नई दिल्ली: जैसी उम्मीद थी कि संसद का मानसून सत्र हंगामेदार रहेगा, हुआ भी कुछ ऐसा ही. सोमवार को शुरू हुए मानसून सत्र में ऊपरी सदन में विपक्ष (Opposition In Parliament) के हंगामे के बीच नए मंत्रियों का सदन के सामने जैसे ही पेश करने के दौरान को रोक दिया गया था. बस फिर क्या था मानसून सत्र को दो बार स्थगित करना पड़ा. हालांकि, कांग्रेस ने यह दावा करके अपनी बात को सही ठहराने की कोशिश की कि भाजपा ने विपक्ष में रहते हुए भी ऐसा ही किया था.
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने भी ट्वीट किया, 'यह असत्य है. भाजपा ने डॉ मनमोहन सिंह को बार-बार अपने मंत्रियों का परिचय कराने की अनुमति नहीं दी.' कांग्रेस सांसद मनिकम टैगोर ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि कुछ दोस्त ऐसे हैं जो कह रहे हैं कि कांग्रेस सांसदों ने पीएम मोदी को उनके मंत्रिपरिषद का परिचय कराने के दौरान परेशान किया. मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि 2013 में जब 15वीं लोकसभा में डॉ मनमोहन सिंह थे, तो बीजेपी ने कभी भी पूर्व पीएम को अपनी मंत्रिपरिषद का परिचय नहीं कराने दिया.
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कांग्रेस के एक अन्य सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि यह किसकी संसद है? क्या यह पीएम मोदी और उनके मंत्रियों की हैं ? नहीं, यह संसद देश की है. इसी वजह से हम विभिन्न मुद्दों पर पीएम मोदी से जवाबदेही मांगते हैं. महंगाई की बात करते हुए कहा कि आज पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है. महीनों से धरने पर बैठे किसान पीएम मोदी से जवाब मांग रहे हैं. इसलिए, ये ऐसे मुद्दे हैं जिन पर प्रधानमंत्री को ध्यान देना चाहिए था, पर वो सिर्फ अपने बारे में सोचते हैं.
सभापति को चर्चा के लिए दिया था नोटिस
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि हमने सदन के सभापति को किसानों के विरोध पर चर्चा के लिए नोटिस दिया था, लेकिन हमें अनुमति नहीं मिली. हम सभी नवनियुक्त मंत्रियों को जानते हैं, लेकिन हमारे किसानों की समस्याओं को कौन उठाएगा ? कांग्रेस ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी और किसानों के विरोध-प्रदर्शन पर दोनों सदनों में चर्चा की मांग करती रही है. इसी हंगामे के चलते राज्यसभा को कल सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया है.
विपक्षी सांसदों का व्यवहार निंदनीय
घटना के बाद राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि हम आज सत्र के पहले दिन विपक्षी सांसदों के व्यवहार की निंदा करते हैं. हमने लोकसभा और राज्यसभा दोनों में एक बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति देखी. राज्यसभा में सभापति के अभिभाषण को भी बाधित किया गया.