नई दिल्ली : वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच पूर्व हुई झड़प की कम से कम दो अज्ञात घटनाएं सामने आई हैं. भारतीय सेना के जवानों को दिए गए वीरता पुरस्कारों के प्रशस्ति पत्र में इन झड़पों का उल्लेख किया गया है.
पिछले सप्ताह सेना की पश्चिमी कमान द्वारा एक अलंकरण समारोह में दिए गए प्रशस्ति पत्र में इस बात का संक्षिप्त विवरण दिया गया था कि कैसे भारतीय सैनिकों ने एलएसी पर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों के आक्रामक व्यवहार का डटकर जवाब दिया.
सेना की पश्चिमी कमान ने अपने यूट्यूब चैनल पर 13 जनवरी के समारोह का एक वीडियो अपलोड किया था जिसमें वीरता पुरस्कार पर टिप्पणी की गई थी, लेकिन सोमवार को इसे 'डिएक्टीवेट' कर दिया. पश्चिमी कमान का मुख्यालय हरियाणा के चंडी मंदिर में है.
प्रशस्ति पत्र में उल्लिखित घटनाएं सितंबर 2021 और नवंबर 2022 के बीच की थीं. सेना की ओर से इस मामले पर तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की गई है. जून 2020 में गलवान घाटी में झड़प के बाद भारतीय सेना 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी पर हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार है. मई 2020 में पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद के भड़कने के बाद पिछले साढ़े तीन वर्षों में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच एलएसी पर झड़प की कई घटनाएं हुईं. चीनी सैनिकों ने एलएसी के तवांग सेक्टर में भी घुसपैठ की कोशिश की.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने घटना के चार दिन बाद संसद में कहा कि नौ दिसंबर, 2022 को पीएलए सैनिकों ने तवांग सेक्टर के यांग्त्से क्षेत्र में एलएसी का उल्लंघन करने की कोशिश की और एकतरफा यथास्थिति बदल दी. सिंह ने कहा कि चीनी प्रयास का भारतीय सैनिकों ने दृढ़तापूर्वक और दृढ़ तरीके से मुकाबला किया. सूत्रों ने बताया कि चीनी अतिक्रमण के प्रयास का दृढ़ता से जवाब देने वाली टीम का हिस्सा रहे कई भारतीय सैनिकों को भी अलंकरण समारोह में वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
सिंह ने उस वर्ष 13 दिसंबर को कहा, 'टकराव के कारण हाथापाई हुई और भारतीय सेना ने बहादुरी से पीएलए को हमारे क्षेत्र में घुसने से रोका और उन्हें अपनी चौकी पर लौटने के लिए मजबूर किया.' उन्होंने कहा कि हाथापाई के कारण दोनों पक्षों के कुछ कर्मियों को चोटें आईं.
सिंह ने कहा, 'मैं इस सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हमारी सेनाएं क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं और इसे भंग करने के किसी भी प्रयास को विफल करना जारी रखेंगी. मुझे विश्वास है कि यह पूरा सदन हमारे सैनिकों के बहादुरी भरे प्रयास में उनका समर्थन करने के लिए एकजुट रहेगा.'