शिमला: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को शिमला में ब्रिटिशकालीन हुकूमत के समय महत्वपूर्ण घटनाक्रमों की गवाह रही इमारत का दौरा किया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस दौरान अंग्रेजी दौर में वाइसरीगल लॉज के नाम से चर्चित इमारत में बिखरे इतिहास को नजदीक से देखा. आजादी के बाद ये इमारत राष्ट्रपति निवास के तौर पर जानी गई. अब ये बेशक उच्च अध्ययन का केंद्र है, लेकिन इस इमारत में देश की आजादी की एक-एक हलचल की गवाहियां हैं. इसी इमारत में पाकिस्तान के जनक मोहम्मद अली जिन्ना की भी दो फोटोज हैं.
एक फोटो में जिन्ना चक्रवर्ती राजगोपालाचारी से हाथ मिला रहे हैं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस फोटो को देखा और उनके चेहरे पर एक मुस्कुराहट आ गई. हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिवप्रताप शुक्ल भी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ थे. इसके अलावा राष्ट्रपति के दौरे में मिनिस्टर-इन-वेटिंग के रूप में तैनात कैबिनेट मंत्री रोहित ठाकुर भी मौजूद थे. बहुत कम लोगों को ये मालूम है कि शिमला में स्थित भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान में आजादी की तमाम हलचलों से संबंधित फोटोज मौजूद हैं.
दिलचस्प बात ये है कि इन फोटोज में दो चित्र पाकिस्तान के जनक मोहम्मद अली जिन्ना के हैं. कुछ समय पूर्व अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जिन्ना की फोटोग्राफ मौजूद होने पर भाजपा सांसद सतीश गौतम ने सवाल उठाए थे. तब खूब बवाल हुआ था. फिलहाल, जिन्ना के दो फोटोग्राफ्स भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान यानी आईआईएएस के म्यूजियम में अभी भी लगे हुए हैं. हालांकि संस्थान में जिन्ना की कोई एकल फोटो नहीं है, परंतु उनकी दो फोटोग्राफ्स ऐसी हैं, जिनमें से एक में वे चक्रवर्ती राजगोपालाचारी के साथ हैं. इसी फोटो को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बड़ी जिज्ञासा से निहारा.
एडवांस्ड स्टडी में मौजूद दूसरी फोटो में जिन्ना कैबिनेट मिशन के सदस्यों के साथ हैं. भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान में कई ऐतिहासिक तस्वीरें मौजूद हैं. इनमें महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, राजेंद्र प्रसाद व कांग्रेस की अन्य प्रभावशाली हस्तियों की तस्वीरें हैं. संस्थान में मौजूद सभी ऐतिहासिक तस्वीरों को कुछ साल पहले ही म्यूजियम में शिफ्ट किया गया था. अब सारी तस्वीरें एकसाथ म्यूजियम में मौजूद हैं.
मोहम्मद अली जिन्ना मुस्लिम लीग के बड़े नेता माने जाते था. देश विभाजन के बाद वे पाकिस्तान के मुखिया रहे. देश के विभाजन से पहले शिमला में ब्रिटिश हुकूमत के साथ कई तरह की वार्ताएं आयोजित होती थीं. जिन्ना सबसे पहले वर्ष 1945 में शिमला आए. शिमला सम्मेलन में शिरकत करने के दौरान जिन्ना की एक तस्वीर सी. राजगोपालाचारी के साथ है. राजगोपालाचारी तत्कालीन मद्रास प्रांत के मुख्यमंत्री थे और बाद में स्वतंत्र भारत के पहले गवर्नर जनरल थे. इस तस्वीर में जिन्ना राजगोपालाचारी से हाथ मिलाते दिखाई दे रहे हैं. जिन्ना भी पाकिस्तान के पहले गवर्नर जनरल बने थे. उसके बाद जिन्ना वर्ष 1946 में शिमला आए थे.
महत्वपूर्ण संवैधानिक मामलों को लेकर शिमला में त्रिपक्षीय वार्ता हुई थी. उसमें कैबिनेट मिशन के सदस्य भी शामिल हुए थे. जिन्ना अखिल भारतीय मुस्लिम लीग के अध्यक्ष के तौर पर बैठक में आए थे. मई 12 को ये बैठक बिना किसी परिणाम के खत्म हुई. बाद में कैबिनेट मिशन ने 16 मई 1946 को कैबिनेट मिशन योजना की घोषणा की. मुस्लिम लीग ने उसे खारिज कर दिया और इस तरह देश का बंटवारा होने की आशंका प्रबल हुई और बंटवारा हुआ भी. जिन्ना की दूसरी तस्वीर जो भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान में लगी है, उसमें वो हाथ में सिगार लिए हुए हैं. उनके साथ चित्र में कैबिनेट मिशन के सदस्य एवी एलेक्जेंडर, फ्रैडरिक लॉरेंस व स्टेफोर्ड क्रिप्स हैं.
गौरतलब है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शिमला के अपने चार दिवसीय प्रवास के दौरान आज भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान का दौरा किया. इस अवसर पर राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला भी उपस्थित रहे. राष्ट्रपति ने संस्थान में पिक्चर गैलरी, पुस्तकालय, तत्कालीन संरक्षित कार्यालयों और मुख्य भवन के प्रांगण का अवलोकन किया. इस अवसर पर संस्थान की अध्यक्ष प्रो. शशिप्रभा कुमार, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय नई दिल्ली के कुलपति एवं संस्थान के निदेशक प्रो. नागेश्वर राव, उपाध्यक्ष प्रो. शैलेंद्र राज मेहता और सचिव सुब्रत कुमार प्रधान ने राष्ट्रपति का स्वागत किया.