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उत्तराखंड: घड़ी मैकेनिक ने अपने शौक के लिए बना डाला संग्रहालय, 100 साल से अधिक पुराने एंटीक आइटम मौजूद - घड़ी मैकेनिक ने अपने शौक के लिए बना डाला संग्रहालय

आज हम आपको राजधानी देहरादून के विकासनगर के एक ऐसे संग्रहालय से रूबरू कराने जा रहे हैं, जो सहसपुर निवासी घड़ी मैकेनिक मोहम्मद अफजाल (watch mechanic mohd afzal) ने बनाया है. उन्होंने इसका नाम मिली संग्रहालय रखा है. उनके इस संग्रहालय में 100 साल से अधिक पुराना सामान है. उनके पास 150 से अधिक पुरानी घड़ियां, दर्जनों पेंटिंग, ग्रामोफोन, रेडियो, कांच के बर्तन, कैमरा, टेलीफोन, सजावटी सामान और फर्नीचर हैं.

Uttarakhand News
घड़ी मैकेनिक ने अपने शौक के लिए बना डाला संग्रहालय
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Published : Sep 6, 2022, 7:33 PM IST

विकासनगर: अभी तक आपने बड़े और ऐतिहासिक संग्रहालयों के बारे में देखा और सुना होगा. लेकिन आज हम आपको राजधानी देहरादून के विकासनगर के जिस संग्रहालय से रूबरू कराने जा रहे हैं, वह कोई सरकारी संग्रहालय नहीं है. इस संग्रहालय को सहसपुर निवासी घड़ी मैकेनिक मोहम्मद अफजाल ने बनाया है. मोहम्मद अफजाल ने अपने इस मिनी संग्रहालय (mini museum) में करीब 100 साल पुरानी (अंग्रेजी हुकूमत) वस्तुएं एकत्रित की हैं.

मोहम्मद अफजल ने अपने शौक और निजी संसाधनों से पुरानी और दुर्लभ हो चली चीजों को संजो रखा है. पेशे से घड़ी मैकेनिक मोहम्मद अफजाल ने अपना यह सफर 30 से 35 पैंतीस साल पहले शुरू किया था. अफजाल ने पहले पुरानी गाड़ियां को इकट्ठा करने से ये शौक शुरू किया था. मोहम्मद अफजाल बताते हैं कि शुरुआती दौर में पुरानी गाड़ियां ठीक करने के लिए उन्हें देहरादून ही नहीं दूरदराज भी जाना पड़ता था. तभी से उन्होंने 50 साल से अधिक पुरानी गाड़ियों को एकत्र करना शुरू किया.

100 साल से अधिक पुराने एंटीक आइटम मौजूद.

अफजाल के मुताबिक, उनका यह संग्रह जब बढ़ने लगा तो उन्होंने पुराने अन्य सामानों को भी इकट्ठा करना शुरू किया, जिसके चलते आज उनके संग्रह में 100 साल से अधिक पुराने सामान में 150 से अधिक पुरानी घड़िया, दर्जनों पेंटिंग, ग्रामोफोन, रेडियो, कांच के बर्तन, कैमरा, टेलीफोन सजावटी सामान और फर्नीचर का अच्छा कलेक्शन है. खास बात यह है कि मोहम्मद अफजाल के संग्रह में सभी सामान पुरानी रंगत में मौजूद है, जैसे वो सालों पहले हुआ करते थे.

मोहम्मद अफजाल के संग्रह में घड़ियों का जो सग्रह मौजूद है, उसमें सभी घड़ियां सही समय बताती हैं. किसी घड़ी में कोई कमी आ जाती है, तो अफजाल उसे खुद ही ठीक कर लेते हैं. पुराने फर्नीचर भी अगर कहीं उन्हें टूटी फूटी हालत में मिलते हैं, तो उसे भी वह अपने खास कारीगरों की मदद से ठीक करके अपने संग्रहालय में सजा लेते हैं.

