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Doctor Made Environment like mother's Womb For Premature Baby : 'मिरेकल बेबी': समय से पहले बच्चे के विकास के लिए डॉक्टरों ने बनाया गर्भ जैसा माहौल

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Published : Mar 7, 2023, 6:52 AM IST

गडग तालुक के दुंदूर गांव की राजेश्वरी चिक्काना ने तय तारीख से तीन महीने पहले गडग के एक निजी अस्पताल में जुड़वा बच्चों को जन्म दिया. वह केवल 24 सप्ताह की गर्भवती थी और उसने एक लड़के और एक लड़की को जन्म दिया. हालांकि, जन्म के दूसरे दिन ही नवजात बच्ची की मृत्यु हो गई.

Doctor Made Environment like mother's Womb For Premature Baby
अपने बच्चे के साथ राजेश्वरी चिक्काना.

गडग (कर्नाटक) : गडग के जीआईएमएस अस्पताल के डॉक्टरों ने एक चमत्कारी प्रयास करते हुए समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चे के लिए तीन महीने तक गर्भ जैसा माहौल तैयार किया. बच्चे को तबतक उस महौल में रखा गया जब तक उसका विकास ठीक से नहीं हो गया. गडग तालुक के दुंदूर गांव की राजेश्वरी चिक्काना ने तय तारीख से तीन महीने पहले गडग के एक निजी अस्पताल में जुड़वा बच्चों को जन्म दिया. वह केवल 24 सप्ताह की गर्भवती थी. राजेश्वरी चिक्काना ने एक नवजात बच्चे और बच्ची को जन्म दिया. हालांकि जन्म के दूसरे ही दिन नवजात बच्ची की मृत्यु हो गई.

पढ़ें : SC Refuses Plea : एनडीए में महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षण की मांग वाली याचिका खारिज

जबकि जबकि नवजात बच्चा जिसकी आंख और कान का विकास ठीक से नहीं हुआ था जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा था. नवजात का वजन केवल 700 ग्राम था. उसके फेफड़े विकसित नहीं हुये थे. नवजात बच्चे को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. महंगे इलाज की वजह से उम्मीद खो चुके माता-पिता को गडग जीआईएमएस कंगारू मदर केयर यूनिट में शिफ्ट कर दिया गया, जहां डॉक्टरों ने नवजात के लिए गर्भ जैसा माहौल बना दिया. प्रारंभ में, जब तक फेफड़े विकसित नहीं हुए, तब तक वेंटिलेटर के माध्यम से फेफड़ों की जगह में पाइप द्वारा ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाती थी.

पढ़ें: Women Day Special 2023: अपनी लगन से पहाड़ से पानी उतार लाईं बबीता, अब पढ़ा रहीं जल के राशन का पाठ

डॉक्टरों की एक टीम ने वेंटिलेटर, कंटीन्यूअस पॉजिटिव एयरवे प्रेशर (सीपीएपी), हाई फ्लो नेजल कैन्युला (एचएफएनसी) और ऑक्सीजन की आपूर्ति जैसे विभिन्न आयामों में लगातार नवजात का दिन-रात इलाज किया. नवजात को स्वस्थ हालत में अस्पताल से छुट्टी दे दी गई. घटना के बारे में जानने वालों ने कहा कि बच्चे का पुनर्जन्म हुआ है और यह चिकत्सकिय चमत्कार का एक आदर्श उदाहरण है.

राजेश्वरी ने कहा कि उसके बच्चे की स्थिति में सुधार हुआ है और वह डॉक्टरों की आभारी है, जिन्होंने उसके नवजात शिशु का गहन देखभाल के साथ इलाज किया और वे अपने परिवार के लिए भगवान की तरह हैं. उसने यह भी कहा कि उसके परिवार को मुश्किलों का सामना करना पड़ा क्योंकि उन्होंने इलाज पर लाखों रुपये खर्च किए थे.

पढ़ें: हिमाचल में हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स पर लगेगा वाटर सेस, नई एक्साइज पॉलिसी को भी कैबिनेट की मंजूरी

गडग (कर्नाटक) : गडग के जीआईएमएस अस्पताल के डॉक्टरों ने एक चमत्कारी प्रयास करते हुए समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चे के लिए तीन महीने तक गर्भ जैसा माहौल तैयार किया. बच्चे को तबतक उस महौल में रखा गया जब तक उसका विकास ठीक से नहीं हो गया. गडग तालुक के दुंदूर गांव की राजेश्वरी चिक्काना ने तय तारीख से तीन महीने पहले गडग के एक निजी अस्पताल में जुड़वा बच्चों को जन्म दिया. वह केवल 24 सप्ताह की गर्भवती थी. राजेश्वरी चिक्काना ने एक नवजात बच्चे और बच्ची को जन्म दिया. हालांकि जन्म के दूसरे ही दिन नवजात बच्ची की मृत्यु हो गई.

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जबकि जबकि नवजात बच्चा जिसकी आंख और कान का विकास ठीक से नहीं हुआ था जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा था. नवजात का वजन केवल 700 ग्राम था. उसके फेफड़े विकसित नहीं हुये थे. नवजात बच्चे को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. महंगे इलाज की वजह से उम्मीद खो चुके माता-पिता को गडग जीआईएमएस कंगारू मदर केयर यूनिट में शिफ्ट कर दिया गया, जहां डॉक्टरों ने नवजात के लिए गर्भ जैसा माहौल बना दिया. प्रारंभ में, जब तक फेफड़े विकसित नहीं हुए, तब तक वेंटिलेटर के माध्यम से फेफड़ों की जगह में पाइप द्वारा ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाती थी.

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डॉक्टरों की एक टीम ने वेंटिलेटर, कंटीन्यूअस पॉजिटिव एयरवे प्रेशर (सीपीएपी), हाई फ्लो नेजल कैन्युला (एचएफएनसी) और ऑक्सीजन की आपूर्ति जैसे विभिन्न आयामों में लगातार नवजात का दिन-रात इलाज किया. नवजात को स्वस्थ हालत में अस्पताल से छुट्टी दे दी गई. घटना के बारे में जानने वालों ने कहा कि बच्चे का पुनर्जन्म हुआ है और यह चिकत्सकिय चमत्कार का एक आदर्श उदाहरण है.

राजेश्वरी ने कहा कि उसके बच्चे की स्थिति में सुधार हुआ है और वह डॉक्टरों की आभारी है, जिन्होंने उसके नवजात शिशु का गहन देखभाल के साथ इलाज किया और वे अपने परिवार के लिए भगवान की तरह हैं. उसने यह भी कहा कि उसके परिवार को मुश्किलों का सामना करना पड़ा क्योंकि उन्होंने इलाज पर लाखों रुपये खर्च किए थे.

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