मेरठ: माता-पिता अपनी संतानों को जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए समय-समय पर नसीहत देते हैं. जो संतानें उनकी नसीहतों को प्रेरणा के रूप में स्वीकार कर लेते हैं वे देश-दुनिया में अपना नाम ऊंचा करने की ओर कदम बढ़ा देते हैं. ऐसा ही एक बेटा उत्तर प्रदेश के मेरठ जनपद का है. युवक ने जब अपने पिता से घर के लिए कार खरीदने को कहा तो उसे नसीहत मिली.
पिता की नतीहत को बनाई प्रेरणाः पिता ने कहा कि मेहनत करके स्वयं कार खरीदे. इस नसीहत को बेटे ने प्रेरणा के रूप में लिया और कार खरीदी नहीं, बल्कि खुद बना ली. अब पूरा परिवार उसी कार से सफर भी करता है. मेरठ के गगन विहार कॉलोनी में रहने वाले आशीष ने ये खास चार पहिया वाहन बनाया है. इस वाहन की खासियत यह है कि यह डीजल या पेट्रोल से नहीं, बल्कि बैटरी से चलती है. ये एक ईको फ्रेंडली कार है. जो महज 24 रुपए के खर्च में 150 किलोमीटर तक का सफर तय कर सकती है. आशीष इस गाड़ी को देशी थार नाम दिया है.
कैसे बनाई देसी थारः आशीष ने बताया कि सबसे पहले उसने एक कबाड़ी के यहां से कार की बॉडी खरीदी. उसके बाद जरूरत के मुताबिक पूर्जे खरीदे या फिर स्वयं से तैयार किए. आशीष ने बताया कि इस गाड़ी में तमाम खूबियां हैं. इसमें लीथियम बैटरी का इस्तेमाल किया गया है. जिनको खुद आशीष ने ही तैयार किया है. इस कार को देसी थार का नाम इसलिए दिया कि इसे उसी तरह से बनाने की कोशिश की है. कार को बनाने में लगभग 45000 हजार रुपए का खर्चा आया है.
देसी थार में क्या-क्या हैं खासियतः आशीष ने बताया कि कार को एक बार चार्ज करने पर 150 किलोमीटर तक की यात्रा आराम से की जा सकती है. इतना हीं नहीं इसमें खास ओल्टीनेटर भी लगाया है. जो चलते-चलते इसकी बैट्री चार्ज करेगा. ऐसी स्थिति में करीब 30 किलोमीटर अधिक यह गाड़ी चल जाएगी. बैट्री को सोलर पैनल से भी जोड़ा जा रहा है. गाड़ी की छत पर सोलर पैनल रहेगा, जिससे चलते चलते बैट्री चार्ज भी हो सकेगी.
परिवार के साथ कार से हरिद्वार गए थे गंगा जल लेनेः हाल ही में कांवड़ यात्रा संपन्न हुई है. उसमें जल लेने आशीष इसी गाड़ी से परिवार के साथ हरिद्वार गए थे. यह कार काफी चर्चाओं में आ गई है. इसे देखने लोग आशीष के घर तक पहुंत रहे हैं. गौर करने वाली बात यह है कि आशीष का मैकेनिक और इलेक्ट्रॉनिक ट्रेड से दूर-दूर तक कोई लेना देना नहीं है. जो कुछ सीखा यूट्यूब से ही सीखा है. इससे पहले उसने एक बाइक भी बनाई थी जो बाजार में मिलने वाली ई बाइक की तुलना में काफी सस्ती है. ऐसा आशीष का दावा है. इसके बाद एक तेजस नाम की बाइक भी उन्होंने तैयार की थी, वह भी बेहद कम खर्च में तैयार की गई थी.
देसी थार के बैक गियर की है अलग खासियतः आशीष का कहना है कि काफी बार वह अपने प्रयासों को लेकर नेताओं, अफसरों और मंत्रियों से भी मिले हैं. लेकिन, आगे के लिए कोई भी मार्गदर्शन नहीं करता. देसी थार में आशीष ने गाड़ी को पीछे करने के लिए गियर के रूप में एक स्विच का उपयोग किया है. उसका कहना है कि किसी वाहन को पीछे करने के लिए यह दुनिया का सबसे छोटा गियर है. आशीष के पिता का कहना है कि वे बेहद खुश हैं कि अब अगर कहीं किसी कार्यक्रम में जाना होता है तो गाड़ी हायर करने की या फिर सार्वजनिक वाहनों में धक्के नहीं खाने पड़ते. बल्कि वह आसानी से अपनी कार से सपरिवार कहीं भी पहुंच जाते हैं.
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