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MHA ने जारी किए 'सुरक्षित शहर संकेतक', राज्यों को अमल में लाने के निर्देश - Bureau of Police Research and Development Organization

केंद्रीय गृह मंत्रालय (Home Ministry) की ओर से राज्यों को अपने प्रमुख शहरों में कोरोना महमारी को ध्यान में रखते हुए बेहतर स्वास्थ्य सुविधा और कानून व्यवस्था को मजबूत करने के लिए विशेष निर्देश जारी किए हैं. पेश है ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट...

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केंद्रीय गृह मंत्रालय
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Published : Jul 17, 2021, 3:43 PM IST

नई दिल्ली: देश के सभी प्रमुख शहरों में रहने वाले सभी वर्ग के लोगों को सुरक्षित रखने के लिए, गृह मंत्रालय (Home Ministry) ने 'सुरक्षित शहर संकेतक' (Safe City Indicator) जारी किया है. इनको लागू करने के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिए गए हैं. इसका उद्देश्य है कि सभी राज्य अपने प्रमुख शहरों में कोरोना महामारी से निपटने के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर कर सकें. जिससे कि भविष्य में कोविड-19 महामारी के खतरे को कम किया जा सके.

इस बारे में ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (BPRD) ने सुरक्षित शहर संकेतक जारी किए गए हैं. इसको शीर्ष पुलिस अधिकारियों और शिक्षाविदों के 13 सदस्यीय कोर समूह ने बनाया है. इन संकेतकों में प्रमुख रूप से महामारी रोग, जैसे नोवेल कोरोना वायरस के जीवन पर होने वाले प्रतिकूल प्रभावों को शामिल किया गया है. इसमें महामारी के तेजी से बढ़ने के कारणों में सरकार की ओर से हर तरह की गतिविधियों पर लॉकडाउन के रूप में लगाई जाने वाली रोक का जिक्र है.

इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य सुविधाएं, वेंटिलेटर, बेड और सर्जिकल उपकरण, परीक्षण सुविधाएं, सामुदायिक हॉल और प्रवासी आबादी के लिए केंद्र, लोगों के भोजन, स्वच्छता और स्वास्थ्य देखभालों से जुड़े संकेतक हैं. साथ ही पानी की आपूर्ति और बिजली, इंटरनेट कनेक्टिविटी और नियंत्रण उपकरण जैसे उपकरणों की उपलब्धता के बारे में भी संकेतक हैं.

बीपीआरडी परियोजना से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षित शहर से मतलब है कि रहने योग्य, टिकाऊ, समावेशी, सहिष्णु, तकनीकी रूप से प्रगतिशील शहर. इसके तहत शहरों में सुरक्षा बढ़ाने के लिए बेहतर रणनीति के तहत काम हो.

खुद को सुरक्षित समझें नागरिक

इसका एक प्रमुख मकसद ये भी है कि अपराध दर को कम करना और नागरिकों में सुरक्षा की भावना पैदा हो. इनमें पहचाने गए संकेतक आठ व्यापक श्रेणियों में आते हैं और इन्हें 'सुरक्षा के स्तंभ' नाम दिया गया है. इन स्तंभों को शहरों में सुरक्षा वातावरण के मूल्यांकन के लिए अनुशंसित किया गया है.

पढ़ें: अगस्त के अंत तक देश में आ सकती है तीसरी लहर : ICMR विशेषज्ञ

कोर कमेटी के सदस्यों में डॉ एमए सलीम, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, (कर्नाटक), राजा श्रीवास्तव, आईजीपी (उत्तर प्रदेश), सतवंत अटवाल त्रिवेदी, आईजीपी (बीएसएफ), आलोक कुमार, आईजीपी शामिल हैं.

(बीएसएफ), केवी शरथ चंद्र, आईजीपी (बेंगलुरु), डॉ धनंजय पी घानावत, विशेष शाखा (असम), कार्तिकेयन के, एसपी, डिंडोरी (एमपी), नवाज कोतवाल, कार्यक्रम विश्लेषक, आईसीआर, अजीता विद्यार्थी, सुरक्षा और प्रवास विश्लेषक ( यूएन वूमेन), कल्पना विश्वबाथ (सेफ्टीपिन), कृति शर्मा (यूएन वूमेन), डॉ अंजन सेन, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और सुनील कुमार रघुवंशी (आईसीआरसी) भी शामिल हैं. बीआरडी के अधिकारियों का कहना है कि गहन शोध और विश्लेषण के बाद कोर ग्रुप ने सुरक्षित शहर के लिए आठ संकेतकों की पहचान की गई है.

