भोपाल। पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन से मिल रही चुनौती के बीच भारत लगातार अपनी सेना शक्ति को बढ़ा रहा है. दुश्मन के किसी भी दुस्साहस का माकूल जवाब देने के लिए लगातार घातक हथियारों को सेना के बेड़े में शामिल किया जा रहा है. ऐसे ही देश में तैयार घातक हथियारों का नाजारा दिखाई दिया. भोपाल के एमबीएम ग्राउंड में लगाए गए फौजी मेले में अगले चार दिन चलने वाले इस मेले में रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित आर्टिलरी गन सिस्टम, पिनाका मल्टी लॉचर रॉकेट सिस्टम और जबलपुर गन कैरेज फैक्ट्री में निर्मित धनुष भी आम लोगों और युवाओं को दिखाने के लिए रखी गई है. ऐसे ही कुछ आधुनिक हथियारों की खूबियों को सेना के अधिकारियों से जाना हमारे सीनियर रिपोर्टर बृजेन्द्र पटेरिया ने.
यह तोप बोफोर्स से भी बेहतर, जबलपुर में हुई तैयार: जबलपुर गन कैरेज फैक्ट्री द्वारा इस 155 एमएम टोड होवित्जर तोप को तैयार किया है, इसका नाम धनुष रखा गया. इस तोप की डिजाइन कारगिल युद्ध में दुश्मनों के दांत खट्टे करने वाली बोफोर्स हावित्स के आधार पर तैयार की गई. स्वदेश में निर्मित यह तोप 38 किलोमीटर दूर बैठे दुश्मन को पलक झपकते तबाह कर सकती है. यह तोप 1 घंटे में 42 राउंड फायर करने में सक्षम है.
सांरग तोप की क्षमता भी बढ़ी, दुश्मनों के लिए है काल: जबलपुर के गन कैरेज फैक्टरी में तैयार 130 एमएम की यह आर्टिलरी गन को विकसित करके 155 एमएम किया गया है. इसकी मारक क्षमता बढ़कर 38 किलोमीटर हो गई है. इसकी सबसे खास बात यह है कि यह सभी क्लाइमेट कंडीशन में बेहतर तरीके से काम करने में सक्षम है. इसका नाम विष्णु भगवान के धनुष के नाम पर सारंग रखा गया है.
टी-90 भीष्मा सेना का हंटर किलर: रूस और फ्रांस की मदद से टी-90 एस में सुधार कर टी-90 को तैयार किया गया है. यह खासतौर से रात्रि युद्ध की लड़ाई में हंटर किलर माना जाता है. यह टेंक फ्रांसीसी थेल्स निर्मित कैथरीन-एफसी थर्मल साइट से सुसज्जित है. इस वजह से यह 5 किलोमीटर दूर से दुश्मन को बर्बाद कर सकता है. इस पर गाइडेड मिसाइल फायर करने में सक्षम 125 एमएम की स्मूथबोर मेन गन और 12.7 एमएम की मशीन गन भी माउंटेड होती है.
पलक झपकते ही बना देता है ब्रिज: युद्ध के दौरान भारतीय सेना का यह एसएसबीएस पलक झपकते ही ब्रिज बना देता है. यह ब्रिज इतना मजबूत होता है कि इस पर से 70 टन तक के वजनी वाहन और टेंक निकल सकते हैं.
इसकी पकड़ से बचना मुश्किल: सेना की यह थ्री डी सामरिक नियंत्रण रडार सभी मौसम में बखूबी हवाई लक्ष्यों का पता लगाने में सक्षम है. यह मध्यम रेंज का रडार सिस्टम है, जो युद्ध के दौरान करीब 10 किलोमीटर क्षेत्र में टेंकों पर हवाई हमले से रक्षा करती है.
सतह से हवा में सटीक निशाना: भारतीय सेना का तुंगुस्का स्वचलित विमान भेदी मिसाइल सिस्टम है. यह सतह से हवा में मारने वाली गत से लैस होती है. यह रूस निर्मित मल्टी गन दो रडारों पर आधारित होती है, जो 18 किलोमीटर तक सटीक निशाना लगा सकती है. इसकी मुख्य मिसाइल की मारक क्षमता 8 किलोमीटर तक होती है.
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हवा में दुश्मन का बचना मुश्किल: रूस निर्मित इस ओसा-एके सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली से लैस होता है. यह सभी मौसम में काम करने में सक्षम है. इससे सुपरसोनिक गति से कम ऊंचाई वाले लक्ष्यों को पता लगाकर खत्म करना बेहद आसान होता है.
1500 मीटर तक सटीक निशाना: सीमा पर तैनात जवानों के लिए .338 साको टीआरजी 42 बेहद दमदार गन मानी जाती है. इस लेजर गाइडेड गन से 1500 मीटर दूरी तक बेहद सटीक निशाना आसान होता है. इससे निकली गोली कभी खाली नहीं जाती.