नई दिल्ली : अनुसंधानकर्ताओं ने भारत सहित दक्षिण एशिया के तीन देशों में 1,95,000 पुरुष सहभागी के साथ रहने वाली महिलाओं पर किए गए अध्ययन के आधार पर दावा किया है कि सालाना एक डिग्री सेल्सियस तापमान में वृद्धि होने पर साथी द्वारा हिंसा की घटना (आईपीवी) में 4.5 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है.
अनुसंधानकर्ताओं का अनुमान है कि 21वीं सदी के अंत में इस क्षेत्र में परिवारिक हिंसा में 21 प्रतिशत की वृद्धि होगी. उनके मुताबिक दो अन्य देशों नेपाल और पाकिस्तान के मुकाबले भारत में साथी द्वारा हिंसा की घटना में सबसे अधिक 23.5 प्रतिशत की वृद्धि होगी. अध्ययन में उन महिलाओं को शामिल किया गया जो विवाहित हैं या किसी के साथ प्रेम संबंध में हैं.
जेएएमए मनोविज्ञान चिकित्सा जर्नल में इस अध्ययन को निम्न और मध्यम आय वाले दक्षिण एशियाई देशों में साझेदार महिलाओं के बीच पुरुष साथी द्वारा हिंसा की व्यापकता के साथ परिवेश के तापमान का संबंध शीर्षक से प्रकाशित किया गया है.
इस अनुसंधान पत्र को लिखने वाले चीन स्थित फुदान विश्वविद्यालय के रेनजी चेन ने बताया, 'वैश्विक स्तर की तुलना में दक्षिण एशिया में आईपीवी के उच्च प्रसार और इस क्षेत्र में अधिक नियमित और तीव्र गर्मी के हालिया इतिहास को देखते हुए, हमने आईपीवी के तापमान के संबंध का मूल्यांकन करने के लिए यह अध्ययन किया और इसमें शारीरिक हिंसा तथा यौन हिंसा आदि का आकलन किया.'
उन्होंने बताया कि भारत, नेपाल और पाकिस्तान की 15 से 49 साल की पुरुष साझेदार के साथ रहीं महिलाओं को अध्ययन में शामिल किया गया. साथ ही एक अक्टूबर 2010 से 30 अप्रैल 2018 के बीच एकत्र जनसांख्यिंकी और स्वास्थ्य सर्वेक्षण (डीएचएस) कार्यक्रम के तहत एकत्र आंकड़ों का इस्तेमाल किया.
गौरतलब है कि डीएचएस कार्यक्रम 90 से अधिक देशों में चलाया जाता है. यह निम्न एवं मध्यम आय के देशों के स्वास्थ्य और आबादी को लेकर राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व वाले सटीक आंकड़े एकत्र करने के साथ साथ तीन से पांच साल के अंतराल पर सर्वे करता है.
अध्ययन के मुताबिक शारीरिक हिंसा सबसे प्रमुख है जो करीब 23 प्रतिशत है जबकि 12.5 प्रतिशत के साथ भावनात्मक हिंसा और 9.5 प्रतिशत के साथ यौन हिंसा क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर है. अध्ययन में वर्ष 2090 तक जलवायु परिवर्तन की विभिन्न परिस्थितियों पर विचार करने के बाद अनुमान लगाया गया है कि गर्मी पड़ने पर शारीरिक और यौन हिंसा क्रमश: 28.3 प्रतिशत और 26.1 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच जाएगी, जो भावनात्मक हिंसा में वृद्धि के अनुमानित आंकड़े 8.9 प्रतिशत से कहीं अधिक होगा.
अनुसंधानकर्ताओं ने तामपान में वृद्धि और घरेलू हिंसा के बीच संबंध के बारे में बताया, 'गर्म जलवायु, जिसमें अधिक तीव्र और बार-बार चलने वाली लू होती है, से मस्तिष्क के थर्मोरेग्यूलेशन और भावना विनियमन से जुड़े क्षेत्र सक्रिय हो सकते हैं और उत्तेजना जैसी कुछ स्थितियों में अधिक आक्रामकता का भाव उत्पन्न हो सकता है.'
चेन ने बताया, 'अधिक समय तक गर्मी के संपर्क में रहने का संबंध अड्रेनलिन हार्मोन के स्राव से होता है जिससे मनोवैज्ञानिक उत्तेजना बढ़ सकती है. इसके साथ ही इससे मस्तिष्क के स्वास्थ्य पर विपरीत असर हो सकता है जिसका नतीजा घरेलू हिंसा के रूप में सामने आ सकता है.'
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(भाषा)