हैदराबाद : कोरोना के मिश्रित टीके लेना न केवल सुरक्षित है बल्कि उच्च रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है. यह बात एक अध्ययन में सामने आई है. इस बारे में एआईजी अस्पताल के अध्यक्ष डॉ. नागेश्वर रेड्डी (AIG hospital chairman Dr Nageshwar Reddy) ने कहा कि कोविड टीके कोवैक्सीन और कोविशील्ड जो हमारे देश में उपलब्ध हैं, इनकी पहली और दूसरी खुराक के मिश्रित टीके लेने के अध्ययन में पता चला कि लोगों में एंटीबॉडी बढ़ती है. उन्होंने कहा कि एंटीबॉडी की वजह से यह काफी सुरक्षित है.
उन्होंने कहा कि इस बारे में 330 वॉलंटियर्स पर अध्ययन किया गया था जिन्होंने अभी तक वैक्सीन नहीं ली थी. इन पर अबतक कोविड का प्रभाव नहीं पड़ा है. उन्होंने बताया कि हमने इनमें प्रतिकूल प्रभाव जानने के लिए इन लोगों पर 60 दिनों तक नजर रखी गई. डॉ. रेड्डी ने कहा कि इन वालंटियर्स पर एक ही प्रकार के टीके लेने की तुलना में दोनों वैक्सीन के टीके लेने से एंटीबॉडी में चार गुना की वृद्धि हो गई.
उन्होंने कहा कि आईसीएमआर (ICMR) सुझाव के तौर पर टीकों का कॉम्बिनेशन ले सकते हैं. क्योंकि बूस्टर डोज में जो 10 जनवरी से शुरू होगी. उन्होंने यह भी कहा कि इसके अलावा एक ही वैक्सीन के बाद एक ही वैक्सीन को दो डोज में दिया जाता है. कई बार कुछ हफ्ते के बाद बूस्टर खुराक दी जाती है. इसमें बहुत से लोग एक कंपनी की पहली खुराक का टीका लगाते हैं और दूसरी कंपनी का टीका दूसरी खुराक के लिए लगवाते हैं.
डॉ.रेड्डी ने कहा कि यूरोप में जो mRNA प्लेटफॉर्म में मिला हुआ है. जो हमारे देश में भी उपलब्ध है. उन्होंने कहा कि कोविशील्ड (covishield) और कोवैक्सीन (covaxin) का उपयोग किया जाता है. इन टीकों का वालंटियर्स को चार समूहों में विभाजित करने के बाद अध्ययन से पता चला कि इनमें एंटीबॉडी निगेटिव थी. इनमें कुछ को कोविशील्ड तो कुछ को कोवैक्सीन की डोज दी गई थी.
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उन्होंने कहा कि हम देखते हैं कि परिणाम में मुख्य रूप से दो चीजें हैं. एक टीके की सुरक्षा थी और दूसरी टीकों की इम्यूनो जेनेसिटी. लेकिन मिश्रित टीकों को लेने के बाद कोई दुष्प्रभाव नहीं मिला. डॉ. रेड्डी ने कहा कि मिश्रित टीके लेने के बाद एंटीबॉडी एक ही टीके की तुलना में बहुत अधिक बढ़ जाती है. हम लंबे समय से प्रतिरक्षा उपायों को भी देख रहे हैं. हम पाते हैं कि टीकों को मिलाने से न केवल सुरक्षित बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अधिक होती है.
उन्होंने कहा कि यह पायलट अध्ययन था. इसके लिए बड़ी संख्या में केंद्रों और स्वयंसेवकों की आवश्यकता होती है, यह मिश्रित टीकों का टीकाकरण करने का तरीका बन सकता है. हम यह भी परीक्षण कर रहे हैं कि ये सभी प्रकार के स्वयंसेवक हैं जैसे मधुमेह और गर्भवती महिलाएं भी.