मोरबी: जिले में ब्रिज हादसे के बाद कई परिवारों में मातम छाया है. एक ऐसे ही पीड़ित परिवार के सदस्य ने ईटीवी भारत से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा रविवार का दिन होने के कारण यहां काफी संख्या में लोग ब्रिज देखने के लिए आये. घटना के समय करीब 400 लोग थे. ऐसा प्रतीत होता है कि क्षमता से अधिक लोगों के मौजूद होने के कारण ये हादसा हुआ. इस केबल ब्रिज हादस में 56 बच्चों सहित 134 लोगों की मौत हो गयी.
इस दर्दनाक हादसे के बाद पीड़ित परिवारों पर गम का पहाड़ टूट पड़ा है. इस हादसे में मोरबी की रहनेवाली एक 19 साल की लड़की की भी मौत हो गयी. वह अपनी चाची के साथ ब्रिज को देखने गयी थी. पीड़ित परिवार के सदस्यों का आरोप है कि शासन और कंपनी के बीच सांठ गांठ के कारण यह दुर्घटना हुई. ठंपनी के मुनाफे के लिए लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया गया.
आरोप यह भी लगाया जा रहा है कि मरने वालों की संख्या छिपाई जा रही है. पीड़ित परिवार के सदस्य ने कहा कि दुर्घटना में उनकी 19 वर्षीय बेटी की जान चली गयी. लेकिन, शासन व्यवस्था की ओर से अभी तक आश्वासन नहीं मिला. इस घटना को लेकर मरने वालों की संख्या की जानकारी छिपाई जा रही है. पीड़िता के परिवार के सदस्य ने बताया कि घटना शाम 6.30 बजे की है.
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सिस्टम अब जिम्मेदारी से बच रहा है. मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि जिस कंपनी को ठेका दिया गया उसकी गलती है. नगर पालिका की भी गलती है. जब व्यवस्था ऐसी हो कि उन्हें (नगर पालिका) को पता ही न चले कि ब्रिज पिछले चार दिनों से खुला है. इस पर विश्वास नहीं किया जा सकता है. मेरे विचार से ब्रिज को खोलने का एकमात्र कारण सिस्टम द्वारा ठेका कंपनी ओरेवा को लाभ पहुंचाना है. इसमें सिस्टम और ठेकेदार यानी ओरेवा कंपनी दोनों की मिलीभगत है. दोनों इस हादसे के लिए जिम्मेदार हैं. हमारी सरकार से एक ही उम्मीद है कि जो भी दोषी हैं, उसे सजा मिले जिससे इस हादसे में जान गंवाने वाली लड़की को न्याय मिल सके.