ब्रह्मपुर(ओडिशा): गुजरात के अहमदाबाद की रहने वाली मानसिक रूप से दिव्यांग महिला चार साल पहले गायब हो गई थी. महिला का नाम मनीषा भाउसार है. महिला का पति देवीदास ऑटोरिक्शा चालक है, उनके दो बेटे हैं. एक दिन मनीषा घर से लापता हो गई. घर वालों ने पूरे शहर में उसकी तलाश की, लेकिन उनका कोई पता नहीं चला.
हालांकि, मानसिक रूप से दिव्यांग मनीषा को कुछ न सूझा और वह ट्रेन पर बैठकर ब्रह्मपुर पहुंच गई. ब्रह्मपुर में एक अस्पताल के कुछ कर्मचारियों ने उसे बेसहारा पाकर नर्मदा शिशु भवन में सौंप दिया. इसके बाद से वह वहीं रहने लगी.
'परिचय' ने परिवार से मिलाया
कोविड-19 के दौरान शिशु भवन में मनीषा की मुलाकात 'परिचय' नामक एनजीओ के एक सामाजिक कार्यकर्ता देबाशीष मोहंती से हुई. उनके बारे में पूरी जानकारी लेने के बाद देबाशीष ने उसके परिवार का पता लगाया. परिजनों को भी जैसे ही मनीषा के बारे में पता चला, तो वे उन्हें लेने ब्रह्मपुर आ गए.
मनीषा को देख भावुक हो गया परिवार
कई सालों के बाद खोई मां को पाकर दोनों बेट भावुक हो उठे और गले लगाकर फूट-फूटकर रोने लगे. इस दौरान मनीषा के पति देवीदास की आंखों से खुशी के आंसू नहीं थम रहे थे. मनीषा का ख्याल रखने और उसे परिवार से मिलाने के लिए परिजनों ने शिशु भवन और एनजीओ का धन्यवाद किया.
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दूसरी तरफ, देबाशीष ने भी एक मां को उसके परिवार से मिलाने की खुशी जाहिर की. इसके बाद मनीषा को लेकर पूरा परिवार पुरी श्रीजगन्नाथ धाम की ओर निकल गया और फिर वहां से अहमदाबाद लौट गये.