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CAA के लिए नियम बनाने का समय 3 महीने और बढ़ा: सूत्र

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Published : Jun 3, 2021, 1:02 PM IST

सूत्रों के मुताबिक, अधीनस्थ कानून पर एक संसदीय समिति ने सीएए के लिए नियम बनाने का समय तीन महीने और बढ़ा दिया है. बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नागरिकता अधिनियम 1955 और 2009 में कानून के तहत बनाए गए नियमों के तहत आदेश को तत्काल लागू करने के लिए शुक्रवार रात अधिसूचना जारी की थी.

CAA के लिए नियम
CAA के लिए नियम

नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नागरिकता अधिनियम 1955 के 2009 के नियमों के तहत एक अधिसूचना जारी की थी, इस दौरान केंद्र सरकार ने अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए व गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा, पंजाब के 13 जिलों में रह रहे हिंदू, सिख, जैन समेत बौद्धों जैसे गैर मुस्लिमों से शुक्रवार को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन मंगाए थे. जिसके बाद आज सूत्रों के हवाले से खबर सामने आ रही है कि अधीनस्थ कानून पर एक संसदीय समिति ने सीएए (CAA) के लिए नियम बनाने का समय तीन महीने और बढ़ा दिया है.

बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नागरिकता अधिनियम 1955 और 2009 में कानून के तहत बनाए गए नियमों के तहत आदेश को तत्काल लागू करने के लिए शुक्रवार रात अधिसूचना जारी की थी.

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यह लाभ अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के उन अल्पसंख्यकों को मिलेगा, जो भारत में कम से कम 11 साल के निवास के बाद नैचुरलाइजेशन (किसी भी देश की नागरिकता प्राप्त करने की कानूनी विधि) के द्वारा किसी भी विदेशी नागरिक पर लागू सभी शर्तों को पूरी करते हैं.

बता दें कि सीएए के तहत, इस श्रेणी की अवधि को घटाकर पांच साल कर दिया गया था.

अधिसूचना में कहा गया, नागरिकता कानून 1955 (1955 की 57) की धारा 16 के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार इसके द्वारा निर्देश देती है कि कानून की धारा पांच के तहत नागरिक के तौर पर पंजीकरण या नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा छह के तहत नैचुरलाइजेशन का प्रमाणपत्र प्रदान करने के लिए उसके द्वारा प्रयोग की जाने वाली शक्तियों, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय मुख्य तौर पर हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई से संबंधित किसी भी व्यक्ति के संबंध में हैं जो उल्लिखित जिलों और नीचे उल्लिखित राज्यों में रहते हैं.

अधिसूचना में कहा गया, भारत के नागरिक के रूप में पंजीकरण या उक्त नियमों (नागरिकता नियम, 2009) के तहत नैचुरलाइजेशन के द्वारा भारत के नागरिक के रूप में प्रमाणपत्र प्रदान किये जाने के लिए आवेदक द्वारा आवेदन ऑनलाइन किया जाएगा.

2016 में केंद्र सरकार ने इसी तरह के एक कदम के तहत गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के 16 जिलों में रहने वाले अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के इन अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों से आवेदन मांगे थे.

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जिलों के जिलाधिकारियों और सात राज्यों के गृह सचिवों को गृह मंत्रालय द्वारा दो साल के लिए इन शरणार्थियों के आवेदन प्राप्त करने और संसाधित करने की अनुमति दी गई थी.

2018 में उक्त अधिसूचना को अनिश्चित अवधि के लिए या अगले आदेश तक बढ़ा दिया गया था.

अधिसूचना में कहा गया, यह आदेश आधिकारिक राजपत्र में इसके प्रकाशन की तारीख से लागू होगा और अगले आदेश तक वैध रहेगा.

जब 2019 में सीएए पारित किया गया था तब देश के विभिन्न हिस्सों में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए थे तथा कानून का विरोध करने वाले और समर्थन करने वालों के बीच झड़पों के बाद 2020 की शुरुआत में पूर्वोत्तर दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे.

नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नागरिकता अधिनियम 1955 के 2009 के नियमों के तहत एक अधिसूचना जारी की थी, इस दौरान केंद्र सरकार ने अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए व गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा, पंजाब के 13 जिलों में रह रहे हिंदू, सिख, जैन समेत बौद्धों जैसे गैर मुस्लिमों से शुक्रवार को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन मंगाए थे. जिसके बाद आज सूत्रों के हवाले से खबर सामने आ रही है कि अधीनस्थ कानून पर एक संसदीय समिति ने सीएए (CAA) के लिए नियम बनाने का समय तीन महीने और बढ़ा दिया है.

बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नागरिकता अधिनियम 1955 और 2009 में कानून के तहत बनाए गए नियमों के तहत आदेश को तत्काल लागू करने के लिए शुक्रवार रात अधिसूचना जारी की थी.

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यह लाभ अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के उन अल्पसंख्यकों को मिलेगा, जो भारत में कम से कम 11 साल के निवास के बाद नैचुरलाइजेशन (किसी भी देश की नागरिकता प्राप्त करने की कानूनी विधि) के द्वारा किसी भी विदेशी नागरिक पर लागू सभी शर्तों को पूरी करते हैं.

बता दें कि सीएए के तहत, इस श्रेणी की अवधि को घटाकर पांच साल कर दिया गया था.

अधिसूचना में कहा गया, नागरिकता कानून 1955 (1955 की 57) की धारा 16 के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार इसके द्वारा निर्देश देती है कि कानून की धारा पांच के तहत नागरिक के तौर पर पंजीकरण या नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा छह के तहत नैचुरलाइजेशन का प्रमाणपत्र प्रदान करने के लिए उसके द्वारा प्रयोग की जाने वाली शक्तियों, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय मुख्य तौर पर हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई से संबंधित किसी भी व्यक्ति के संबंध में हैं जो उल्लिखित जिलों और नीचे उल्लिखित राज्यों में रहते हैं.

अधिसूचना में कहा गया, भारत के नागरिक के रूप में पंजीकरण या उक्त नियमों (नागरिकता नियम, 2009) के तहत नैचुरलाइजेशन के द्वारा भारत के नागरिक के रूप में प्रमाणपत्र प्रदान किये जाने के लिए आवेदक द्वारा आवेदन ऑनलाइन किया जाएगा.

2016 में केंद्र सरकार ने इसी तरह के एक कदम के तहत गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के 16 जिलों में रहने वाले अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के इन अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों से आवेदन मांगे थे.

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जिलों के जिलाधिकारियों और सात राज्यों के गृह सचिवों को गृह मंत्रालय द्वारा दो साल के लिए इन शरणार्थियों के आवेदन प्राप्त करने और संसाधित करने की अनुमति दी गई थी.

2018 में उक्त अधिसूचना को अनिश्चित अवधि के लिए या अगले आदेश तक बढ़ा दिया गया था.

अधिसूचना में कहा गया, यह आदेश आधिकारिक राजपत्र में इसके प्रकाशन की तारीख से लागू होगा और अगले आदेश तक वैध रहेगा.

जब 2019 में सीएए पारित किया गया था तब देश के विभिन्न हिस्सों में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए थे तथा कानून का विरोध करने वाले और समर्थन करने वालों के बीच झड़पों के बाद 2020 की शुरुआत में पूर्वोत्तर दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे.

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