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आरटीआई के जरिये अधिकारियों का 'उत्पीड़न' करने के मामले में नौ लोग प्रतिबंधित

बार-बार आरटीआई लगाकर उससे मिली जानकारी के आधार पर अधिकारियों का कथित तौर पर उत्पीड़न करने के आरोप में गुजरात सूचना आयोग ने नौ लोगों पर पाबंदी लगा दी है. वह अब आरटीआई दाखिल करके कोई भी सूचना नहीं मांग सकते हैं. हालांकि, जिन पर प्रतिबंध लगाया गया है, उन्होंने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देने की बात कही है. (misuse of rti in Gujarat).

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Published : Aug 9, 2022, 6:05 PM IST

अहमदाबाद : गुजरात सूचना आयोग ने एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए नौ लोगों के आरटीआई से सूचना मांगने पर पाबंदी लगा दी है जो बार-बार सूचना के अधिकार के तहत अर्जी दाखिल करके अधिकारियों का कथित उत्पीड़न कर रहे थे. आयोग ने आदेश दिया है कि इन लोगों के आवेदनों पर आगे से उत्तर नहीं दिया जाए. पिछले दो साल में सूचना आयोगों के आदेशों का विश्लेषण करने वाले एक गैर-सरकारी संगठन ने दावा किया कि पहली बार गुजरात में कुछ लोगों के सूचना मांगने पर हमेशा के लिए रोक लगा दी गयी है. (misuse of rti in Gujarat).

आयोग ने कहा कि ये नौ लोग सूचना के अधिकार के तहत (आरटीआई) आवेदन दाखिल करके अधिकारियों को परेशान कर रहे थे, बार-बार आरटीआई कानून का इस्तेमाल कर रहे थे और दुर्भावनापूर्ण मंशा से सवाल पूछ रहे थे. महिती अधिकार गुजरात पहल नामक संगठन ने इन लोगों से संबंधित आदेशों का विश्लेषण किया था और उनका संकलन किया था. गुजरात सूचना आयोग ने इन नौ लोगों के अलावा आणंद जिले के पेटलाद कस्बे के रहने वाले हितेश पटेल पर पांच साल तक आरटीआई अर्जी दाखिल करने पर रोक लगा दी है और आरटीआई कानून का दुरुपयोग करने के मामले में उन पर 5,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

एनजीओ से जुड़ी पंक्ति जोग ने कहा कि ये सभी 10 लोग सूचना आयोग के आदेश को गुजरात उच्च न्यायालय में चुनौती दे सकते हैं. सूचना आयुक्त के एम अध्वार्यू ने गांधीनगर के एक स्कूल में शिक्षिका अमित मिश्रा के आरटीआई आवेदनों पर सुनवाई करते हुए कहा कि वह बार-बार एक ही जानकारी मांग रही थीं और उनकी झूठे आरोप लगाने की आदत है. एनजीओ के अनुसार सूरत के अर्जुनसिंह सोलंकी दक्षिण गुजरात विज कंपनी लिमिटेड से वह जानकारी मांग रहे थे जिसका जनहित से कोई लेनादेना नहीं है और यह आरटीआई कानून का दुरुपयोग है.

आयोग ने कहा कि सोलंकी पर पहले ही बिजली चोरी के अनेक मामले दर्ज हैं और वह अधिकारियों को परेशान करने के लिए आरटीआई दाखिल कर रहे थे.

ये भी पढ़ें : आरटीआई से खुलासा : 19 साल में देश में ₹1347.83 करोड़ की बैंक धोखाधड़ी हुई

अहमदाबाद : गुजरात सूचना आयोग ने एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए नौ लोगों के आरटीआई से सूचना मांगने पर पाबंदी लगा दी है जो बार-बार सूचना के अधिकार के तहत अर्जी दाखिल करके अधिकारियों का कथित उत्पीड़न कर रहे थे. आयोग ने आदेश दिया है कि इन लोगों के आवेदनों पर आगे से उत्तर नहीं दिया जाए. पिछले दो साल में सूचना आयोगों के आदेशों का विश्लेषण करने वाले एक गैर-सरकारी संगठन ने दावा किया कि पहली बार गुजरात में कुछ लोगों के सूचना मांगने पर हमेशा के लिए रोक लगा दी गयी है. (misuse of rti in Gujarat).

आयोग ने कहा कि ये नौ लोग सूचना के अधिकार के तहत (आरटीआई) आवेदन दाखिल करके अधिकारियों को परेशान कर रहे थे, बार-बार आरटीआई कानून का इस्तेमाल कर रहे थे और दुर्भावनापूर्ण मंशा से सवाल पूछ रहे थे. महिती अधिकार गुजरात पहल नामक संगठन ने इन लोगों से संबंधित आदेशों का विश्लेषण किया था और उनका संकलन किया था. गुजरात सूचना आयोग ने इन नौ लोगों के अलावा आणंद जिले के पेटलाद कस्बे के रहने वाले हितेश पटेल पर पांच साल तक आरटीआई अर्जी दाखिल करने पर रोक लगा दी है और आरटीआई कानून का दुरुपयोग करने के मामले में उन पर 5,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

एनजीओ से जुड़ी पंक्ति जोग ने कहा कि ये सभी 10 लोग सूचना आयोग के आदेश को गुजरात उच्च न्यायालय में चुनौती दे सकते हैं. सूचना आयुक्त के एम अध्वार्यू ने गांधीनगर के एक स्कूल में शिक्षिका अमित मिश्रा के आरटीआई आवेदनों पर सुनवाई करते हुए कहा कि वह बार-बार एक ही जानकारी मांग रही थीं और उनकी झूठे आरोप लगाने की आदत है. एनजीओ के अनुसार सूरत के अर्जुनसिंह सोलंकी दक्षिण गुजरात विज कंपनी लिमिटेड से वह जानकारी मांग रहे थे जिसका जनहित से कोई लेनादेना नहीं है और यह आरटीआई कानून का दुरुपयोग है.

आयोग ने कहा कि सोलंकी पर पहले ही बिजली चोरी के अनेक मामले दर्ज हैं और वह अधिकारियों को परेशान करने के लिए आरटीआई दाखिल कर रहे थे.

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