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Mother Teresa की जयंती: जिन्होंने मानव सेवा के लिए पूरी जिंदगी कर दी समर्पित

कोलकाता स्थित मिशनरीज ऑफ चैरिटी की ओर से गुरुवार को मदर टेरेसा की 111वीं जयंती पर उनकी याद में पूजा-अर्चना की गई. मदर्स हाउस की सिस्टर्स ने उनकी समाधि के पास भजन गाए और प्रार्थना की. इस अवसर पर सिस्टर्स और धर्माध्यक्षों ने मदर टेरेसा और उनकी शिक्षाओं को याद किया.

Mother Teresa की जयंती
Mother Teresa की जयंती
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Published : Aug 26, 2021, 11:41 AM IST

नई दिल्ली : मानवता की पूजारी मदर टेरेसा की आज 111वीं जयंती (Birth Anniversary of Mother Teresa) है. इस मौके पर पूरी दुनिया उन्हें याद कर श्रद्धासुमन अर्पित कर रही है. मदर टेरेसा ने अपनी पूरी जिंदगी गरीबों और पीड़ितों की सेवा में गुजार दीं. मदर टेरेसा कैथोलिक नन (Catholic Nun) और दुनिया के लिए शांति की दूत थीं, जिसकी वजह से उन्हें साल 1979 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया था.

याद की गईं मदर टेरेसा

कोलकाता स्थित मिशनरीज ऑफ चैरिटी (Missionaries of Charity) की ओर से गुरुवार को मदर टेरेसा की 111वीं जयंती पर उनकी याद में पूजा-अर्चना की गई. मदर्स हाउस की सिस्टर्स ने उनकी समाधि के पास भजन गाए और प्रार्थना की. इस अवसर पर सिस्टर्स और धर्माध्यक्षों ने मदर टेरेसा और उनकी शिक्षाओं को याद किया.

मदर टेरेसा को श्रद्धांजलि
मदर टेरेसा को श्रद्धांजलि

मदर टेरेसा का जन्म

मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 को मेसिडोनिया के स्कोप्जे शहर में हुआ था. उनका असली नाम आन्येजे गोंजा बोयाजियू (Anjeze Gonxhe Bojaxhiu) है. ऐसा माना जाता है कि जब यह मात्र 12 साल की थीं तभी उन्हें ये अनुभव हो गया था कि वो अपना सारा जीवन मानव सेवा में लगाएंगी और 18 साल की उम्र में उन्होंने ‘सिस्टर्स ऑफ लोरेटो’ में शामिल होने का फैसला ले लिया. इसके बाद वह आयरलैंड गईं जहां उन्होंने अंग्रेजी भाषा सीखी. अंग्रेजी सीखना इसलिए जरुरी था क्योंकि ‘लोरेटो’ की स्टर्स इसी माध्यम में बच्चों को भारत में पढ़ाती थीं. 1929 में वह भारत आकर बेसहारा लोगों की सेवा करने लगी. उन्होंने कोढ़ जैसी बीमारी से पीड़ित लोगों की सेवा की. उनके इन्हीं कामों ने उन्हें पूरी दुनिया में पहचान दी. उन्होंने साल 1948 में भारत की नागरिकता ली.

दया, करुणा और ममता की प्रतिमूर्ति टेरेसा

1949 में मदर टेरेसा ने गरीब, असहाय व अस्वस्थ लोगों की मदद के लिए ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ की स्थापना की. इस चैरिटी को 1950 में रोमन कैथोलिक चर्च ने मान्यता दी. इतना ही नहीं, पीड़ितों की सेवा और बच्चों की देखभाल के लिए उन्होंने ‘निर्मल हृदय’ और ‘निर्मला शिशु भवन’ के नाम से आश्रम खोले. इन आश्रमों में उन लोगों को भी पनाह मिली जिन्हें समाज ने बाहर निकाल दिया हो.

मदर टेरेसा को मिले सम्मान

मदर टेरेसा को समाजसेवा के लिए 1962 में भारत सरकार की ओर से पद्मश्री से नवाजा गया. 1980 में मदर टेरेसा को उनके द्वारा किये गये कार्यों के कारण भारत सरकार ने भारत रत्‍न से भी उन्हें अलंकृत किया. विश्व भर में फैले उनके मिशनरी के कार्यों की वजह से मदर टेरेसा को 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला.

