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Morbi Bridge Accident: मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख और घायलों को 2-2 लाख रुपये का मुआवजा, गुजरात हाई कोर्ट का आदेश - गुजरात मोरबी पुल हादसा

मोरबी दुर्घटना मामले में मुआवजे को लेकर गुजरात हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. हाई कोर्ट ने कहा है कि जयसुख पटेल प्रत्येक मृतक के परिजनों को दस-दस लाख दें. हाईकोर्ट ने घायलों को दो-दो लाख का मुआवजा देने का भी आदेश दिया. गुजरात हाई कोर्ट ने कहा कि जो लोग गवां चुके हैं, उनकी जान वापस नहीं आएगी, इसलिए यहां सिर्फ मुआवजे की कोशिश की जा सकती है. मोरबी दुर्घटना मामले में अंतरिम मुआवजे को लेकर गुजरात हाईकोर्ट में सुनवाई हुई है.

Morbi Bridge Accident
मोरबी ब्रिज हादसा
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Published : Feb 22, 2023, 3:14 PM IST

अहमदाबाद: मोरबी पुल दुर्घटना मामले में हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि जयसुख पटेल प्रत्येक मृतक के परिजनों को दस-दस लाख रुपये का मुआवजा दे. इसके अलावा हाई कोर्ट ने घायलों को दो-दो लाख का मुआवजा देने का भी आदेश दिया. हाई कोर्ट ने कहा कि जो अपनी जान गवां चुके हैं, उनकी जान वापस नहीं आ सकती, सिर्फ मुआवजे से उनके परिजनों के दुख को कम करने की कोशिश की जा सकती है. ओरेवा कंपनी के मालिक जयसुख पटेल पांच लाख तक मुआवजा देने को तैयार थे.

कोर्ट ने कहा कि यह मुआवजा कम है. तब जयसुख पटेल के वकील ने कहा है कि हमारी कुछ सीमाएं हैं. वर्तमान में हम इस तरह से इतना ही मुआवजा प्रदान कर सकते हैं. हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सवाल किया कि किसी ने अपने बच्चों को खोया है, तो किसी ने अपने माता-पिता को हादसे में खोया है. आप इस मुआवजे का भुगतान कैसे करेंगे? इसके जवाब में सरकार ने कहा है कि उसने बैंक के जरिए ही मुआवजा दिलाने की व्यवस्था की है.

गुजरात उच्च न्यायालय ने मोरबी केबल ब्रिज दुर्घटना के संबंध में सुओ मोटो फाइल किया. इसके बाद अदालत ने राज्य के विभिन्न पुलों की स्थिति के बारे में जानकारी मांगी. साथ ही मृतकों के परिजनों को मुआवजे के संबंध में मंगलवार को अपील की गई, जिसमें मृतक के परिजनों ने मुआवजे को लेकर असंतोष जताया. उस समय जयसुख पटेल ने घायलों को साढ़े तीन लाख का अतिरिक्त मुआवजा देने की इच्छा जताई थी. दूसरी तरफ कोर्ट को लगा कि ओरेवा ग्रुप कंपनी ने जो मुआवजा दिखाया है वह बहुत कम है.

इस हादसे के बाद एडवोकेट जनरल ने राज्य के विभिन्न पुलों के संबंध में जवाब पेश किया. इसके साथ ही पुल को लेकर बनने वाली नीति भी इस बात को ध्यान में रखकर बनाई जा रही है कि क्या बड़े वाहन पुल पर नहीं जाएंगे, अगर जाते हैं तो पुल कि क्षमता है या नहीं. मार्च के एक सप्ताह के भीतर नीति के बारे में सभी विवरण अदालत में प्रस्तुत किए जाएंगे. सरकार ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए सभी कदम उठाए जा रहे हैं कि एक भी पुल जर्जर न रहे. यह आश्वासन भी दिया गया है कि सरकार ने मोरबी जैसी त्रासदी को फिर से होने से रोकने के लिए पर्याप्त एहतियाती कदम उठाए हैं.

गुजरात सरकार द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल (एसआईटी) ने मोरबी ब्रिज त्रासदी की अपनी प्रारंभिक जांच में कहा कि सवाल सीधे सिस्टम के खिलाफ उठाए गए थे. इस मामले में नगर पालिका अपनी ओर से बचाव पक्ष में आ गया. जांच दल ने पाया कि केबल के लगभग आधे तार जंग खा चुके थे. इतना ही नहीं, केबल के विपरीत छोर पर किए गए वेल्ड में भी खराबी आ गई थी. पुल की मरम्मत, रख-रखाव व संचालन में पाई गई खामियों का जिक्र है.