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घड़ी मैकेनिक ने अपने शौक के लिए बना डाला संग्रहाल.
पढ़ें- विकासनगर के अदरक पर पड़ी मौसम की मार, किसानों को नहीं मिल रहे सही दाम

मोहम्मद अफजाल बताते हैं कि उन्होंने अपने ही खर्च से पैसा निकाल कर इस संग्रहालय को तैयार किया है. मोहम्मद अफजाल कहते हैं कि हमारे इतिहास को समेटे पुरानी हो चुकी चीजों को कबाड़ समझ कर नष्ट नहीं करना चाहिए, बल्कि संजो कर रखना चाहिए. ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी अपने इतिहास से रूबरू हो सके और उस दौर और उस समय के रहन सहन को याद रख सके.

विकासनगर: अभी तक आपने बड़े और ऐतिहासिक संग्रहालयों के बारे में देखा और सुना होगा. लेकिन आज हम आपको राजधानी देहरादून के विकासनगर के जिस संग्रहालय से रूबरू कराने जा रहे हैं, वह कोई सरकारी संग्रहालय नहीं है. इस संग्रहालय को सहसपुर निवासी घड़ी मैकेनिक मोहम्मद अफजाल ने बनाया है. मोहम्मद अफजाल ने अपने इस मिनी संग्रहालय (mini museum) में करीब 100 साल पुरानी (अंग्रेजी हुकूमत) वस्तुएं एकत्रित की हैं.

मोहम्मद अफजल ने अपने शौक और निजी संसाधनों से पुरानी और दुर्लभ हो चली चीजों को संजो रखा है. पेशे से घड़ी मैकेनिक मोहम्मद अफजाल ने अपना यह सफर 30 से 35 पैंतीस साल पहले शुरू किया था. अफजाल ने पहले पुरानी गाड़ियां को इकट्ठा करने से ये शौक शुरू किया था. मोहम्मद अफजाल बताते हैं कि शुरुआती दौर में पुरानी गाड़ियां ठीक करने के लिए उन्हें देहरादून ही नहीं दूरदराज भी जाना पड़ता था. तभी से उन्होंने 50 साल से अधिक पुरानी गाड़ियों को एकत्र करना शुरू किया.

100 साल से अधिक पुराने एंटीक आइटम मौजूद.

अफजाल के मुताबिक, उनका यह संग्रह जब बढ़ने लगा तो उन्होंने पुराने अन्य सामानों को भी इकट्ठा करना शुरू किया, जिसके चलते आज उनके संग्रह में 100 साल से अधिक पुराने सामान में 150 से अधिक पुरानी घड़िया, दर्जनों पेंटिंग, ग्रामोफोन, रेडियो, कांच के बर्तन, कैमरा, टेलीफोन सजावटी सामान और फर्नीचर का अच्छा कलेक्शन है. खास बात यह है कि मोहम्मद अफजाल के संग्रह में सभी सामान पुरानी रंगत में मौजूद है, जैसे वो सालों पहले हुआ करते थे.

मोहम्मद अफजाल के संग्रह में घड़ियों का जो सग्रह मौजूद है, उसमें सभी घड़ियां सही समय बताती हैं. किसी घड़ी में कोई कमी आ जाती है, तो अफजाल उसे खुद ही ठीक कर लेते हैं. पुराने फर्नीचर भी अगर कहीं उन्हें टूटी फूटी हालत में मिलते हैं, तो उसे भी वह अपने खास कारीगरों की मदद से ठीक करके अपने संग्रहालय में सजा लेते हैं.

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मोहम्मद अफजाल बताते हैं कि उन्होंने अपने ही खर्च से पैसा निकाल कर इस संग्रहालय को तैयार किया है. मोहम्मद अफजाल कहते हैं कि हमारे इतिहास को समेटे पुरानी हो चुकी चीजों को कबाड़ समझ कर नष्ट नहीं करना चाहिए, बल्कि संजो कर रखना चाहिए. ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी अपने इतिहास से रूबरू हो सके और उस दौर और उस समय के रहन सहन को याद रख सके.

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