मदर टेरेसा का निधन

मदर टेरेसा को श्रद्धांजलि
मदर टेरेसा को श्रद्धांजलि

1983 में 73 वर्ष की आयु में मदर टेरेसा रोम में पॉप जॉन पॉल द्वितीय से मिलने के लिए गईं. वहीं, उन्हें पहला हार्ट अटैक आ गया. इसके बाद साल 1989 में उन्हें दूसरा हृदयाघात आया. लगातार गिरती सेहत की वजह से 1997 में उनका निधन हो गया.

नई दिल्ली : मानवता की पूजारी मदर टेरेसा की आज 111वीं जयंती (Birth Anniversary of Mother Teresa) है. इस मौके पर पूरी दुनिया उन्हें याद कर श्रद्धासुमन अर्पित कर रही है. मदर टेरेसा ने अपनी पूरी जिंदगी गरीबों और पीड़ितों की सेवा में गुजार दीं. मदर टेरेसा कैथोलिक नन (Catholic Nun) और दुनिया के लिए शांति की दूत थीं, जिसकी वजह से उन्हें साल 1979 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया था.

याद की गईं मदर टेरेसा

कोलकाता स्थित मिशनरीज ऑफ चैरिटी (Missionaries of Charity) की ओर से गुरुवार को मदर टेरेसा की 111वीं जयंती पर उनकी याद में पूजा-अर्चना की गई. मदर्स हाउस की सिस्टर्स ने उनकी समाधि के पास भजन गाए और प्रार्थना की. इस अवसर पर सिस्टर्स और धर्माध्यक्षों ने मदर टेरेसा और उनकी शिक्षाओं को याद किया.

मदर टेरेसा को श्रद्धांजलि
मदर टेरेसा को श्रद्धांजलि

मदर टेरेसा का जन्म

मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 को मेसिडोनिया के स्कोप्जे शहर में हुआ था. उनका असली नाम आन्येजे गोंजा बोयाजियू (Anjeze Gonxhe Bojaxhiu) है. ऐसा माना जाता है कि जब यह मात्र 12 साल की थीं तभी उन्हें ये अनुभव हो गया था कि वो अपना सारा जीवन मानव सेवा में लगाएंगी और 18 साल की उम्र में उन्होंने ‘सिस्टर्स ऑफ लोरेटो’ में शामिल होने का फैसला ले लिया. इसके बाद वह आयरलैंड गईं जहां उन्होंने अंग्रेजी भाषा सीखी. अंग्रेजी सीखना इसलिए जरुरी था क्योंकि ‘लोरेटो’ की स्टर्स इसी माध्यम में बच्चों को भारत में पढ़ाती थीं. 1929 में वह भारत आकर बेसहारा लोगों की सेवा करने लगी. उन्होंने कोढ़ जैसी बीमारी से पीड़ित लोगों की सेवा की. उनके इन्हीं कामों ने उन्हें पूरी दुनिया में पहचान दी. उन्होंने साल 1948 में भारत की नागरिकता ली.

दया, करुणा और ममता की प्रतिमूर्ति टेरेसा

1949 में मदर टेरेसा ने गरीब, असहाय व अस्वस्थ लोगों की मदद के लिए ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ की स्थापना की. इस चैरिटी को 1950 में रोमन कैथोलिक चर्च ने मान्यता दी. इतना ही नहीं, पीड़ितों की सेवा और बच्चों की देखभाल के लिए उन्होंने ‘निर्मल हृदय’ और ‘निर्मला शिशु भवन’ के नाम से आश्रम खोले. इन आश्रमों में उन लोगों को भी पनाह मिली जिन्हें समाज ने बाहर निकाल दिया हो.

मदर टेरेसा को मिले सम्मान

मदर टेरेसा को समाजसेवा के लिए 1962 में भारत सरकार की ओर से पद्मश्री से नवाजा गया. 1980 में मदर टेरेसा को उनके द्वारा किये गये कार्यों के कारण भारत सरकार ने भारत रत्‍न से भी उन्हें अलंकृत किया. विश्व भर में फैले उनके मिशनरी के कार्यों की वजह से मदर टेरेसा को 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला.

मदर टेरेसा का निधन

मदर टेरेसा को श्रद्धांजलि
मदर टेरेसा को श्रद्धांजलि

1983 में 73 वर्ष की आयु में मदर टेरेसा रोम में पॉप जॉन पॉल द्वितीय से मिलने के लिए गईं. वहीं, उन्हें पहला हार्ट अटैक आ गया. इसके बाद साल 1989 में उन्हें दूसरा हृदयाघात आया. लगातार गिरती सेहत की वजह से 1997 में उनका निधन हो गया.

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