नई दिल्ली : जनवरी में ही पीएम मोदी ने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में अपने भाषण के दौरान कहा था कि भारत ने कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में सभी कठिनाइयों का सामना किया है और उसमें वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने की क्षमता है.
पीएम के बयान के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता पवन खेड़ा ने ईटीवी भारत से कहा कि जनवरी में हमने प्रधानमंत्री को विश्व आर्थिक मंच पर अपनी पीठ थपथपाते हुए देखा था. जब उन्होंने समय से पहले यह दावा किया कि भारत ने कोविड-19 के खिलाफ युद्ध जीत लिया है. अब भारी मन के साथ कहना पड़ रहा है कि जो कुछ भी गलत हुआ उसे उजागर करने की जरुरत है. देश को यह जानने की जरूरत है कि आज वे खुद को कितना गलत मानते हैं.
उन्होंने आगे कहा कि जब हम लोगों को ऑक्सीजन, अस्पताल के बेड, एम्बुलेंस के लिए भटकते हुए देखते हैं, वैक्सीनेशन में गड़बड़ी को देखते हैं तो कैसे कहा जा सकता है कि 1 मई के लिए हम तैयार हैं?राज्य कह रहे हैं कि हमारे पास कोई टीका नहीं है. इसलिए यह स्पष्ट रूप से इस तथ्य को भी उजागर करता है कि दूसरी लहर की तैयारी के बजाय विशेषज्ञों की चेतावनी के बावजूद प्रधानमंत्री और सरकार एक-दूसरे की पीठ थपथपाने में व्यस्त थे.
खेड़ा ने आरोप लगाया कि अस्पतालों के लिए पीएम-केयर्स फंड से वेंटिलेटर, अस्पतालों में बेड बढ़ाने, ऑनसाइट ऑक्सीजन प्लांट, दवाओं व टीकों का निर्यात जिसे अब हम आयात कर रहे हैं, यह सब दिखाता है कि हम बुरी तरह से गलत थे.
इस बीच पीएम ने अपने भाषण के दौरान यह भी दावा किया था कि केवल 12 दिनों में भारत ने 2.3 मिलियन से अधिक हेल्थकेयर वर्करों का टीकाकरण किया है. अगले कुछ महीनों में हम 300 मिलियन बुजुर्गों को टीका लगाने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करेंगे.
इससे पहले कांग्रेस पार्टी ने देश में कोविड की स्थिति पर भी चर्चा की. जहां कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि हमारे पास प्रधानमंत्री द्वारा निर्धारित लक्ष्य था कि अगस्त 2021 तक 30 करोड़ भारतीयों का टीकाकरण किया जाएगा. आज तक इस लक्ष्य का केवल 10 प्रतिशत हासिल किया गया है. यह बाजार अर्थशास्त्र के बारे में सोचने का समय नहीं है. यह एक राष्ट्रीय आपातकाल है.
सरकार को घेरते हुए रमेश ने कहा कि हम सिर्फ कोविड वायरस की चपेट में नहीं हैं. हम विचारधारा के वायरस की चपेट में भी हैं, जो सार्वजनिक क्षेत्र को संदिग्ध रूप से देखता है. जो सोचता है कि यह बाजार और अर्थशास्त्र का समय है. कोरोना वायरस की घातक दूसरी लहर भारत में फैल रही है, जिससे सब तबाह हो गया है और देश के पहले से ही दबे हुए स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली पर अधिक दबाव डाल रहा है.
इस मामले पर ईटीवी भारत से बात करते हुए गौरव वल्लभ ने कहा कि विशेषज्ञों ने अक्टूबर 2020 में दूसरी लहर के बारे में चेतावनी दी थी. लेकिन हमने पिछले 7 महीनों में क्या किया है? हमने कितने ऑक्सीजन सांद्रता खरीदे हैं? हम कितने ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित किए हैं? हमारे टीका निर्माताओं की कितनी क्षमता बढ़ गई है? हमारे अपने लोग मर रहे हैं और हम टीकों के निर्यात में व्यस्त हैं? क्या यह राष्ट्रवाद है?
उन्होंने सरकार से सवाल किया कि सरकार ने टीकाकरण के लिए केंद्रीय बजट में 35,000 करोड़ रुपये आवंटित किए थे लेकिन अब यह कह रही है कि राज्यों को अलग-अलग कीमतों पर टीके खरीदने हैं. दो वैक्सीन के 6 अलग-अलग मूल्य हैं. यह आपदा में अवसर का एक सच्चा उदाहरण है. कहा कि मैं सभी नीति निर्धारकों से आग्रह करना चाहता हूं चाहे वह पीएम हों या केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री, कृपया ऐसे संकट में लोगों को अकेला न छोड़ें. यह मेरा विनम्र अनुरोध है.
गौरव बल्लभ ने कहा कि केंद्र सरकार इस संकट से लोगों को बचाने के लिए, टीकाकरण नीति तैयार करें. अगले 6 महीनों के लिए एक लक्ष्य निर्धारित करें कि टीका निर्माताओं की क्षमता में सुधार कैसे करें ताकि हमारी लगभग 80 प्रतिशत आबादी को दोनों टीकों की खुराक मिल जाए.