पढ़ें: Maharashtra Dharavi fire: महाराष्ट्र के धारावी में झोपड़ियों में लगी भीषण आग

आईपीएस सुभाष त्रिवेदी, आईएएस राजकुमार बेनीवाल, मुख्य अभियंता, सचिव और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर एसआईटी के सदस्य थे, जिन्होंने इस रिपोर्ट पर विशेष ध्यान दिया. मोरबी ब्रिज पर एफएसएल रिपोर्ट में ओरेवा और नगरपालिका द्वारा भ्रष्टाचार और आपराधिक लापरवाही का खुलासा हुआ. ओरेवा ग्रुप जिसके पास पुल के रखरखाव, संचालन और सुरक्षा का ठेका था, 30 अक्टूबर 2021 को पुल गिरने के दिन 3,165 टिकट जारी किए गए थे.

अहमदाबाद: मोरबी पुल दुर्घटना मामले में हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि जयसुख पटेल प्रत्येक मृतक के परिजनों को दस-दस लाख रुपये का मुआवजा दे. इसके अलावा हाई कोर्ट ने घायलों को दो-दो लाख का मुआवजा देने का भी आदेश दिया. हाई कोर्ट ने कहा कि जो अपनी जान गवां चुके हैं, उनकी जान वापस नहीं आ सकती, सिर्फ मुआवजे से उनके परिजनों के दुख को कम करने की कोशिश की जा सकती है. ओरेवा कंपनी के मालिक जयसुख पटेल पांच लाख तक मुआवजा देने को तैयार थे.

कोर्ट ने कहा कि यह मुआवजा कम है. तब जयसुख पटेल के वकील ने कहा है कि हमारी कुछ सीमाएं हैं. वर्तमान में हम इस तरह से इतना ही मुआवजा प्रदान कर सकते हैं. हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सवाल किया कि किसी ने अपने बच्चों को खोया है, तो किसी ने अपने माता-पिता को हादसे में खोया है. आप इस मुआवजे का भुगतान कैसे करेंगे? इसके जवाब में सरकार ने कहा है कि उसने बैंक के जरिए ही मुआवजा दिलाने की व्यवस्था की है.

गुजरात उच्च न्यायालय ने मोरबी केबल ब्रिज दुर्घटना के संबंध में सुओ मोटो फाइल किया. इसके बाद अदालत ने राज्य के विभिन्न पुलों की स्थिति के बारे में जानकारी मांगी. साथ ही मृतकों के परिजनों को मुआवजे के संबंध में मंगलवार को अपील की गई, जिसमें मृतक के परिजनों ने मुआवजे को लेकर असंतोष जताया. उस समय जयसुख पटेल ने घायलों को साढ़े तीन लाख का अतिरिक्त मुआवजा देने की इच्छा जताई थी. दूसरी तरफ कोर्ट को लगा कि ओरेवा ग्रुप कंपनी ने जो मुआवजा दिखाया है वह बहुत कम है.

इस हादसे के बाद एडवोकेट जनरल ने राज्य के विभिन्न पुलों के संबंध में जवाब पेश किया. इसके साथ ही पुल को लेकर बनने वाली नीति भी इस बात को ध्यान में रखकर बनाई जा रही है कि क्या बड़े वाहन पुल पर नहीं जाएंगे, अगर जाते हैं तो पुल कि क्षमता है या नहीं. मार्च के एक सप्ताह के भीतर नीति के बारे में सभी विवरण अदालत में प्रस्तुत किए जाएंगे. सरकार ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए सभी कदम उठाए जा रहे हैं कि एक भी पुल जर्जर न रहे. यह आश्वासन भी दिया गया है कि सरकार ने मोरबी जैसी त्रासदी को फिर से होने से रोकने के लिए पर्याप्त एहतियाती कदम उठाए हैं.

गुजरात सरकार द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल (एसआईटी) ने मोरबी ब्रिज त्रासदी की अपनी प्रारंभिक जांच में कहा कि सवाल सीधे सिस्टम के खिलाफ उठाए गए थे. इस मामले में नगर पालिका अपनी ओर से बचाव पक्ष में आ गया. जांच दल ने पाया कि केबल के लगभग आधे तार जंग खा चुके थे. इतना ही नहीं, केबल के विपरीत छोर पर किए गए वेल्ड में भी खराबी आ गई थी. पुल की मरम्मत, रख-रखाव व संचालन में पाई गई खामियों का जिक्र है.

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आईपीएस सुभाष त्रिवेदी, आईएएस राजकुमार बेनीवाल, मुख्य अभियंता, सचिव और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर एसआईटी के सदस्य थे, जिन्होंने इस रिपोर्ट पर विशेष ध्यान दिया. मोरबी ब्रिज पर एफएसएल रिपोर्ट में ओरेवा और नगरपालिका द्वारा भ्रष्टाचार और आपराधिक लापरवाही का खुलासा हुआ. ओरेवा ग्रुप जिसके पास पुल के रखरखाव, संचालन और सुरक्षा का ठेका था, 30 अक्टूबर 2021 को पुल गिरने के दिन 3,165 टिकट जारी किए गए थे.

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