तुमकुर: आधुनिकता के इस युग में भी एक अंधविश्वास के कारण एक माह के बच्चे की मौत हो गई. कर्नाटक के कडुगोल्ला समुदाय की नीति के अनुसार, बरांती और बच्चे को गांव के बाहर एक झोपड़ी में रखा गया था. जानकारी के अनुसार यहां के निवासी सिद्धेश और वसंता की बच्ची, जो झोपड़ी में अत्यधिक ठंड से बीमार पड़ गई थी और फिर उसकी मृत्यु हो गई.
गांव में रहने वाले सिद्धेश की पत्नी वसंता ने पिछले महीने तुमकुर जिला अस्पताल में जुड़वां बच्चों को जन्म दिया था. प्रसव के दौरान एक नवजात की मौत हो गयी थी, लेकिन एक बच्ची जीवित थी. इसके बाद वसंता एक नवजात बच्ची के साथ गांव लौटी थी. उसे सूतक परंपरा के कारण गांव के बाहर एक झोपड़ी में रखा गया था. जानकारी के अनुसार यह झोपड़ी गांव के बाहर बनाई गई थी.
जिले में पिछले कुछ दिनों से बारिश के कारण मौसम काफी ठंडा हो गया है. तेज बारिश और ठंडी हवा के बावजूद, वसंता अपने नवजात बच्चे के साथ इसी झोपड़ी में रह रही थी. इस वजह से बच्चे को लगातार ठंड लगती रही. बच्चे की तबियत खराब होने पर उसे इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया. लेकिन गंभीर रूप से बीमार बच्चे की इलाज के दौरान आईसीयू में मौत हो गई.
उस मां ने जिसने प्रसव के दौरान अपने एक बच्चे को खो दिया था, वहीं अब अपने दूसरे बच्चे को भी खो दिया है. सूतक अनुष्ठान कडुगोल्ला समुदाय के अनुष्ठानों में से एक है. समुदाय आज भी इस प्रथा को जारी रखे हुए हैं. जैसे ही घटना सामने आई, तुमकुर तहसीलदार और स्वास्थ्य अधिकारियों की एक टीम ने मल्लेनाहल्ली गोलारहट्टी का दौरा किया.
तहसीलदार सिद्धेश, आरसीएच मोहन, टीएचओ लक्ष्मीकांत सहित स्टाफ ने मौका मुआयना किया और परिजनों से बातचीत की. उन्होंने प्रसूता महिला को गांव में ही रखने और इस तरह के अंधविश्वास को छोड़ने के लिए गांव के बुजुर्गों से चर्चा की है.