.

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महाराणा ने बताया कि तीन साल पहले उन्होंने रथयात्रा के अवसर पर 51 अलग-अलग अनाज के दानों, मसालों और सब्जियों के बीजों से रथ बनाए थे.

(पीटीआई-भाषा)

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