बेतिया: बिहार के बेतिया के नरकटियागंज प्रकाशनगर से 2016 में दो नाबालिग बच्चे घर के बाहर से गायब हुए थे. पिछले सात साल से पूरा परिवार दोनों बच्चों को ढूंढने में लगा था लेकिन उनका कोई सुराग नहीं मिला. दोनों बच्चे पिछले साल साल से लखनऊ बाल सुधार गृह में रह रहे थे. इस बात का पता तब चला जब 2023 में 19 साल की कौशिकी कुमारी को 9वीं का एग्जाम देना था. पढ़ाई के लिए बाल गृह में फॉर्म भरने के लिए आधार कार्ड की जरूरत पड़ी.
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बेतिया में 7 साल बाद घर लौटे बच्चे: ऐसे में दोनों बच्चों का जब आधार कार्ड बनवाने गए तो पता चला कि उनका पहले से ही आधार कार्ड बना हुआ है. दोनों बच्चों की पहचान कर ली गई और अब दोनों बच्चों को उनके माता-पिता मिल गए हैं. फिलहाल कौशिकी कुमारी (19) शिकारपुर पुलिस की मदद से अपने माता-पिता के पास चली आई है. वहीं उसका छोटा भाई राजीव (14) अभी भी बाल सुधार गृह में है. उसकी परीक्षा चल रही है और परीक्षा समाप्त होते ही वह भी अपने घर लौट आएगा.
आधार कार्ड ने बच्चों को मां से मिलाया: कौशिकी ने बताया कि उसे बचपन की बातें याद नहीं है. उसे नहीं पता कि वह कैसे लापता हुई और कैसे लखनऊ पहुंच गई, उसे कुछ भी याद नहीं हैं. कौशिकी ने कहा कि मैं बाल गृह में पिछले सात साल से रह रही थी. 9वीं कक्षा में रजिस्ट्रेशन के लिए आधार कार्ड की जरूरत थी. टीचर के साथ बनवाने गई तो मेरे माता-पिता का पता चला.
"9वीं कक्षा में जब रजिस्ट्रेशन के लिए आधार कार्ड की जरूरत पड़ी तो बनवाने ले जाया गया. वहां पहले से ही मेरा आधार कार्ड बनने का प्रमाण था. पहले के आधार कार्ड के माध्यम से मेरे घर और माता-पिता का पता लगाया गया."- कौशिकी कुमारी, छात्रा
2016 में खेलने के दौरान हुए थे लापता: बताया जाता है कि शिकारपुर पुलिस ने समाजसेवियों के जरिए बच्ची के घर का पता लगा लिया. वहीं कौशिकी का भाई राजीव उर्फ इंद्रसेन अभी भी लखनऊ के बाल सुधार गृह में है. उसकी परीक्षा चल रही है जिस कारण वह घर वापस नहीं आ सका. बच्चों की मां प्रकाशनगर निवासी सुनीता देवी ने बताया कि 21 जून 2016 को 12 साल की बेटी कौशिकी और साल साल का राजीव पड़ोस में खेल रहे थे. उसी दौरान दोनों लापता हो गए थे.
जब काफी खोजबीन के बाद दोनों बच्चों का पता नहीं चला तो परिजनों ने शिकारपुर थाने में आवेदन दिया था. इसमें सुनीता ने अपनी देवरानी मुन्नी देवी पर बच्चों के गायब होने का शक जताया था. इस मामले में मुन्नी देवी की गिरफ्तारी हुई और वह लगभग 6 महीने तक जेल रही. फिर बेल पर वह जेल से बाहर आई. इस केस के आइओ वीरेंद्र सिंह को भी लाइन हाजिर होना पड़ा था.
"2016 में मेरे दोनों बच्चे घर के बाहर से खेलने के दौरान लापता हो गए थे. मैंने केस भी किया था. सात साल तक कुछ पता नहीं चला. लखनऊ बाल गृह की मैडम से बच्चों का पता चला. फिर मैं लखनऊ गई और लड़की को लेकर आई. लड़के का परीक्षा चल रहा है. उसको नहीं लेकर आए. वर्मा भइया फोटो दिखाए फिर बाल गृह की मैडम से जानकारी मिली. आधार कार्ड बनवाने के दौरान पता चला. मैंने पहले ही बच्चों का आधार कार्ड बनवाया था."- सुनीता देवी, लापता बच्चों की मां
"लापता कौशिकी को बाल सुधार गृह से लाया गया है. उसका भाई परीक्षा होने के कारण नहीं आ सका है. कौशिकी को न्यायालय में बयान के लिए भेजा गया है."- रामाश्रय यादव, शिकारपुर थानाध्यक्ष
बच्चों के घर का ऐसे लगाया गया पता: बाल सुधार गृह के अधिकारी नरकटियागंज के समाजसेवी वर्मा प्रसाद से सम्पर्क किये और बच्चों का फोटो भेजा. वर्मा प्रसाद ने दोनों बच्चों का फोटो उसकी मां सुनीता देवी के पास भेजा. मां फोटो ले लखनऊ अपने बच्चों के पास पहुंची. बच्चों की शिनाख्त की फिर वहां से नरकटियागंज वापस आई. शिकारपुर थाना में दोनों बच्चों को घर वापसी के लिए आवेदन दिया. वहीं शिकारपुर थानाध्यक्ष रामाश्रय यादव ने केस के आइओ सुजीत दास के नेतृत्व में एक टीम का गठन कर लखनऊ भेजा. जहां से आज पुलिस टीम बच्ची कौशिकी कुमारी को ले शिकारपुर आई है. बच्ची को उसकी मां को पुलिस ने सुपुर्द कर दिया है. हालांकि अभी बच्चा राजीव घर नहीं आ सका है.