नई दिल्ली: देश के सभी प्रमुख शहरों में रहने वाले सभी वर्ग के लोगों को सुरक्षित रखने के लिए, गृह मंत्रालय (Home Ministry) ने 'सुरक्षित शहर संकेतक' (Safe City Indicator) जारी किया है. इनको लागू करने के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिए गए हैं. इसका उद्देश्य है कि सभी राज्य अपने प्रमुख शहरों में कोरोना महामारी से निपटने के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर कर सकें. जिससे कि भविष्य में कोविड-19 महामारी के खतरे को कम किया जा सके.

इस बारे में ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (BPRD) ने सुरक्षित शहर संकेतक जारी किए गए हैं. इसको शीर्ष पुलिस अधिकारियों और शिक्षाविदों के 13 सदस्यीय कोर समूह ने बनाया है. इन संकेतकों में प्रमुख रूप से महामारी रोग, जैसे नोवेल कोरोना वायरस के जीवन पर होने वाले प्रतिकूल प्रभावों को शामिल किया गया है. इसमें महामारी के तेजी से बढ़ने के कारणों में सरकार की ओर से हर तरह की गतिविधियों पर लॉकडाउन के रूप में लगाई जाने वाली रोक का जिक्र है.

इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य सुविधाएं, वेंटिलेटर, बेड और सर्जिकल उपकरण, परीक्षण सुविधाएं, सामुदायिक हॉल और प्रवासी आबादी के लिए केंद्र, लोगों के भोजन, स्वच्छता और स्वास्थ्य देखभालों से जुड़े संकेतक हैं. साथ ही पानी की आपूर्ति और बिजली, इंटरनेट कनेक्टिविटी और नियंत्रण उपकरण जैसे उपकरणों की उपलब्धता के बारे में भी संकेतक हैं.

बीपीआरडी परियोजना से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षित शहर से मतलब है कि रहने योग्य, टिकाऊ, समावेशी, सहिष्णु, तकनीकी रूप से प्रगतिशील शहर. इसके तहत शहरों में सुरक्षा बढ़ाने के लिए बेहतर रणनीति के तहत काम हो.

खुद को सुरक्षित समझें नागरिक

इसका एक प्रमुख मकसद ये भी है कि अपराध दर को कम करना और नागरिकों में सुरक्षा की भावना पैदा हो. इनमें पहचाने गए संकेतक आठ व्यापक श्रेणियों में आते हैं और इन्हें 'सुरक्षा के स्तंभ' नाम दिया गया है. इन स्तंभों को शहरों में सुरक्षा वातावरण के मूल्यांकन के लिए अनुशंसित किया गया है.

पढ़ें: अगस्त के अंत तक देश में आ सकती है तीसरी लहर : ICMR विशेषज्ञ

कोर कमेटी के सदस्यों में डॉ एमए सलीम, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, (कर्नाटक), राजा श्रीवास्तव, आईजीपी (उत्तर प्रदेश), सतवंत अटवाल त्रिवेदी, आईजीपी (बीएसएफ), आलोक कुमार, आईजीपी शामिल हैं.

(बीएसएफ), केवी शरथ चंद्र, आईजीपी (बेंगलुरु), डॉ धनंजय पी घानावत, विशेष शाखा (असम), कार्तिकेयन के, एसपी, डिंडोरी (एमपी), नवाज कोतवाल, कार्यक्रम विश्लेषक, आईसीआर, अजीता विद्यार्थी, सुरक्षा और प्रवास विश्लेषक ( यूएन वूमेन), कल्पना विश्वबाथ (सेफ्टीपिन), कृति शर्मा (यूएन वूमेन), डॉ अंजन सेन, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और सुनील कुमार रघुवंशी (आईसीआरसी) भी शामिल हैं. बीआरडी के अधिकारियों का कहना है कि गहन शोध और विश्लेषण के बाद कोर ग्रुप ने सुरक्षित शहर के लिए आठ संकेतकों की पहचान की गई है.

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