नई दिल्लीः वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) ने बुधवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम (P Chidambaram) पर अर्थव्यवस्था को लेकर की गई टिप्पणी पर पलटवार किया. उन्होंने कहा कि लगातार किये गये सुधारों और मजबूत बुनियाद के दम पर भारत की वृद्धि दर फिर उच्च स्तर पर लौटेगी. ठाकुर ने अफसोस जताया कि नेतृत्व विहीन कांग्रेस आर्थिक आंकड़ों को लेकर शुतुरमुर्गी रवैया अपना रही है.
वित्त राज्यमंत्री ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत है और निरंतर किये गये सुधारों से आने वाले समय में पटरी पर लौटेगी. सुधारों के जरिये सुनिश्चित किया गया कि कठिन समय में देश की बुनियाद मजबूत बनी रहे.
ठोस आंकड़ों को नजरअंदाज करता आया है कांग्रेस नेतृत्व- ठाकुर
केंद्रीय मंत्री ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि मुझे इस बात का आश्चर्य नहीं है कि पूर्व वित्त मंत्री (Ex-Finance Minister) ने ठोस आंकड़ों को नजरअंदाज करना चुना और इसके बजाय इधर-उधर की बेकार की बातों को उठाया. कांग्रेस नेतृत्व का वर्षों से इसी तरह का रुख रहा है.
उन्होंने कहा कि निरंतर सुधारों और मजबूत बुनियाद से यह सुनिश्चित हुआ है कि भारत 2020-21 की पहली तिमाही में 24.4 प्रतिशत की गिरावट से उबरते हुए चौथी तिमाही में 1.6 प्रतिशत की वृद्धि दर के रास्ते पर लौटा.
चिदंबरम ने कहा- सबसे बदतर साल 2020-21
उल्लेखनीय है कि चिदंबरम ने मंगलवार को वित्त वर्ष 2020-21 को चार दशकों में अर्थव्यवस्था का सबसे बदतर साल करार दिया और कहा कि वृद्धि में आई रिकार्ड गिरावट से ज्यादातर भारतीय दो साल पहले के मुकाबले अधिक गरीब हुए हैं.
उन्होंने सरकार की आलोचना करते हुए लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा कि पिछले साल जब कोरोना महामारी की पहली लहर धीमी पड़ती नजर आई तो वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) ने अर्थव्यवस्था के पटरी पर आने की बात कही.
'लॉकडाउन का असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ा'
चिदंबरम ने आरोप लगाया कि निश्चित तौर पर कोरोना महामारी (Corona Pandemic) का अर्थव्यवस्था पर व्यापक रूप से असर पड़ा है, लेकिन अकुशल और अक्षम आर्थिक प्रबंधन ने अर्थव्यवस्था की स्थिति को और बिगाड़ दिया.
पिछले साल की महामारी (Pandemic) से पहले नरमी की चपेट में आई भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) में पिछले वित्त वर्ष में 7.3 प्रतिशत की गिरावट आई. कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी की रोकथाम के लिये लगाये गये देशव्यापी लॉकडाउन (Lockdown) का असर अर्थव्यवस्था पर पड़ा.
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पिछले चार दशक में यह पहली बार है जब अर्थव्यवस्था में किसी वित्त वर्ष में गिरावट आई है. इससे पहले 1978-79 में अर्थव्यवस्था में 5.2 प्रतिशत की गिरावट आई थी.
हालांकि, अर्थव्यवस्था में आयी गिरावट 2020-21 के आर्थिक समीक्षा में 8 प्रतिशत की गिरावट के अनुमान से कम रही है.
ठाकुर का चिदंबरम पर पलटवार
पूर्व वित्त मंत्री के अर्थव्यवस्था को लेकर निराशाजनक अनुमान के बारे में ठाकुर ने कहा कि आप जबकि भारतीय उद्यमियों, छोटे कारोबारियों, व्यापारियों और सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (MSME) की मजबूती पर संदेह करते हैं, वहीं विभिन्न अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने भारत की वृद्धि दर 2021-22 में 12.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है. इन एजेंसियों के अनुमान के अनुसार भारत एक मात्र बड़ी अर्थव्यवस्था है जिसकी वृद्धि दर दहाई अंक में होगी.
वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि क्या भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया से अलग है? क्या अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में जीडीपी में गिरावट नहीं आयी है? क्या आपको पता है कि फ्रांस, जर्मनी, इटली, ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था क्रमश: 8.2 प्रतिशत, 4.9 प्रतिशत, 8.9 प्रतिशत और 9.9 प्रतिशत घटी है.
उन्होंने यह भी कहा कि पिछले साल कनाडा, रूस, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका की जीडीपी में भी गिरावट आई है. वैश्वीकरण के इस युग में विभिन्न बाधाओं के बावजूद भारत मजबूत बना हुआ है.
मंत्री ने चिदंबरम से निराशाजनक अनुमान और सोच से बाहर निकलने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन से लागों की जान बची जबकि धीरे-धीरे आर्थिक गतिविधियों शुरू होने से सुधार के संकेत दिखे.
गरीब और किसानों को नकदी अंतरित किये जाने के मुद्दे पर ठाकुर ने कहा कि राजग शासन (2014-19) के दौरान सरकार ने 8 लाख करोड़ रुपये गेहूं और चावल की खरीद पर वितरित किये हैं जो संप्रग शासन (2009-14) के दौरान 3.74 लाख करोड़ रुपये था.
मोदी के शासन की उपलब्धियां गिनाई
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में सरकार ने संप्रग शासन 2009-14 की तुलना में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 74 प्रतिशत अधिक दलहन की खरीद की.
मंत्री ने कहा कि राजग सरकार ने पिछले पांच साल में 30.69 करोड़ टन धान और 16.27 करोड़ टन गेहूं की खरीद की जबकि संप्रग शासन में 2009-13 के दौरान केवल 17.68 करोड़ टन धान और 13.95 करोड़ टन गेहूं की खरीद की गयी थी.
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने 42 करोड़ जनधन खाता खोलकर कालाबजारी पर अंकुश लगाया है. इसके जरिये सुनिश्चित किया गया कि लाभार्थियों तक पूरा पैसा आसानी से पहुंचे. महामारी के दौरान प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के जरिये करोड़ों लोगों को वित्तीय मदद पहुंचाई गई. किसानों को पीएम किसान के तहत अग्रिम निधि जारी करने, ईपीएफओ में 24 प्रतिशत योगदान तथा उज्ज्वला योजना के तहत रसोई गैस सिलेंडर आवंटित किये जाने जैसी अनेक योजनायें चलाई गई.
केन्द्र की ओर से विभिन्न योजनाओं में 68,000 करोड़ रुपये से अधिक नकदी हस्तांतरित कि गई. ठाकुर ने कहा क्या यह गरीबों के हाथ में नकदी पहुंचाना नहीं है. छोटे उद्योगों के लिये तीन लाख करोड़ रुपये तक का गारंटी मुक्त कर्ज सुविधा उपलब्ध कराई गई.
- भाषा