लखनऊ : मुरादाबाद में 1980 में हुए दंगों की रिपोर्ट में 496 पन्नों का निष्कर्ष है कि इस पूरे प्रकरण में भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कोई लेना-देना नहीं था. रिपोर्ट के आधार पर संघ और भाजपा को क्लीन चिट मिल चुकी है. 1980 वही साल है जिस साल भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ था. इस मामले में भाजपा के कुछ तत्कालीन पदाधिकारी आरोपित हुए थे. मगर रिपोर्ट के आधार पर सभी को क्लीन चिट मिल चुकी है. इसी तरह से पुलिस अधिकारियों को भी क्लीन चिट दी गई है.
मुख्य रूप से वाल्मीकि समाज और जाट समाज को दंगों के लिए जिम्मेदार बताया जा रहा था. इन दोनों वर्गों को भी रिपोर्ट में पाक साफ बताया गया है. मुख्य रूप से माना गया है कि ईदगाह के पास जहां 60 हजार से 70 हजार कट्टरपंथियों की भीड़ इकट्ठा थी. सड़क कम चौड़ी थी इस वजह से अधिकांश लोगों की मौत भगदड़ के दौरान चोट लगने से हुई. विधानसभा में मुरादाबाद दंगों को लेकर रिपोर्ट पेश की गई. यह जांच रिपोर्ट 496 पन्नों की है. जिस में दंगे की एक-एक बात लिखी हुई है. मुख्य रूप से दंगा तीन अगस्त को ईद की नमाज के बाद हुआ था. जब आरोप लगा था कि नमाज के स्थल के पास एक अपवित्र माने जाने वाले पशु का शव मिला है. इसके बाद हंगामा शुरू हुआ. जिसको शुरुआत में प्रशासन ने शांत करा दिया, मगर कुछ लोगों की जोर जबरदस्ती की वजह से हंगामा बढ़ा और बाद में बड़ी भगदड़ हो गई.
रिपोर्ट में लिखा गया है कि हिंदू समुदाय से अनेक लोग खुद व्यक्तिगत रूप से या कुछ संगठनों की ओर से अपने लिखित बयान दाखिल किए थे. हरी ओम शर्मा, जिला सेक्रेटरी भारतीय जनता पार्टी, मुरादाबाद, हरि किशान दास, अध्यक्षा, जनता सेवक समाज, मुरादाबाद, दयानन्द गुप्ता, एडवोकेट, मुरादाबाद, संतोषा सरन, हंस राज भागत तथा श्री हरीश चन्द्र गुप्ता, नागरिक परिषाद, मुरादाबाद, वीरेन्द्र पाल सिंह ने खुद पर लगे आरोपों का जवाब दिया. जिन 17 लोक सेवकों को नोटिस जारी की गई थीं उनमें से केवल छह एके मिश्र, एसपी आर्य , बीबी दास, आरएस सिंह, वीएन सिंह और केएम पाण्डेय ने ही अपने लिखित बयान दाखिल किए. इनके अतिरिक्त सात अन्य लोक सेवकों जीबी सिंह, बीबीलाल, टीसी त्यागी ने लिखित बयान दाखिल किए.